Tuesday, April 30, 2013

23 साल पहले गलती से पाकिस्तान में सरबजीत ने रखा कदम!

भिखिविंड, पंजाब के तरणतारण जिले का छोटा सा कस्बा, 23 साल पहले इसी कस्बे का एक नौजवान गलती से पाकिस्तान गया। अब वो पाकिस्तान के अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। सरबजीत का ये कस्बा गुस्से में है। पाकिस्तान में सरबजीत पर हुए हमले ने इस कस्बे में रहने वालों लोगों को हिला दिया है। लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन दिल में एक ही डर है सरबजीत का इलाज पाकिस्तान में अच्छे से नहीं होगा। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान इलाज ही क्यों करना चाहेगा? असल में तो सरबजीत की हत्या की साजिश ही जेल अधिकारियों के मिलीभगत से की गई।
कस्बा भीखीविंड में लोगों ने पाकिस्तान का पुतला फूंका। लोगों का कहना है कि पाक सरबजीत के परिवार और भारत का बेवकूफ बना रहा है। लोग सरबजीत के लिए दुआ मांग रहे हैं। भारत सरकार पर नरमी के आरोप बरत रहे हैं। पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। सरकार का कहना है कि वो कोशिशें कर रही हैं। लेकिन मांग इससे ज्यादा की हो रही है। मांग सरबजीत के विदेश में इलाज कराने की हो रही हैं।
23 साल पहले गलती से पाकिस्तान में सरबजीत ने रखा कदम!
बीजेपी नेता बलबीर पुंज के मुताबिक कुछ समय पहले भी ऐसा ही हुआ था पर अगर तभी भारत नें कठोरता से पूरे मसले को एड्रेस किया होता तो आज शायद सरबजीत के साथ ऐसा न होता। सरबजीत को तुरंत भारत वापस लाना चाहिए और यहां पर ठीक तरह से उसका इलाज कराना चाहिए। वहीं जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी के मुताबिक इसकी पूरी जवाबदेही पाकिस्तान की है। पाकिस्तान की सरकार को खेद व्यक्त करना चाहिए।



भारत सरकार इस पूरे मामले पर सिर्फ गंभीरता से नजर बनाए रखने के अलावा कुछ और करती नजर नहीं आ रही है। हांलाकि वो विपक्ष को ये सलाह भी दे रही है कि इस मसले पर वो सियासत ना करे। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला के मुताबिक सरबजीत पर राजनैतिक फायदा लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बेहतर यह होगा की हम यह कोशिश करें की सरबजीत के परिवार को फायदा कैसे हो। लेकिन फिलहाल तो सरबजीत का परिवार पाकिस्तान में भटकता नजर आ रहा है। वो इंसाफ की गुहार लगा रहा है। सरबजीत की सलामती की दुआ कर रहा है। क्या पाकिस्तान सरकार पर इस गुहार को कोई असर होगा।
मालूम हो कि सरबजीत पर हमले ने पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीयों की सुरक्षा का मुद्दा गरमा दिया है। सरबजीत को पाकिस्तान की सरकार जासूस कहती है, और सरबजीत का कहना है कि भटक कर पाकिस्तान की सीमा में चला गया। सच क्या है पता नहीं, लेकिन खुफिया एजेंसियों के शह और मात के खेल में जीते जागते इंसानों को दोनो ही देश भुलाते रहे हैं।
जिंदगी और मौत के बीच झूलते सरबजीत सिंह को पाकिस्तान भारत का जासूस कहता है। उसके परिवार का दावा है कि उसे गलत पहचान की सजा मिली। उसे जिस धमाके के लिए सजा मिली-वो मनजीत नाम के शख्स ने किया था। सरबजीत के साथ गलत पहचान की ये दास्तां पिछले साल जून 2012 में भी दोहराई गई। खबर आई कि तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सरबजीत को माफी दे दी, उसे छोड़ दिया जाएगा। लेकिन पहचान बदलते देर नहीं लगी। सरबजीत की जगह छोड़ा गया सुरजीत सिंह। वतन से लौटते ही सुरजीत ने ये कह कर धमाका कर दिया कि वो पाकिस्तान में भारत का जासूस था। खुफिया जानकारी जुटाने के लिए वो 85 बार पाकिस्तान गया-लेकिन 86वीं बार पकड़ा गया।
सुरजीत का दावा सही है या गलत कोई नहीं जानता लेकिन उसके बयान ने भारत पाकिस्तान के बीच चलने वाले जासूसी के खेल को सुर्खियों में ला दिया। ये वो कहानी है जिसके बारे में Raw के पूर्व अधिकारी बी रमन ने तफ्सील से खुलासा किया है।उन्होंने खुलासा किया है कि राजीव गांधी ने ऑर्डर दिया था कि हर बार जब यहां दहशतगर्द हमले होते थे, तो पाकिस्तान में इसके जवाबी हमले होने चाहिए। पाकिस्तान की जेलों में बंद ज्यादातर भारतीय कैदी 80 और 90 के शुरुआती दशक में वहां पकड़े गए थे। यही वो दौर था जब भारत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का फैलाया खालिस्तानी आतंकवाद चरम पर था।
जानकारों की मानें तो इसका जवाब देने के लिए भारतीय खुफिया एजेंसी RAW ने दो खुफिया ऑपरेशन ग्रुप बनाया। पहले ग्रुप काउंटर इंटेलिजेंस टीम-X को पाकिस्तान में आम जगहों पर जवाबी हमलों की जिम्मेदारी दी गई। दूसरे ग्रुप काउंटर इंटेलिजेंस टीम-J को खालिस्तानी आतंकियों और टार्गेट पर हमले का जिम्मा मिला। जानकारों का कहना है कि इस मकसद के लिए बहुत से लोगों को जासूसी की ट्रेनिंग दी गई, कई मिशन में कामयाब रहे, बहुत से पकड़े गए, लेकिन कोई नहीं जानता कि सरबजीत, सुरजीत जैसे तमाम कैदी इस प्लान का हिस्सा थे या नहीं। हालांकि सुरजीत की मानें तो पकड़े जाने के बाद तमाम जासूसों को भुला दिया गया, उन्हें पाकिस्तानी जेलों में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया।

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