बीसीसआई की बैठक में जो कुछ हुआ, उसकी
तैयारी श्रीनिवासन ने शनिवार रात से ही शुरू कर दी थी। उन्होंने रात में ही
अपने करीबियों को जगमोहन डालमिया से मिलने भेज दिया था। रविवार को बैठक से
पहले भी श्रीनिवासन ने खुद दो घंटे तक डालमिया से बात की। इसके बाद वही
हुआ जो श्रीनिवासन चाहते थे। भारतीय क्रिकेट को कंट्रोल करने वाले
श्रीनिवासन ने बीसीसीआई की आपात बैठक का नतीजा खुद ही तय किया। दिल्ली में
बैठे अरुण जेटली, राजीव शुक्ला और अनुराग ठाकुर दावे तो करते रहे लेकिन
किया कुछ नहीं। दरअसल आपात बैठक शुरू होने से घंटों पहले शनिवार देर रात से
ही श्रीनिवासन और उनके सहयोगियों ने अपने पक्ष में बैटिंग करनी शुरू कर
दी।
लेकिन
मीटिंग में शिर्के को बुलाया। जगदाले को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से
जुड़ने का न्यौता भेजा गया। लेकिन, जगदाले ने पहले ही साफ कर दिया कि वो
किसी भी कीमत पर मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। सुबह करीब 10 बजते-बजते ये
तय हो गया था कि दोपहर ढाई बजे से होने वाली बैठक में श्रीनिवासन का पलड़ा
भारी ही रहेगा। ज्यादातर विरोधी या तो बैठक से ही दूर थे या फिर चेन्नई ही
नहीं आए थे। इसके बाद करीब 11 बजे सभी को चौंकाते हुए श्रीनिवासन उस होटल
पहुंच गए जहां बीसीसीआई की आपात बैठक होनी थी। बाकी पदाधिकारियों से साढ़े
तीन घंटे पहले होटल पहुंचकर श्रीनिवासन ने मोर्चा संभाल लिया।
सूत्रों की मानें तो श्रीनिवासन का
पहला दांव शनिवार रात को ही श्रीनिवासन के करीबी बैठक में हिस्सा लेने
चेन्नई पहुंचे जगमोहन डालमिया से मिले। डालमिया को इसी वक्त अंतरिम अध्यक्ष
पद का वायदा करके अपने पक्ष में करने की कोशिश की गई। श्रीनिवासन की ये
कोशिशें देख विरोधी खेमे ने भी ताकत लगानी शुरू कर दी। उन्हें संदेश
पहुंचाया गया कि आपको बिना शर्त जांच के रास्ते से हटना ही होगा। ध्यान
दीजिए सीधे इस्तीफा मांगने की हिम्मत विरोधी खेमा तब भी नहीं जुटा पा रहा
था। इसकी भी एक बड़ी वजह थी। दरअसल विरोधी खेमा ये तय ही नहीं कर पा रहा था
कि आखिर श्रीनिवासन के बाद किसके नाम पर जोर लगाया जाए।
चुनावी
साल में अरुण जेटली खुद सीधे सीधे इस लड़ाई में नहीं कूदना चाहते थे। जिस
शशांक मनोहर के नाम पर थोड़ी बहुत सहमति बन रही थी वो खुद ही पीछे हट गए
थे। अपने पत्ते कमजोर पड़ते देख जेटली गुट ने एक कदम और पीछे खींचा। सुबह
के करीब 9 बजे ये तय हो गया कि ना तो जेटली, ना ही शुक्ला और ना ही ठाकुर
बैठक में शामिल होने के लिए चेन्नई जाएंगे। तीनों ने ही वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए श्रीनिवासन का सामना करना बेहतर समझा। जेटली गुट को
कमजोर पड़ता देख श्रीनिवासन ने अपना अगला दांव चल दिया। शनिवार तक
श्रीनिवासन अड़े हुए थे कि इस्तीफा देने के बाद ना तो सचिव संजय जगदाले और
ना ही कोषाध्यक्ष अजय शिर्के को बैठक में शामिल किया जाए।
