अब
हम कुछ नहीं कह रहे है मुसलमान खुद बोल रहे है की काबा हिन्दू मंदिर था
बहा पर यज्ञ होते थे .... श्री राम जी वह पर राक्षसों से यज्ञ की रक्षा के
लिए मक्का (काबा ) गए थे अनवर जमाल भी येही बोल रहा है की कुरान में वेदों
का ज्ञान है और उनके बारे में
बोला गया है ..लेकिन बो अपनी संकिन बुद्धि का प्रयोग करके मुहम्मद को
विष्णु अबतार बताने में लगा है जब की ये गलत है ये वेदों में भी सिद्ध है
की मुहम्मद शैतान था .... और ये जो पद चिन्ह है ये श्री राम या वावन अवतार
के हो सकते है क्युकि इस्लाम में तो पद चिन्ह की पूजा निषेद है और आप खुद
देख सकते है चित्र में की पदचिन्ह पर चन्दन , रोली से पूजा होती है और
चिन्ह के ऊपर घंटी नुमा भी लग रहा है जो इस्लाम के खिलाफ है .......
हिंदुस्तान से भी लोग वहां जाते थे। मक्का को भारतीय लोग मख के नाम से जानते हैं। यज्ञ के पर्यायवाची के तौर पर ‘मख‘ शब्द भी बोला जाता है जैसा कि तुलसीदास ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हेतु श्री रामचंद्र जी के जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि
*प्रात कहा मुनि सन रघुराई। निर्भय जग्य करहु तुम्ह जाई॥
होम करन लागे मुनि झारी। आपु रहे मख कीं रखवारी॥1॥
भावार्थ:-सबेरे श्री रघुनाथजी ने मुनि से कहा- आप जाकर निडर होकर यज्ञ कीजिए। यह सुनकर सब मुनि हवन करने लगे। आप (श्री रामजी) यज्ञ की रखवाली पर रहे॥1॥
'मख‘ शब्द वेदों में भी आया है और मक्का के अर्थों में ही आया है। यज्ञ को यज भी कहा जाता है। दरअस्ल यज और हज एक ही बात है, बस भाषा का अंतर है। पहले यज नमस्कार योग के रूप में किया जाता था और पशु की बलि दी जाती थी। काबा की परिक्रमा भी की जाती थी। बाद में यज का स्वरूप बदलता चला गया। हज में आज भी परिक्रमा, नमाज़ और पशुबलि यही सब किया जाता है और दो बिना सिले वस्त्र पहने जाते हैं जो कि आज भी हिंदुओं के धार्मिक गुरू पहनते हैं।
क़ुरआन ने यह भी बताया है कि मक्का का पुराना नाम बक्का है ,
- अनवर जमाल
डा. श्याम गुप्त said.............
---मक्का निश्चय ही ’मख’ का अपभ्रन्श रूप होसकता है....अति-पुरा काल में सारा अरब प्रदेश, अफ़्रीका, तिब्बत , साइबेरिया , एशिया एक ही भूखन्ड था..जन्बू द्वीप या भरत खन्ड...भारत...अत:भारत का उत्तर-पश्चिमी भाग ... अरबप्रदेश वाला भारतीय भूभाग मानव का प्रथम पालना रहा होगा जहां से मानव इतिहास की प्रथम सन्स्क्रिति व प्रथम यग्य प्रारम्भ हुई होगी ..शायद जल-प्रलय से पहले ..
"मरूतगण का अर्थ मरूस्थलवासी है।"---सही नही है ...मरुत..वायुदेव को कहते हैं..मरुतगण का वायु देव की सेना ..जिसमें मेघ,वर्षा आदि भी सम्मिलित हैं...
--वैदिक युग में यग्य में पशु बलि नहीं दी जाती थी ...बाद में असन्स्कारित, अवैदिक सन्स्क्रिति के लोगों ने यह पशु वध आदि अरम्भ्य किया होगा.
हिंदुस्तान से भी लोग वहां जाते थे। मक्का को भारतीय लोग मख के नाम से जानते हैं। यज्ञ के पर्यायवाची के तौर पर ‘मख‘ शब्द भी बोला जाता है जैसा कि तुलसीदास ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हेतु श्री रामचंद्र जी के जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि
*प्रात कहा मुनि सन रघुराई। निर्भय जग्य करहु तुम्ह जाई॥
होम करन लागे मुनि झारी। आपु रहे मख कीं रखवारी॥1॥
भावार्थ:-सबेरे श्री रघुनाथजी ने मुनि से कहा- आप जाकर निडर होकर यज्ञ कीजिए। यह सुनकर सब मुनि हवन करने लगे। आप (श्री रामजी) यज्ञ की रखवाली पर रहे॥1॥
'मख‘ शब्द वेदों में भी आया है और मक्का के अर्थों में ही आया है। यज्ञ को यज भी कहा जाता है। दरअस्ल यज और हज एक ही बात है, बस भाषा का अंतर है। पहले यज नमस्कार योग के रूप में किया जाता था और पशु की बलि दी जाती थी। काबा की परिक्रमा भी की जाती थी। बाद में यज का स्वरूप बदलता चला गया। हज में आज भी परिक्रमा, नमाज़ और पशुबलि यही सब किया जाता है और दो बिना सिले वस्त्र पहने जाते हैं जो कि आज भी हिंदुओं के धार्मिक गुरू पहनते हैं।
क़ुरआन ने यह भी बताया है कि मक्का का पुराना नाम बक्का है ,
- अनवर जमाल
डा. श्याम गुप्त said.............
---मक्का निश्चय ही ’मख’ का अपभ्रन्श रूप होसकता है....अति-पुरा काल में सारा अरब प्रदेश, अफ़्रीका, तिब्बत , साइबेरिया , एशिया एक ही भूखन्ड था..जन्बू द्वीप या भरत खन्ड...भारत...अत:भारत का उत्तर-पश्चिमी भाग ... अरबप्रदेश वाला भारतीय भूभाग मानव का प्रथम पालना रहा होगा जहां से मानव इतिहास की प्रथम सन्स्क्रिति व प्रथम यग्य प्रारम्भ हुई होगी ..शायद जल-प्रलय से पहले ..
"मरूतगण का अर्थ मरूस्थलवासी है।"---सही नही है ...मरुत..वायुदेव को कहते हैं..मरुतगण का वायु देव की सेना ..जिसमें मेघ,वर्षा आदि भी सम्मिलित हैं...
--वैदिक युग में यग्य में पशु बलि नहीं दी जाती थी ...बाद में असन्स्कारित, अवैदिक सन्स्क्रिति के लोगों ने यह पशु वध आदि अरम्भ्य किया होगा.
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