हरियाणा में शिक्षकों की भर्ती के मामले
में चौटाला सरकार के बाद हुड्डा सरकार भी फंसती दिख रही है। यहां बीते 6
सालों में करीब 15 हजार शिक्षकों की भर्ती पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है
कि इन शिक्षकों की भर्ती के लिए लोगों से लाखों रुपये घूस लिए गए। इतना ही
नहीं हाईकोर्ट के दखल के बाद प्रदेश में करीब 7 हजार दूसरे शिक्षकों का
भविष्य भी अधर में लटक गया है। भिवानी जिले के रहनेवाले आनंद का आरोप है कि
2011 में टीचर की नौकरी के लिए उनसे 5 लाख रुपए घूस ली गई थी। बाद में
उन्होंने इस भ्रष्टाचार की शिकायत स्थानीय पुलिस, सीबीआई और फिर हाईकोर्ट
से की। लेकिन उनका कहना है कि सरकार ने मामले की जांच कराने की जगह उन्हें
नौकरी से ही सस्पेंड कर दिया।
हरियाणा
में अब भी 35 हजार ऐसे बेरोजगार हैं, जिनका शिक्षक पात्रता परीक्षा पास
करने के बावजूद नौकरी के लिए आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। इनकी जगह पर
हरियाणा सरकार 6 साल पहले भर्ती किए गए 15 हजार गेस्ट टीचरों से ही काम ले
रही है। गौरतलब है कि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही
हरियाणा सरकार को गेस्ट टीचरों की जगह पर मापदंडों के आधार पर दोबारा
नियुक्ति करने का आदेश दे चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 30 मार्च 2012 को
हरियाणा सरकार को आदेश दिया था कि वो 322 दिन के भीतर 15 हजार टीचरों के
पदों पर मापदंडों के आधार पर नियुक्ति करे। मापदंड था आवेदकों का टीचर
पात्रता परीक्षा में पास होना। बावजूद इसके हरियाणा सरकार अब तक टीचरों की
भर्ती शुरू नहीं कर सकी है। सरकार के इस रवैये के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में
अदालत की अवमानना का केस भी चल रहा है।
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