केदारनाथ धाम के दर्शन करने गए कई
श्रद्धालुओं के लिए ये दौरा भयानक सपने में तब्दील हो गया। पवित्र मंदिर के
दर्शन करने गए श्रद्धालुओं ने वो मंजर देखा जिसकी उन्हें सपने में भी
उम्मीद नहीं थी। कई लोगों ने अपनी आंखों के सामने अपनों को खो दिया तो कई
किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहे।
मानों आसमान फट गया
केदारनाथ
के दर्शन के लिए गए नागपुर के संजय देशपांडे के लिए भी यह यात्रा एक भयानक
सपने जैसी रही। संजय देशपांडे पिछले 23 सालों से केदारनाथ टूर आयोजित करते
हैं। इस साल 67 लोगों को लेकर वह केदारनाथ गए थे। लेकिन बादल फटने से जो
हालात बने वह किसी बुरे सपने से कम नहीं। देशपांडे बताते हैं कि वैसे तो इस
इलाके में भूस्खलन आम बात है। लेकिन अबकी बार लगातार बारिश ने जो कहर ढाया
है उसे देखते हुए संजय के रौंगटे खडे हो जाते हैं।
प्रकृति
का जो रौद्र रूप उन्होंने देखा है, उसे वो ताउम्र नहीं भुला सकते। कईयों
को पानी में बहते उन्होंने देखा है। संजय देशपांडे और उनके साथी चार दिन
वहां अटके रहे। कल शाम वह नागपुर में अपने घर पहुंचे।
संजय
देशपांडे कहते हैं कि मेरे 23 साल के करियर में यह सबसे भयानक यात्रा
रही। लैन्डस्लाइड होना आम बात है, लेकिन इस बार जो हुआ काफी भयानक था, मानो
आसमान फट गया है। लोग वहीं फंसे हुए हैं। हमने जो देखा वह काफी भयानक था।
कई लोग हमारे सामने ही बह गए। चारों तरफ मलबा ही मलबा था। बाढ़ मे फंसे
लोगों का सरकार जो आकड़ा बता रही है, उससे कहीं ज्यादा आकड़ा है। ऐसी जगह
पर लोग फंसे हैं, जहां मदद मिलना मुश्किल हो गया है।
किसी तरह बची जान
रमेश
चंद्र की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। रमेश का कहना है कि यमुनोत्री ,
गंगोत्री होते हुए हम केदारनाथ जा रहे थे। केदारनाथ जाते हुए रास्ते में
बहुत तेज बारिश हो गई और रास्ता जाम हो गया। पुलिस ने हमें आगे जाने से रोक
दिया। पीछे भी नहीं जा सकते थे। सुबह देखा कि आगे और पीछे कोई रास्ता नहीं
बचा है, हम किसी तरह से जान बचा कर वहां से निकले। हम कुल 26 लोग थे।
भूख के मारे बच्चे हो रहे बेहोश
फरीदाबाद
के सेक्टर 7 में रहने वाले पुष्पक गुप्ता अपनी पत्नी और दो छोटी बच्चियों
के साथ और सेक्टर 9 में रहने वाले रवि पाटनकर अपनी मां, पत्नी, दो बेटी और
एक बेटे के साथ केदारनाथ की यात्रा के लिए गए थे। परिजनों के मुताबिक 14
जून को जब यह लोग गौरी कुंड पहुचे तो पर्किंग में खड़ी इनकी फॉर्च्यूनर कार
पत्थर गिरने से डेमेज हो गई। इसके बाद इन्होंने ठहरने के लिए गौरी कुंड
में ही एक लॉज की शरण ली।
लेकिन वहां
घोषणा की गई कि इस क्षेत्र को तुरंत खाली कर दें। इसके बाद ये लोग गौरीकुंड
पुलिस चौकी के पास बने एक सरकारी स्कूल में पहुंच गए और पिछले 6 दिनों से
वही रुके हुए हैं। पुष्पक के भाई पंकज के मुताबिक उनके पास सिर्फ नमकीन के 2
पैकेट थे जिस पर उन्होंने 4 दिन काटे। उनका कहना है कि वहां हालत बेहद
