इस साल सोना 31,000 रुपये के स्तर से लुढ़क
कर 25,500 रुपये तक आ गया है। वहीं चांदी 61,000 रुपये प्रति किलो के स्तर
से टूटकर 43,000 रुपये के स्तर पर आ गई है। सोने में गिरावट से सेंट्रल
बैंकों को करीब 560 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
जिम
रोजर्स के मुताबिक सोने में थोड़ी और गिरावट आने पर ही खरीदारी का मौका
बनेगा। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना 1,300 या 1,200 डॉलर के स्तर पर आने
पर ही खरीदारी की रणनीति बनाई जा सकती है। लेकिन सोना और कच्चे तेल में
गिरावट भारत के लिहाज से काफी अच्छा है।
दिग्गज
ब्रोकरेज हाउसेज ने भी आगे सोने में गिरावट की आशंका जताई है। गोल्डमैन
सैक्स के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना 1,270 डॉलर प्रति औंस तक
टूट सकता है। यूबीएस के मुताबिक भी सोना 1,270 डॉलर प्रति औंस, जबकि
सीएलएसए का मानना है कि सोना 1,200 डॉलर तक आ सकता है।
इस
बीच कमोडिटी गुरू जिम रोजर्स का कहना है कि आगे भी सोने में गिरावट संभव
है। साइप्रस की ओर से सोने में बिकवाली की वजह से सोने में ज्यादा गिरावट
हावी हुई है। वहीं सोने में लंबे समय से गिरावट आने की गुंजाइश बनी हुई थी।
इसके अलावा इस साल जर्मनी में होने वाले चुनाव भी सोने में बिकवाली का एक
कारण रहा है।
भारत
की अर्थव्यवस्था को लेकर जिम रोजर्स का कहना है कि भारतीय बाजार में
खरीदारी का रुख नहीं कर रहे हैं। मौजूदा माहौल में रूस के बाजारों में
खरीदारी का मौका नजर आ रहा है। अमेरिकी इकोनॉमी में रिकवरी पर भरोसा नहीं
है। वहीं भारत और चीन की दिक्कतों को देखते हुए भविष्य में पानी में निवेश
काफी बेहतरीन साबित हो सकता है।
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