देश के एडिशनल सॉलीसिटर जनरल हरिन
रावल इस्तीफा दे सकते हैं। उन्होंने अटॉर्नी जनरल पर सीबीआई रिपोर्ट में
बदलाव कराने के आरोप लगाए थे। गौरतलब है कि रावल ने सॉलीसिटर जनरल वाहनवती
को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि कोयला घोटाले में उन्हें बलि का बकरा बनाया
जा रहा है।
वहीं
एएसजी के बयान पर सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी का कहना है कि मामला
न्यायालय में है। उन्होंने कहा कि संसद एक आदमी की वजह से ठप नहीं है।
विपक्ष नहीं चाहता है कि संसद की कार्यवाही चले। वहीं वकील माजिद मेमन के
मुताबिक जो कानूनी अधिकारियों के बीच विभेद सामने आ रहे हैं। उन्हें अपने
बीच मुद्दों को साफ करना चाहिए। ये मुद्दा सुलझाया जा सकता है। इससे
विरोधियों को बोलने का मौका मिल रहा है।
दूसरी तरफ शिवसेना के संजय
राउत ने कहा कि वो कानून मंत्री अश्विनी कुमार का इस्तीफा मांग रहे हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कानून मंत्री के पीछे-पीछे खड़े हैं। उनका समर्थन
है। प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उनको भी इस्तीफा देना चाहिए।
राउत के मुताबिक जब कोयला और खनन मंत्रालय मनमोहन सिंह के पास था तबसे सबसे
ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ।
वहीं दूसरी तरफ
आज बीजेपी की संसदयीय दल की बैठक चल रही है। जिसमें कोल स्कैम पर सुप्रीम
कोर्ट के आने वाले फैसले और एएसजी हरिन रावल के खत को लेकर सरकार को घेरने
की रणनीति बनाई जा रही है। बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी के मुताबिक
कोयले की कालिख को कानून के कपड़े से पोंछने की कोशिश है। आज कानून को
सुरक्षाकवच बनाने वाले बेनकाब हो चुके हैं। ये साफ हो चुका है कि पीएम और
उनके मंत्री गुनहगार हैं।
वहीं
कांग्रेस के जगदंबिका पाल का कहना है कि बीजेपी का पीएम और कानून मंत्री
का इस्तीफा मांगना गैर जिम्मेदाराना है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले
इस्तीफा मांगना उचित नहीं है।
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