गुजरात पुलिस और मोदी के करीबी अमित शाह को
कठघरे में खड़ा करने वाले इशरत जहां मुठभेड़ केस में आज सीबीआई स्टेटस
रिपोर्ट पेश करेगी। सीबीआई ने इस मामले में कुछ और बड़े अधिकारियों की
गिरफ्तारी की तैयारी कर ली है। वहीं पहले से गिरफ्तार अधिकारी जिनको समय से
चार्जशीट दाखिल न कर पाने के चलते जमानत मिल गई थी उन पर भी अपना पक्ष
रखेगी। इस मामले में कुछ राजनैतिक हस्तियों के नाम का भी खुलासा हो सकता
है।
इन
खुलासों को लेकर पुलिस महकमे और राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो
गई है। पिछले एक महीने में सीबीआई ने इस केस के सिलसिले में कई अधिकारियों
से पूछताछ की। बात यहां तक आ गई कि जांच की आंच देश के खुफिया विभाग के
डायरेक्टर तक पहुंच गई। सीबीआई ने आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजिंदर कुमार
की भूमिका को संदिग्ध मानकर उनसे पूछताछ की।
सूत्रों
के मुताबिक सीबीआई के पास कुछ कॉल डिटेल्स हैं जिससे साफ हो जाता है कि
राजिंदर कुमार एनकाउंटर के दौरान आरोपी अधिकारियों के संपर्क में थे।
राजिंदर कुमार पर 10 जून से 15 जून तक आरोपी अधिकारी बंजारा से 37 बार
बातचीत के आरोप हैं। राजिंदर कुमार पर एनकाउंटर के दिन भी बंजारा से बातचीत
के आरोप हैं।
सीबीआई
को राजिंदर कुमार की गिरफ्तारी की मंजूरी मिलने के बाद आईबी और सीबीआई
आमने सामने आ गए हैं। इस मामले में आईबी डायरेक्टर इब्राहिम ने नाराजगी
जताते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में गुहार लगाई है। सीबीआई राजिंदर कुमार
से इस सिलसिले में शनिवार को दोबारा पूछताछ करना चाहती थी। लेकिन राजिंदर
कुमार ने अपने पिता की खराब सेहत का हवाला देकर अगले हफ्ते पूछताछ के लिए
आने की बात कही।
सीबीआई
के लिए चुनौती ये है कि खुफिया विभाग के इनपुट को फर्जी साबित करने में
देश की प्रमुख एजेंसी से सीधी टक्कर की नौबत आ रही है। बावजूद इसके सीबीआई
के रुख को देखे तो लग रहा है कि सीबीआई हर हाल में मुठभेड़ की तह तक जाने
को तैयार है।
दूसरी
तरफ सीबीआई ने दो पूर्व डीजीपी को भी गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछा रखा
है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई डीजीपी पीपी पांडे को भगोड़ा घोषित करने की
मांग करेगी। डीजीपी आर कौशिक की गिरफ्तारी के लिए भी समन भेजा गया है।
कौशिक से पूछताछ के बाद CBI को उनके खिलाफ भी सबूत मिले हैं।
सीबीआई
सूत्रों की माने तो इशरत जहां एनकाउंटर की जानकारी आरोपी अधिकारियों के
राजनीतिक आकाओं को पहले से थी। इससे जुड़े सभी सबूत कोर्ट में रखे जाएंगे।
इसकी आंच तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह तक भी पहुंच सकती है। सूत्रों
के मुताबिक अमित शाह ने एनकाउंटर से पहले और बाद कुल 8 बार बंजारा से
बातचीत की थी। एनकाउंटर के दिन भी अमित शाह ने बंजारा से 2 बार बातचीत की
थी। इसके आलावा खास नंबर से आरोपी अधिकारियों से बातचीत करने वाले का भी
खुलासा हो सकता है।
मुठभेड़
में मारे गए चारो लोग आतंकी थे या नहीं उस दिशा में नहीं बल्कि चारों पहले
से पुलिस कस्टडी में थे यह साबित करने में सीबीआई लगी है। गौरतलब है कि
सीबीआई जांच से पहले इसी मामले की जांच कर रही एसआईटी कोर्ट में यह दावा कर
चुकी है की यह मुठभेड़ फर्जी थी।
सीबीआई
एनकाउंटर के आरोपी गिरफ्तार अधिकारियों के खिलाफ 90 दिन में चार्जशीट दायर
करने में नाकाम रही। जिससे चार आरोपी पुलिस अधिकारी और एक कमांडो को
डीफॉल्ट जमानत मिल गई। कानूनी तौर पर सीबीआई के लिए ये बड़ा झटका था। अब
कोर्ट के सामने ये खुलासा होगा कि गिरफ्तार अधिकारियों के खिलाफ कितने ठोस
सबूत थे।
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