Friday, April 26, 2013

लद्दाख से वापस न जाने पर अड़ा चीन, रिश्ते में दरार

बीते 15 अप्रैल से चीनी सैनिक लद्दाख में घुसपैठ किए बैठे हैं। भारत सरकार और सेना की लगातार कोशिशों के बाद भी वो अपने इलाके में वापस लौटने को तैयार नहीं हैं। जबकि भारत सरकार का रुख अब भी नरम दिख रहा है। भारतीय विदेश मंत्री तो यहां तक कह रहे हैं कि मौजूदा तनाव का असर चीनी प्रधानमंत्री की प्रस्तावित भारत यात्रा पर नहीं पड़ेगा। दो-दो बार आला अफसरों की फ्लैग मीटिंग फेल हो चुकी है और सरकार है कि अब भी नरम सुर में ही बात कर रही है।
दरअसल चीनी घुसपैठ का ये पहला मामला नहीं है। लेकिन ये पहली बार हो रहा है कि चीनी सेना दो दो फ्लैग मीटिंगों के बाद भी वापस लौटने को तैयार नहीं। संसद से सड़क तक बार बार सवाल उठने के बाद सरकार ने फौजी हरकत तेज की है। लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में दो और एयर बॉर्न यूनिट तैनात करने की तैयारी है। आटीबीपी की लद्दाख स्काउट टीम वहां पहले ही भेजी जा चुकी है।
लद्दाख से वापस न जाने पर अड़ा चीन, रिश्ते में दरार
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस वक्त आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा है। ध्यान बंटाने के लिए वो भारत को निशाना बना रहा है। लेकिन विशेषज्ञ इस पक्ष में हैं कि चीन को जवाब देना चाहिए। विपक्ष भी सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग कर रहा है।
चीन की इस हरकत को उनके प्रधानमंत्री ली केचांग की अगले महीने होने वाली भारत यात्रा से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल जब भी कोई बड़ा चीनी नेता भारत दौरे पर होता है तो चीनी इस तरह का दबाव बनाते हैं। प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ और राष्ट्रपति हू जिंताओ की यात्राओं से पहले भी ऐसा हो चुका है। मकसद साफ है अपनी शर्तों पर बातचीत।
वहीं चीन की प्रवक्ता का ताजा बयान आया है जिसमें उन्होंने फिर दोहराया है कि हमने भारत के इलाके में एक इंच भी दखल नहीं की। उनका कहना है कि मैं फिर कहना चाहती हूं कि चीनी दस्ते सीमा पर द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक ही अपने इलाके में सामान्य गश्त कर रहे हैं। उन्हें लाइन ऑफ कंट्रोल कभी नहीं पार की। दोनों पक्षों को एक दूसरे के हित का ख्याल रखना चाहिए। दोनों पक्षों को सीमा विवाद सुलझाने के लिए हालात के मद्देनजर, जो प्रक्रिया है उसके तहत साथ काम करने की जरूरत है।

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