चेन्नई
पहुंचे हुए बाकी एसोसिएशन के अफसरों से एक बार फिर संपर्क साधा गया।
उन्हें श्रीनिवासन के पक्ष में करने की कोशिश की गई। श्रीनिवासन का दूसरा
दांव, सूत्रों की मानें तो डालमिया और श्रीनिवासन के बीच करीब 2 घंटे तक तक
बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान 5 से 6 क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य भी वहीं
मौजूद थे। अबतक खुलकर श्रीनिवासन का इस्तीफा मांग रहे हैदराबाद क्रिकेट
एसोसिएशन के जी विनोद और ईस्ट जोन के चित्रक मित्रा दोनों ही श्रीनिवासन के
पक्ष में खड़े हो गए।
श्रीनिवासन गुट
की ये कामयाबी देख दिल्ली में खलबली मच गई। जेटली गुट ने एक बार फिर
श्रीनिवासन पर दबाव बढ़ाना शुरू किया। कहा गया कि अगर श्रीनिवासन अपनी जिद
पर अड़े रहेंगे तो इस्तीफों का अगला दौर मीटिंग के दौरान ही शुरू हो जाएगा।
ये भी इशारा किया गया कि नियमों के मुताबिक बीसीसीआई में जिम्मेदारी
छोड़ने जैसी कोई चीज नहीं, श्रीनिवासन को हटना ही होगा। विरोधी गुट के इन
तेवरों को देख श्रीनिवासन और उनके करीबी थोड़ी देर के लिए सही बैकफुट पर
आते नजर आए। दोपहर 12 बजे तक इन अटकलों ने जोर पकड़ लिया कि श्रीनिवासन
बिना शर्त इस्तीफा दे सकते हैं। तमाम अटकलों के बीच करीब 45 मिनट बाद
तस्वीर थोड़ी-थोड़ी साफ होनी शुरू हुई।
नार्थ
जोन और वेस्ट जोन सीधे तौर पर श्रीनिवासन के खिलाफ खड़े हो गए। इसमें
मुंबई, विदर्भ, सौराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और यूपी के वोट
शामिल थे। दूसरा कैंप पूर्वी और दक्षिणी जोन श्रीनिवासन के पक्ष में नजर
आने लगे। इसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के वोट
शामिल थे। सूत्रों की मानें तो इसके बाद श्रीनिवासन ने अपने दो धुर
विरोधियों को पक्ष में करने की कोशिश शुरू की। ये दो लोग थे मुंबई क्रिकेट
एसोसिएशन के रवि सावंत और विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के सुधीर डबीर । दोनों
से श्रीनिवासन ने खुद बातचीत की। इस वक्त तक दोपहर के डेढ़ बज चुके थे। एक
घंटे बाद ही बैठक शुरू होने जा रही थी। लेकिन पिछले 12 में सभी लोगों से
बातचीत के बाद श्रीनिवासन को ये एहसास हो गया था कि इस्तीफा देने की जरूरत
नहीं। डालमिया का साथ मिलने के बाद श्रीनिवासन की ताकत बढ़ी और यही बैठक के
नतीजे में भी झलका।
बीसीसीआई की आज की
बैठक से पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी भी खासे भड़के हुए हैं। उन्होंने
ट्वीट किया है कि क्रिकेट हमारे देश में धर्म है। लेकिन इसे
श्रीनिवासन,शुक्ला, जेटली और ठाकुर जैसे लालची लोगों ने हाईजैक कर लिया है।
ये देश और क्रिकेट प्रेमियों के साथ धोखा है। क्रिकेट में ये अब तक का
सबसे बड़ा कवरअप है। श्रीनिवासन, जेटली और शुक्ला मिलकर साजिश रच रहे हैं।
क्रिकेट को अब भगवान ही बचा सकता है।
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