केदारनाथ धाम में तबाही के बाद की तस्वीरें
यहां के हालात को बखूबी बयान कर रही हैं। पूरा मंदिर पहाड़ से आए सैलाब
में तबाह हो चुका है। मंदिर की सीढ़ियां, चबूतरा, रेलिंग सबका नामोनिशान
मिट गया है। सिर्फ मंदिर की मुख्य इमारत बची है। आसपास के मकान और दुकानें
भी तिनकों की तरह उड़ चुके हैं। मंदिर के आसपास लाशें बिखरी हुई हैं। हर
तरफ बड़े बड़े पत्थर नजर आ रहे हैं जो सैलाब के साथ बहकर आए थे।
जब
IBN-7 संवाददाता केदारनाथ धाम मंदिर पहुंचे तो वहां का मंजर देख सन्न रह
गए। चप्पे-चप्पे पर कुदरत के कहर के निशान बिखरे पड़े हैं। हिंदू आस्था के
प्रतीक केदारनाथ मंदिर में कुदरत ने जो महाविनाश मचाया है। ये तस्वीरें
उसका जीता-जागता सबूत हैं। मंदिर के चबूतरे पर चढ़ते ही आपके होश उड़
जाएंगे। चबूतरे पर हर तरफ बिखरी हैं श्रद्धालुओं की लाश। कुछ तस्वीरें ऐसी
भी हैं जिन्हें हम आपको नहीं दिखा सकते हैं।
केदारनाथ मंदिर के चबूतरे पर जांव गंवा चुके ये वो लोग हैं जिन्होंने
कुदरत के कहर से बचने के लिए महादेव की ओट ली थी। जब बारिश का पानी बाढ़ की
शक्ल में नीचे आया तो आसपास मौजूद लोगों ने ये सोचकर मंदिर में शरण ली थी
कि मंदिर ऊंचाई पर है और पानी यहां तक नहीं पहुंच पाएगा। लेकिन होनी तो कुछ
और ही तय कर चुकी थी। पहाड़ से उतरे सैलाब ने देखते ही देखते विकराल रूप
धर लिया। पानी के साथ मिट्टी का रेला और बड़े-बड़े पत्थर नीचे आने लगे। हर
तरफ ऊंचे पहाड़ और बीच में बसा केदारनाथ मंदिर और मंदिर में फंसे सैकड़ों
श्रद्धालु। देखते ही देखते आसपास का इलाका मिट्टी और पत्थरों से पट गया।
अब
बारी थी महादेव के मंदिर की। कुदरत ने न इंसान को बख्शा और न ही भगवान को।
बाढ़ का पानी मंदिर में घुस गया। जो जहां था, वो वहीं फंसकर रह गया। कुछ
खुशनसीब थे जो जान बचाकर पहाड़ियों की ओर निकल गए। जो नहीं जा पाए उनकी इसी
मंदिर और आसपास के इलाके में जलसमाधि बन गई। मंदिर के चबूतरे पर पड़ी
श्रद्धालुओं की लाशें इसकी गवाह हैं।
आशंका
जताई जा रही है कि बड़ी तादाद में लोग मिट्टी के मलबे में दबे हो सकते
हैं। साथ ही मंदिर के आसपास बने मकानों और दुकानों में भी लाशें हो सकती
हैं। प्रशासन का दावा है कि केदारनाथ मंदिर के आसपास फंसे लोगों को
सुरक्षित निकाला जा चुका है। यानी अब यहां सिर्फ बर्बादी के ये निशान और
चंद अभागे लोगों की लाशें ही बची हैं।
बारिश
और बाढ़ में ये पूरा इलाका बर्बाद हो चुका है। मंदिर का वो चबूतरा जहां
श्रद्धालु लाइन लगाते थे और मंदिर की परिक्रमा करते थे, उस चबूतरे का
नामोनिशान मिट चुका है। अलबत्ता महादेव का सेवक नंदी जरूर अपनी जगह पर
मौजूद है। चबूतरे के चारों तरफ लगी लोहे और कंक्रीट की रेलिंग भी नजर नहीं आ
रही है। जमीन से 10 फीट ऊंचे चबूतरे तक पहुंचाने वाली इन सीढ़ियों का
अस्तित्व भी मिट गया है।
केदारनाथ
धाम में तबाही का ऐसा तांडव मचा है कि मंदिर के आसपास बने दर्जनों मकान और
दुकानों को नामोनिशान तक नहीं दिखता। पानी के रेले में दुकान और मकान कहां
बह गए कोई नहीं जानता। मंदिर के आसपास जो इमारतें थी आज वो खंडहर बन चुकी
हैं। ज्यादातर इमारतें बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी हैं। और जो बची हैं उनमें भी
पहले मंजिल के ऊपर तक मिट्टी का मलबा और छोटे-बड़े पत्थर भरे पड़े हैं।
यहां
पत्थर जमे हैं जो बाढ़ के पानी के साथ पहाड़ों से नीचे आए हैं। जरा सोचिए
जब ये पत्थर धड़धड़ाती रफ्तार से नीचे आए होंगे तो क्या हुआ होगा। इन
पत्थरों के सामने आनी वाली हर चीज मिट्टी में मिल गई होगी। चाहे वो इंसान
हो या इमारतें।
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