बुरे हैं, भूख के मारे बच्चे बेहोश हो रहे हैं। खाने और पीने के लिए कुछ
नहीं है, प्रशासन की अभी तक कोई मदद वहां नहीं पहुंची है।
ऐसा भयानक मंजर कभी नहीं भूल पाएंगे
उतराखंड
त्रासदी में फंसे यात्री बीकानेर पहुंचे हैं इनमें से चार अभी भी लापता
हैं। केदारनाथ से सकुशल बीकानेर पहुंचे तो इन्हें देख परिजनों ने राहत की
सांस ली। वहीं इन यात्रियों के साथ गए एक ही परिवार के चार लोग लापता हैं,
जिनका इंतज़ार परिवार के लोग कर रहे हैं।
केदारनाथ
गए यात्रियों की बस जब बीकानेर पहुंची तो अपनों को सकुशल देख परिवार वालो
की आंखें भर आईं, गले मिलकर हालचाल पूछा और वहां के हालात के बारे में
जाना। इस भयानक हादसे को देख यात्री काफी घबराए हुए थे। उन्होंने बताया कि
वहां हालात काफी खराब हैं अभी भी काफी यात्री फंसे हुए हैं। ऐसा भयानक मंजर
वो कभी नहीं भूल पाएंगे। इनका कहना है कि मिलिट्री के लोग हैं, पर प्रशाशन
की ओर से कोई बंदोबस्त नहीं है। हमारे साथी भी लापता है पर प्रशाशन की ओर
से कोई मदद नहीं मिली।
बीकानेर
आए ये लोग खुश थे पर उन्हें इस बात का भी गम था कि उनके चार यात्री बिछड़
गए हैं। उनसे 15 तारीख बाद कोई संपर्क नहीं हो पाया। हाथ में तस्वीर लिए ये
परिजन नाम आंखों से अपनों का इंतज़ार कर रहे हैं।
परिजनों
का कहना है कि द्वारिका दास पुरोहित और सुषमा हर साल वो अपनी बस लेकर
केदारनाथ जाते थे। पर इस साल किसी ने ये नहीं सोचा था कि ऐसी त्रासदी होगी।
उनके भाई ने बताया कि जब दो यात्री गीता देवी और बाबूलाल पीछे फंस गए तो
वो उन्हें वापस लेने लौटे। मेरे भाई देहरादून गए हैं उनकी तलाश में।
अब दुआओं का सहारा
ठाणे
में रहनेवाले मिश्रा परिवार के चार सदस्य केदारनाथ मे अटके हैं। वशिष्ट और
कलावती मिश्रा अपने दो रिश्तेदारों के साथ केदारनाथ गए थे। लेकिन केदारनाथ
पहुंचने के बाद उनका कोई संपर्क नही हुआ है। यहां ठाणे में उनका पूरा
परिवार चिंतित है। टीवी पर आ रही हादसे की भयानक तस्वीरें देखकर मिश्रा
परिवार के लोग काफी चिंतित हैं। अपने माता-पिता से संपर्क करने का हर संभव
कोशिश कर रहे हैं।
वापस लौटने का यकीन नहीं हो रहा
गाजियाबाद
से दर्शन करने गए एक परिवार के नौ लोग केदारनाथ गए थे और अब वापिस
गाजियाबाद आ गए हैं। लेकिन दहशत अब तक इनके दिलोंदिमाग से नहीं निकली है।
तबाही के बाद की तस्वीरें भी इस परिवार ने ली है। वहीं गाजियाबाद के दो
परिवार के सात लोग अभी भी वहीं फंसे हुए हैं। परिवार वाले उनको लेकर बेहद
चिंता में हैं।
मनोज
आपने परिवार के नौ लोगो के साथ केदारनाथ दर्शन के लिए गए थे। मंदिर वापस
लौटते समय ये लोग गोविंदधाम में फंस गए। इनका कहना है कि हमने मौत को अपनी
आंखों से देखा। तेज बारिश हो रही थी और पहाड़ गिर रहे थे। दो दिनों तक डर
का ये आलम था कि न तो कुछ खाया गया न पीया गया। बच्चे बेहद डरे हुए हैं।
हमें तो घर पहुंचने का भी विश्वास नहीं था।
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