इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामला
चक्रव्यूह में फंसा नजर आ रहा है। आईबी के साथ टकराहट की खबरों के बीच
सीबीआई ने शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की। कोर्ट
ने सीबीआई को वक्त पर चार्जशीट ना फाइल करने के लिए फटकार लगाई। साथ ही ये
नसीहत भी दी कि वो जल्द पता लगाए कि क्या पुलिस कस्टडी में इशरत की हत्या
की साजिश रची गई। इस मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के
करीबी अमित शाह भी कठघरे में हैं लेकिन आईबी और सीबीआई के बीच इस केस को
लेकर तकरार की खबरों ने सीबीआई जांच पर सवाल उठा दिए हैं।
कोर्ट
ने सीबीआई से पूछा कि आखिर वो चार्जशीट कब फाइल करेगी? चार्जशीट अब तक
फाइल क्यों नहीं कर पाई? सीबीआई इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई लेकिन
उसने कहा कि जुलाई के पहले हफ्ते में वो चार्जशीट फाइल कर देगी। कोर्ट ने
सीबीआई को इससे एक हफ्ता और ज्यादा दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस बात के
कोई मायने नहीं हैं कि वो आतंकवादी थे या नहीं। अगर वो मौत से पहले पुलिस
कस्टडी में थे तो उसमें किसने भूमिका निभाई थी उसका नाम सामने आना चाहिए।
आपको आईबी के डाटा की सत्यता जांचने की जरूरत नहीं है।
वकील
वृंदा ग्रोवर के मुताबिक सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि एक ज्यादा बड़ी साजिश
दिख रही है। स्टेट की तरफ से कोशिश की जा रही है सीबीआई की जांच को गलत
ठहराने के लिए। बहरहाल कोर्ट में मीडिया रिपोर्ट पर भी बहस हुई। मामले की
सुनवाई मंगलवार तक टल गई। लेकिन सवाल है कि आखिर वो क्या विवाद है जो कोर्ट
तक पहुंच गया। असल में पिछले एक महीने में सीबीआई ने इस केस के सिलसिले
में कई अधिकारियों से पूछताछ की। नौबत यहां तक आ गई कि जांच की आंच देश के
खुफिया विभाग के डायरेक्टर तक पहुंच गई। सीबीआई ने आईबी के स्पेशल
डायरेक्टर राजिंदर कुमार की भूमिका को संदिग्ध मानकर उनसे पूछताछ की।
सूत्रों
के मुताबिक सीबीआई के पास कुछ कॉल डिटेल्स हैं। इससे साफ हो जाता है कि
राजिंदर कुमार एनकाउंटर के दौरान आरोपी अधिकारियों के संपर्क में थे।
राजिंदर कुमार पर 10 जून से 15 जून तक आरोपी अधिकारी बंजारा से 37 बार
बातचीत के आरोप हैं। राजिंदर कुमार पर एनकाउंटर के दिन भी बंजारा से बातचीत
के आरोप हैं।
सीबीआई
को राजिंदर कुमार की गिरफ़्तारी की मंजूरी मिलने के बाद आईबी और सीबीआई
आमने-सामने आ गए हैं। इस मामले में आईबी डायरेक्टर इब्राहिम ने नाराजगी
जताते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में गुहार लगाई है। सीबीआई राजिंदर कुमार
से इस सिलसिले में शनिवार को दोबारा पूछताछ करना चाहती थी लेकिन राजिंदर
कुमार ने अपने पिता की खराब सेहत का हवाला देकर अगले हफ्ते पूछताछ के लिए
आने की बात कही।
सीबीआई
के लिए चुनौती ये है कि खुफिया विभाग के इनपुट को फर्जी साबित करने में
देश की प्रमुख एजेंसी से सीधी टक्कर की नौबत आ रही है, बावजूद इसके सीबीआई
के रुख को देखें तो लग रहा है कि वो हर हाल में मुठभेड़ की तह तक जाने को
तैयार है। दूसरी तरफ सीबीआई ने दो पूर्व डीजीपी को भी गिरफ्तार करने के लिए
जाल बिछा रखा है। सूत्रों के मुताबिक CBI डीजीपी पीपी पांडे को भगोड़ा
घोषित करने की मांग करेगी। डीजीपी आर कौशिक की गिरफ्तारी के लिए भी समन
भेजा गया है। कौशिक से पूछताछ के बाद CBI को उनके खिलाफ भी सबूत मिले हैं।
सीबीआई
सूत्रों की मानें तो इशरत जहां एनकाउंटर की जानकारी आरोपी अधिकारियों के
राजनीतिक आकाओं को पहले से थी। इससे जुड़े सभी सबूत कोर्ट में रखे जाएंगे।
इसकी आंच तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह तक भी पहुंच सकती है। सूत्रों
के मुताबिक अमित शाह ने एनकाउंटर से पहले और बाद में कुल 8 बार बंजारा से
बातचीत की थी। एनकाउंटर के दिन भी अमित शाह ने बंजारा से 2 बार बातचीत की
थी। इसके अलावा खास नंबर से आरोपी अधिकारियों से बातचीत करने वाले का भी
खुलासा हो सकता है।
मुठभेड़
में मारे गए चारों लोग आतंकी थे या नहीं उस दिशा में नहीं बल्कि चारों
पहले से पुलिस कस्टडी में थे यह साबित करने में सीबीआई लगी है। गौरतलब है
कि सीबीआई जांच से पहले इसी मामले की जांच कर रही एसआईटी कोर्ट में यह दावा
कर चुकी है की यह मुठभेड़ फर्जी थी।
सीबीआई
एनकाउंटर के आरोपी गिरफ्तार अधिकारियों के खिलाफ 90 दिन में चार्जशीट दायर
करने में नाकाम रही जिससे चार आरोपी पुलिस अधिकारी और एक कमांडो को
डीफॉल्ट जमानत मिल गई। कानूनी तौर पर सीबीआई के लिए ये बड़ा झटका था। सवाल
ये कि क्या अब कोर्ट में सीबीआई अपनी जांच को सही साबित करने में कामयाब
होगी।
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