उत्तराखंड में बारिश से मची तबाही का
दौर जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक बारिश ने यहां 88 सालों का रिकॉर्ड
ध्वस्त कर दिया है। अब तक 37 लोग मारे जा चुके हैं। उत्तराखंड सरकार के
मुताबिक चार धाम की यात्रा पर निकले 40 हजार से ज्यादा यात्री अलग अलग
जगहों पर फंसे हुए हैं। एनडीआरएफ की 12 टीमें राज्य में पहुंच चुकी हैं।
राज्य सरकार ने सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस की भी मदद मांगी है।
ऋृषिकेश
में गंगा के किनारे भगवान शिव की विशालकाय मूर्ति दिन में गले तक पानी में
डूबी थी। लेकिन शाम होते-होते ये मूर्ति पूरी तरह पानी में समा गई।
स्थानीय लोगों की माने तो पिछले साल सितंबर में ऐसा हुआ था। लेकिन इस बार
तो जून के महीने में ही गंगा महादेव की मूर्ति को पार कर गई। पानी का लेवल
और बहाव इतना तेज है कि शिव की ये प्रतिमा गंगा के तेज बहाव में बह गयी या
फिर डूब गई अभी तक पता नहीं चल सका है। इसका पता तब चलेगा जब गंगा का पानी
कुछ कम होगा।
लोग ऊपरवाले से प्रार्थना कर रहे हैं। लगातार बारिश के बाद बाढ़ का पानी किसी को बख्श नहीं रहा है। उत्तरकाशी में मौजूद एक मंदिर भी भगीरथी नदी के तेज बहाव के आगे ये ज्यादा देर तक नहीं टिक नहीं पाया। कटे पेड़ की तरह ये भी एक झटके में पानी में बह गया। उत्तरकाशी में ही भारत घाट और केदारघाट पूरी तरह से डूब चुका है। जबकि उजेली में मौजूद कैलाश आश्रम का एक बड़ा हिस्सा पानी में बह चुका है।
जून
में ही बारिश ने उत्तराखंड में तबाही मचा दी है। नदियों में पानी का बहाव
इतना तेज है कि आसपास बनी इमारतें ताश के पत्तों की तरह बिखर रही हैं, नदी
में गिर रही हैं। उत्तरकाशी के जोशीयाड़ा में तीन दिन की लगातार बारिश के
बाद नदी के किनारे सुबह से ही कटने लगे थे। मिट्टी बहती गई और शाम
होते-होते बड़े से मकान ने जलसमाधि ले ली। नदी के निकाने ही बना एक और मकान
नदी में गिरते हुए तस्वीरों में कैद हुआ है। पानी की एक तेज लहर आई और
मकान को भरभरा कर नदी में गिरने में चंद सेकेंड भी नहीं लगे।
लोग ऊपरवाले से प्रार्थना कर रहे हैं। लगातार बारिश के बाद बाढ़ का पानी किसी को बख्श नहीं रहा है। उत्तरकाशी में मौजूद एक मंदिर भी भगीरथी नदी के तेज बहाव के आगे ये ज्यादा देर तक नहीं टिक नहीं पाया। कटे पेड़ की तरह ये भी एक झटके में पानी में बह गया। उत्तरकाशी में ही भारत घाट और केदारघाट पूरी तरह से डूब चुका है। जबकि उजेली में मौजूद कैलाश आश्रम का एक बड़ा हिस्सा पानी में बह चुका है।
इंसान,
मशीन या जानवर सभी पर कुदरत का कहर टूट रहा है। आशियाने पानी में बह गए
हैं। आसरे की तलाश में इंसान और जानवर दोनों सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे
हैं। बाढ़ में फंसे लोगों के हालात जानने के लिए आईबीएन7 राहत कर्मियों के
साथ बोट में उनके पास गया। चारों तरफ पानी ही पानी और बीच में एक झोपड़ी।
अचानक पानी बढ़ने से ये लोग फंस गए और खुद को बचाने के लिए झोपड़ी के ऊपर
बन मचान में दुबक गए। कई घंटों के बाद इन्हें यहां से निकाला गया।
उधर
चमोली में लक्ष्मण नदी का जलस्तर बढ़ जाने की वजह से हेमकुंड जाने वाला
पुल टूट चुका है। ग्लेशियर टूटने की वजह से स्थिति और गंभीर हो गई। यहां
करीब 4000 हजार श्रद्धालुओं को हेमकुंड से निकाला गया। पानी में डूबी ये
कार बता रही है कि शहर की सड़क भी नदी में तब्दील हो चुकी है। गढ़वाल के
श्रीनगर में बद्रीनाथ जाने वाले हाईवे का हिस्सा डूबा हुआ है। फिलहाल यहां
यात्रियों को एक दूसरे रास्ते से भेजा जा रहा है।
उत्तराखंड
पर भारी मुसीबत टूटी है। पूरा राज्य अस्त व्यस्त हो चुका है। सैकड़ों गांव
बाकी इलाकों से कट गए हैं। अलकनंदा नदी पर बना पुल भी बह गया है। प्रशासन
भी खुद को बेबस महसूस कर रहा है। राज्य सरकार अभी तक ये बता पाने में
असमर्थ है कि राज्य में कहां और कितने लोग फंसे या मारे गए हैं।
हालात
गंभीर है। इतने गंभीर की जोशीमठ में पानी अपने साथ 10 होटल बहा ले गया। कई
गाड़ियां बह गई और 10 यात्री लापता हैं। पूरे उत्तराखंड में 100 से ज्यादा
लोग लापता हैं। जबकि मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य
के पूरे 13 जिले बारिश का कहर झेल रहे हैं। पूरे राज्य में 40 हजार से भी
ज्यादा टूरिस्ट जगह-जगह फंसे हुए हैं।
वहीं
हरिद्वार में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। पानी के तेज बहाव
की वजह से ऋषिकेश के ऐतिहासिक राम झूले के एक रस्सा टूट गया। पुल को बंद कर
दिया गया है। ये पुल सालों से ऋषिकेश के दोनों छोरों को जोड़ने का काम तो
कर ही रहा था।
तीन
दिन से लगातार होने वाली बारिश ने सरकार के आपदा प्रबंधन की पोल खोल दी
है। राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग नकारा साबित हो रहा है। भारी बारिश और
सड़कें टूट जाने की वजह से संचार व्यवस्था भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।
खुद राज्य सरकार मान रही है कि इस आफत का सही सही आकलन वो नहीं लगा पाई
है। लेकिन ये पहली बार नहीं हुआ है जब ये देवभूमि इतनी बड़ी मुसीबत में
फंसी है। पिछले साल भी बारिश ने यहां भारी तबाही मचाई थी। लेकिन शायद राज्य
सरकार नींद से जागने के लिए तैयार नहीं है।
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