चिटफंड कंपनियों की ठगी के खिलाफ पश्चिम
बंगाल में गुस्सा भड़क गया है। लोगों का पैसा बटोरकर भागी सारधा ग्रुप की
चिटफंड कंपनी के एजेंट खासतौर पर लोगों के निशाने पर हैं। इसी के साथ ममता
सरकार के खिलाफ भी गुस्सा बढ़ रहा है जिसके शारदा ग्रुप से अच्छे रिश्ते
हैं। परेशान सरकार ने चिटफंड कंपनियों के कामकाज की उच्च स्तरीय जांच के
लिए एसआईटी का कर दिया है। लेकिन पंचायत चुनाव को देखते हुए लेफ्ट
पार्टियां हमलावर हो गई हैं।
पश्चिम
बंगाल में जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। कहीं निशाने पर चिटफंड
कंपनियां, तो कहीं उनके एजेंट जो जनता के गुस्से के शिकार हो रहे हैं।
सिलिगुड़ी से लेकर कोलकाता तक यही मंजर है। कोलकाता के मेयो रोड पर
प्रदर्शन कर रहे ये एजेंट सारधा ग्रुप की चिटफंड कंपनी के हैं जो हाल ही
में चंपत हो गई है। ये एजेंट काफी डरे हुए हैं। उनका कहना है कि सारधा
ग्रुप का रिश्ता टीएमसी सरकार के कई नेताओं और मंत्रियों से था, इसलिए
उन्होंने पैसा जमा कराया था।
महिला
एजेंट उज्जवला ने रोते हुए बताया कि हमने पैसा टीएमसी मंत्रियों को देख कर
जमा किया था क्योंकि ये लोग कंपनी से जुड़े रहते थे अब जब पैसा डूब गया तो
कह रहे हैं के हमने तो नहीं कहा था के पैसा जमा करो।
वैसे
चिटफंड कंपनियों का भाग जाना पश्चि बंगाल के लिए कोई नई बात नहीं है।
लेकिन सारधा ग्रुप की खबर ने सबको चौंका दिया है। इस ग्रुप को मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी का खुला समर्थक माना जाता है। इस ग्रुप के चैनल और अखबारों की
कुल आठ युनिट थीं। ये भी बिना नोटिस दिए बंद कर दी गई हैं। इससे करीब 1400
लोग अचानक बेरोजगार हो गए हैं। इस ग्रुप के सीएमडी पत्रकार कल्याण घोष को
ममता बनर्जी ने राज्यसभा में भेजा था। जाहिर है, वे भी निशाने पर हैं।
हालांकि उनका दावा है कि वे सिर्फ एक कर्मचारी की हैसियत से सारधा ग्रुप से
जुड़े थे।
जाहिर
है, सरकार के लिए पल्ला झाड़ना मुश्किल हो गया है। बहरहाल, सारधा ग्रुप के
डायरेक्टर मनोज कुमार नागेल को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी ने कहा है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए एसआईटी बना दी
गई है।
ममता
बनर्जी चाहती हैं कि सारा ठीकरा केंद्र सरकार या पूर्व वामपंथी सरकार पर
फोड़ा जाए, लेकिन लोग सारधा ग्रुप और उनकी नजदीकी से वाकिफ हैं। ऐसे में
लेफ्ट ने भी हमला तेज कर दिया है। दूसरी ओर सीपीएम नेता असीम दासगुप्ता ने
कहा कि हम लोगों ने सिक्रेट ऑपरेशन कर इन कंपनियों को रोक दिया था। लेकिन
इस सरकार ने ऐसा कुछ नही किया।
वैसे,
सारधा ग्रुप इस चिटफंड कंपनी के भागने ने टीएमसी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत
खड़ी कर दी है। पंचायत चुनाव सामने है और ठगे गए ज्यादातर लोग ग्रामीण
इलाकों के है। लेफ्ट पार्टियां इस मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहतीं।
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