कोयला ब्लॉक आवंटन पर बनी संसद की स्थाई
समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में यूपीए और एनडीए सरकार दोनों को कठघरे
में खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक 1993 से 2008 के बीच के सभी आवंटन
अधिकारिक नहीं थे और इसमें पारदर्शिता की कमी थी। समिति अपनी रिपोर्ट आज
पेश करेगी।
सूत्रों
की मानें तो ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है सरकार ने कोयला आवंटन की जो
प्रक्रिया अपनाई वो देश के लोगों के साथ विश्वासघात है। फैसला लेने की पूरी
प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए। घोटाले में शामिल रहे लोगों को कड़ी सजा दी
जाए। कोल ब्लॉक आवंटन की पूरी प्रक्रिया अवैध है। वो आवंटन तुरंत रद्द हों
जहां अभी तक खनन नहीं शुरू हुआ है।
वहीं
कोयला घोटाले पर हमारे सहयोगी चैनल सीएनएन-आईबीएन को अहम जानकारी मिली है।
ये जानकारी कानून मंत्री अश्विनी कुमार की मुश्किल बढ़ा सकती है।
सीएनएन-आईबीएन के पास सीबीआई के उस हलफनामे का ब्यौरा है जो वो 26 अप्रैल
को सुप्रीम कोर्ट में जमा कराने जा रही है।
सीबीआई का रुख
-CBI सुप्रीम कोर्ट को ये कहने जा रही है कि कानून मंत्री के कहने पर ही उन्हें कोयला घोटाले की रिपोर्ट की जानकारी दी गई।
-अदालत के पूछने पर CBI कोर्ट को ये भी कह सकती है कि कानून मंत्री ने रिपोर्ट की जांच की थी।
-हलफनामे में CBI कोयला घोटाले की असली स्टेटस रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंप सकती है।
आपको
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि क्या उसने कोयला घोटाले
की रिपोर्ट सरकार को दिखाई थी। इस घोटाले में प्रधानमंत्री कार्यालय और
सरकार की भूमिका सीबीआई जांच के दायरे में है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर
पहले से ही कानून मंत्री अश्विनी कुमार का इस्तीफा मांग रहे हैं।
मार्च
में एजेंसी ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि कई कंपनियों ने झूठे
दस्तावेज दिखाकर ही कोल ब्लॉक हासिल कर लिए। इसके अलावा आवंटन के लिए कोई
उचित आधार ही नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि रिपोर्ट
को सरकार के साथ साझा न किया जाए। कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि
उसने छोटी कंपनियों को कैसे फायदा पहुंचाया।
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