सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के खुलासे के बाद
विपक्ष ने प्रधानमंत्री और कानून मंत्री के इस्तीफे का दबाव बढ़ा दिया है।
विपक्ष का आरोप है कि प्रधानमंत्री जांच से खुद को बचाने के लिए कानून
मंत्रालय का इस्तेमाल कर रहे थे। हालांकि सरकार ने कानून मंत्री अश्वनी
कुमार के इस्तीफे से साफ इंकार किया है। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई का
हलफनामा पेश होते ही सियासी गलियारों में ये सवाल गूंजने लगा। हलफनामे का
हवाला देते हुए बीजेपी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कानून मंत्रालय का
इस्तेमाल करके खुद को सीबीआई जांच से बचाना चाहते थे। पार्टी ने साफ किया
कि वो प्रधानमंत्री और कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ी रहेगी।
मैने
कुछ गलत नहीं किया है सच की जीत होगी। उधर, सरकार ने भी साफ कर दिया
अश्वनी कुमार का इस्तीफा नहीं होगा। लेकिन अश्वनी कुमार को मिला ये अभयदान
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई यानी 30 अप्रैल तक ही है। सूत्रों के
मुताबिक गली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का रुख ही कानून मंत्री का भविष्य तय
करेगा।
विपक्ष
के चौतरफा हमले से बौखलाई सरकार ने आनन-फानन में यूपीए सहयोगियों की बैठक
बुलाई। सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री और संसदीय
कार्य मंत्री कमलनाथ के साथ शरद पवार, फारुक अबदुल्ला, अजित सिंह और खुद
अश्वनी कुमार ने भी शिरकत की। बैठक के बाद अश्वनी कुमार ने कहा कि
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