उत्तराखंड में तीन दिन की बारिश से मचे
हाहाकार ने हमारे देश में आपदा प्रबंधन की तैयारियों की पोल खोल दी है। 40
हजार से ज्यादा लोग रास्ते में फंसे हैं लेकिन सरकार इन्हें निकालने में
नाकाम साबित हुई है। ये हाल तब है जब पिछले साल भी उत्तराखंड में ऐसी ही
बारिश हुई थी। लेकिन पुरानी घटनाओं से सबक लेना हमारे सिस्टम ने कभी सीखा
ही नहीं।
आपदा
प्रबंधन की नाकाम तैयारियों पर इसी साल अप्रैल में आई CAG की रिपोर्ट में
भी निशान साधा गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि आपदाओं से निपटने की हमारी
तैयारी बेहद खराब है। 2005 में बनाई गई नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी
नाकाम रही है। 8 साल में भी NDMA कोई नेशनल प्लान तैयार नहीं कर पाई है। ये
हाल तब रहा जब इसके चेयरमैन खुद पीएम होते हैं। CAG के मुताबिक 8 सालों
में NDMA ने एक भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया है।
सीएजी
रिपोर्ट में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस अथॉरिटी में पारदर्शिता ना
बरतने का भी आरोप लगाया गया था। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब आपदा
प्रबंधन की सबसे बड़ी संस्था का ये हाल है तब बाकी का क्या होगा। सीएजी की
रिपोर्ट में इस बात का भी इशारा किया गया था कि देश के तमाम राज्यों में भी
ऐसे हालात से निपटने के लिए पहले से तैयारी नहीं जाती। इसी का नतीजा है कि
चाहे बारिश हो या फिर भूकंप, हादसों के बाद राहत कार्यों के लिए सरकार को
जूझना पड़ता है।
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