उत्तराखंड से गम और खुशी दोनों खबरों की
लगातार दस्तक आ रही है। जबलपुर से 70 परिवार चार धाम की यात्रा के लिए
निकला था, उनमें से कुछ ही लोग वापस आए हैं। लेकिन ज्यादातर की सांसे हल्क
में अटकी हुई हैं। वहीं हैदराबाद से गए 22 लोगों में से 12 अब भी लापता
हैं। उनमें से एक परिवार खुशकिस्मत नहीं था, उस परिवार के लिए उत्तराखंड से
बुरी खबर आई।
जैसे-जैसे
वक्त गुजर रहा है, दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही है उम्मीद बरकरार है अपनों
की बस एक आवाज के लिए तरस रहे हैं ये लोग। कहीं से सलामती की कोई एक खबर आ
जाए, 24 घंटे इनकी आंखें टीवी पर टकटकी लगाए रहती हैं। हाथों की उंगलियां
रिमोट पर लगातार रहती हैं एक चैनल से दूसरे चैनल इस उम्मीद में कि किसी
चैनल पर कहीं कोई अपना दिख जाए। जबलपुर की सविता देवी की चार बहनें अपने
परिवर के साथ चारों धाम की यात्रा पर गईं हैं। आखिरी बार जब वो गंगोत्री
में थीं तब बात हुई थी, तब से उनका कोई अता-पता नहीं है। अब सिर्फ ईश्वर पर
ही भरोसा है।
जबलपुर
से करीब 70 परिवार चार धाम की यात्रा पर गया था। अब तक करीब 30 परिवार ही
वापस लौटा है। लेकिन बाकियों को अभी भी अपनों का इंताजर है। यहीं के रहने
वाले गणेश जाट का पूरा परिवार उत्तराखंड की यात्रा पर गया था। अब तक नहीं
लौटा। उत्तराखंड की त्रासदी ने धर्म की सीमाओं को भी तोड़ दिया है, लोगों
की सलामती के लिए जबलपुर में एक तरफ रामायण का पाठ हो रहा है तो दूसरी तरफ
मस्जिदों में नमाज हो रही है।
सब
मिलकर दुआ कर रहे हैं कि जो लोग फंसे हुए हैं वो सकुशल अपने घर लौट आएं।
मध्यप्रदेश के सहस्त्र धारा में बचाए गए लोगों को लाया जा रहा है। यहां पर
उन लोगों के परिजन जुट रहे हैं जिनका पता नहीं चल पा रहा है। हाथो में
तस्वीरें लेकर वो अपनों की तलाश कर रहे हैं।
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