बेंगलुरू में रविवार को गुजरात के
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी इकलौती चुनावी रैली की। मोदी ने सोनिया
गांधी और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो घूम-घूम कर सत्ता मांग
रहे हैं। माना जा रहा है कि कर्नाटक में बीजेपी की पतली हालत को देखते हुए
ही मोदी ने और सभाएं ना करने का फैसला किया है।
मोदी
के इन तेवरों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर वो कर्नाटक में सिर्फ
एक ही रैली क्यों कर रहे हैं। दरअसल मोदी ने कर्नाटक से जानबूझकर दूरी बना
रखी है। वहां बीजेपी की हालत पहले से ही पतली है और मोदी अपने मिशन 2014 पर
कर्नाटक की हार का साया नहीं पड़ने देना चाहते। हालांकि कर्नाटक बीजेपी
चाहती थी कि मोदी कम से कम दर्जन भर चुनावी रैलियां संबोधित करें। लेकिन
मोदी जोखिम नहीं लेना चाहते इसीलिए उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए
140 उम्मीदवार तय करने के लिए हुई बीजेपी चुनाव समिति की बैठक से भी
किनारा कर लिया था। राज्य में बीजेपी की पांच साल की सरकार में घोटालों और
गुटबाजी के चलते सत्ता विरोधी लहर चरम पर है। मोदी के धुआंधार प्रचार से
पार्टी के खिलाफ वोटों के ध्रुवीकरण का भी खतरा है। ऐसे में मोदी को डर है
कि बीजेपी हारी तो उनकी छवि कमजोर हो जाएगी।
उधर कर्नाटक में अपनी जीत की संभावना से उत्साहित कांग्रेस, मोदी मुद्दे को तवज्जो देना नहीं चाहती। पार्टी नेता और सूचना-प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि कौन व्यक्ति किस पार्टी के लिए प्रचार करता है ये उनका फैसला है। जहां तक जादू की बात है तो 8 मई को फैसला हो जाएगा।
मोदी
ने लोगों से एक बार फिर कर्नाटक में बीजेपी को जिताने की अपील की। मोदी ने
कहा कि हम लोगों का एक संस्कार होता है। मां जो कहती है उसे हम मानते है
लेकिन कांग्रेस में मां कहती है कि बेटा सत्ता जहर होती है लेकिन बेटा
कर्नाटक में घूम घूम कर कहता है कि हमें सत्ता दे दो।
उधर कर्नाटक में अपनी जीत की संभावना से उत्साहित कांग्रेस, मोदी मुद्दे को तवज्जो देना नहीं चाहती। पार्टी नेता और सूचना-प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि कौन व्यक्ति किस पार्टी के लिए प्रचार करता है ये उनका फैसला है। जहां तक जादू की बात है तो 8 मई को फैसला हो जाएगा।
दिल्ली
की कुर्सी पर नजरें गड़ाए मोदी देशभर में अपनी ब्रांडिग कर रहे हैं। वे
मध्यप्रदेश और दिल्ली में भी चुनाव प्रचार करेंगे। लेकिन वे अपने राष्ट्रीय
अभियान की शुरुआत कर्नाटक की हार के तमगे से नहीं करना चाहते। उत्तरप्रदेश
में भी बीजेपी की बुरी हालत को भांपकर मोदी ने एक भी रैली नहीं की थी।
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