Friday, April 19, 2013

आखिरकार गिरफ्तार हुए 'भगोड़े' परवेज मुशर्रफ

पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ को गिरफ्तार कर लिया गया है. मुशर्रफ पर इमरजेंसी के दौरान 60 जजों को नजरबंद करने का आरोप है. उन्‍हें कैद करके उनके ही फार्म  हाउस में  रखा गया है. पुलिस अधिकारियों ने 69 वर्षीय पूर्व सैन्य शासक को शुक्रवार सुबह गिरफ्तार किया, फिर उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद अब्बास शाह की अदालत ले जाया गया. जज से पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मुशर्रफ की हिरासत की जरूरत नहीं है और उन्हें न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है.
कोर्ट से भागने पर मजिस्‍ट्रेट ने मुशर्रफ को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, 'आप कल कोर्ट से कैसे भाग गए? आपने अदालत की तौहीन की है. आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था.' मुशर्रफ को 2 दिन बाद एंटी टेररिस्‍ट कोर्ट में पेश किया जाएगा.
बहरहाल, उन कई लोगों के वकीलों ने मुशर्रफ को पुलिस हिरासत में रखे जाने पर जोर दिया, जिन लोगों ने वर्ष 2007 में आपातकाल लागू करने और सुप्रीम कोर्ट के 60 से अधिक सदस्यों को हिरासत में रखे जाने को लेकर मुशर्रफ के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं.
मुशर्रफ को क्‍यों न लगी हथकड़ी?इन वकीलों ने यह भी सवाल किया कि मुशर्रफ को पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद हथकड़ियां क्यों नहीं लगाईं. मुशर्रफ के वकील कमर अफजल ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को न्यायिक हिरासत में रखा जाना चाहिए, क्योंकि उनकी (मुशर्रफ की) जान को गंभीर खतरा है. मजिस्ट्रेट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. मुशर्रफ कुछ देर फैसले का इंतजार करने के बाद अदालत परिसर से चले गए.
टेलीविजन पर दिखाए गए फुटेज में दर्जनों पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बल के जवान मुशर्रफ को जज के छोटे से ऑफिस में ले जाते नजर आए. फुटेज में सलवार कमीज और जैकेट पहने मुशर्रफ परेशान दिखे.
सूत्रों ने बताया कि अथॉरिटी ने मुशर्रफ को न्यायिक हिरासत में रखे जाने के लिए कहा था, क्योंकि ऐसा करने पर इस्लामाबाद का प्रशासन चक शहजाद स्थित उनके फार्म हाउस को ‘उप जेल’ घोषित कर वहां पूर्व सैन्य शासक को हिरासत में रख सकेगा. अथॉरिटी इसी उपाय पर अधिक जोर दे रही है, क्योंकि मुशर्रफ की जान को खतरा देखते हुए अधिकारी उन्हें जेल में नहीं रखना चाहते.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान जब अदालत ने जब उनकी गिरफ्तारी का आदेश सुनाया था, तो मुशर्रफ बड़ी तेजी से अपने फार्महाउस में चले गए थे.
मुशर्रफ इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में स्थित अपने फार्महाउस में मौजूद थे. पहले मुशर्रफ को उनके फार्महाउस में ही नजरबंद बनाने की तैयारी चल रही थी. बाद में मुशर्रफ की सुरक्षा को वहां से हटाया गया, फिर उन्‍हें गिरफ्तार किया गया.
पाकिस्तान को अपनी ऊंगली पर नचाने वाला 70 साल का 'पूर्व तानाशाह' व 'जनरल' सत्ता का स्वाद चखने आया था, लेकिन समय के घूमते चक्र ने उसे विश्व सैन्य इतिहास के सबसे कायर जनरलों की कतार में खड़ा कर दिया है.
क्‍या है पूरा मामला...पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ ये मामला जजों को नजरबंद करने से जुड़ा है. नवंबर 2007 में मुशर्रफ ने 60 जजों को नजरबंद करवा दिया था. पाकिस्तान के चीफ जस्टिस इफ्तेखार मुहम्मद चौधरी भी नजरबंद किए गए जजों में शामिल थे.
अगस्त 2009 में चौधरी मुहम्मद गुलाम नाम के एक वकील ने मुशर्रफ के खिलाफ़ एफआईआर लिखाई थी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी.
जब मुशर्रफ पाकिस्तान से बाहर थे, तब इसी मामले में निचली अदालत ने मुशर्रफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और कई आदेशों के बाद भी अदालत में पेश न होने पर उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था और अदालत ने पिछले साल 19 दिसंबर को मुशर्रफ के नाम वारंट जारी किया था.
मुशर्रफ के वकील ने अदालत को बताया था कि देश से बाहर होने के कारण वह अदालत में पेश नहीं हो सकते. बाद में मुशर्रफ को अस्थायी जमानत मिल गई और इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उनकी जमानत अवधि 18 अप्रैल तक बढ़ा दी थी. बाद में इसी दिन हाईकोर्ट ने मुशर्रफ की अर्जी खारिज कर दी और उनकी गिरफ्तारी का फरमान जारी कर दिया.
गौरतलब है कि मुशर्रफ देश पर आपातकाल थोपने, देशद्रोह, पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या और बलूच नेता नवाब अकबर बुगती की 2006 में हुई हत्या के आरोपों का सामना कर रहे हैं.



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