Tuesday, April 30, 2013

सज्जन कुमार बरी, फैसले के बाद जज पर जूता उछला

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के दामन पर 29 साल पहले लगा दंगे का एक दाग आज अदालत ने धो दिया। 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक केस से सज्जन कुमार को दिल्ली की कड़कड़ड़ूमा अदालत ने बरी कर दिया। सज्जन पर दिल्ली कैंट इलाके में पांच लोगों की मौत का मामला चल रहा था। कोर्ट ने सज्जन को तो बरी कर दिया, लेकिन उन्ही के साथ आरोपी बनाए गए बाकी पांच लोगों को दोषी करार दिया। जाहिर है कोर्ट के इस फैसले से दंगा पीड़ित खुश नहीं हैं।
दिल्ली के सिखों को वो मंजर नहीं भूलता जब 31 अक्टूबर 1984 को देश की राजधानी की सड़कों पर इंदिरा गांधी की हत्या का बदला पूरी कौम से लिया गया, सिखों के खिलाफ हिंसा दो दिनों तक बेरोकटोक चलती रही। वो मारे जाते रहे, जिंदा जलाए जाते रहे। 29 साल से उसी जख्म के साथ वो उन दंगों में इंसाफ की कानूनी जंग लड़ रहे हैं। 30 अप्रैल का दिन उनके लिए मायूसी लेकर आया, क्योंकि दिल्ली में कड़कड़डूमा की अदालत ने दंगों की आग से घिरे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में एक ही परिवार के पांच सिखों की हत्या के इल्जाम से बरी कर दिया।
सज्जन कुमार बरी, फैसले के बाद जज पर जूता उछला
अतिरिक्त सेशंस जज जे आर आर्यन ने फैसला सुनाया कि सज्जन कुमार को हम बरी करते हैं, बाकी पांच आरोपियों को दंगा फैलाने का दोषी करार दिया जाता है। इसमें से तीन दोषियों पर हत्या यानि धारा 302 का दोष भी साबित हो गया है, 6 मई को उनकी सजा के ऐलान पर बहस की शुरुआत होगी।



29 साल पुराना केस, 3 साल तक चली सुनवाई, 17 गवाह और 3 चश्मदीद। सीबीआई ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दंगों का मुख्य साजिशकर्ता बताया था। उनपर हत्या, आपराधिक साजिश और भीड़ को भड़काने जैसे संगीन इल्जाम थे, लेकिन वो बरी हो गए और दूसरे पांच सह-आरोपियों को दोषी ठहरा दिया गया। पूर्व पार्षद बलवान खोखर, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, किशन खोखर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
जाहिर है सज्जन कुमार के बाइज्जत बरी होते ही दंगों के पीड़ित भड़क उठे, कोर्ट के बाहर हंगामा बरपा हुआ तो कोर्ट रूम के भीतर ही जज पर एक जूता तक उछाल दिया गया। अपने परिवार के पांच लोगों को दिल्ली कैंट के इस दंगे में खोने वाली जगदीश कौर ने इंसाफ मिलने तक अदालत में ही धरने पर बैठ गईं। दंगा पीड़ितों का कहना था कि उनके साथ इंसाफ नहीं हुआ।
गौरतलब है कि बाहरी दिल्ली से सांसद रहे कांग्रेस के धुरंधर नेता सज्जन कुमार 1984 में अपने सिख अंगरक्षकों के हाथों तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्याकांड के बाद चर्चा में आए थे। उसके बाद पूरे देश में हुए सिख विरोधी दंगों में 11 हजार सिख मारे गए अकेले दिल्ली में दंगाइयों ने 4 हजार सिखों को मार डाला था। दिल्ली पुलिस पर इस केस पर आंखें मूंदने और कांग्रेस नेताओं को बचाने के संगीन आरोप लगे। 2005 में जस्टिस जी टी नानावटी आयोग की सिफारिश पर ही सज्जन कुमार के खिलाफ ये मामले दर्ज किए गए थे। 2005 से दंगों के केस सीबीआई के पास है, लेकिन सबूतों के अभाव में सज्जन कुमार ज्यादातर मामलों में बरी हो चुके हैं, अब उनके खिलाफ सिर्फ एक केस बचा है, दिल्ली के सुल्तानपुरी में हुए दंगों में भी वो मुख्य आरोपी हैं, ये केस दिल्ली हाई कोर्ट में है। इसके अलावा नांगलोई दंगा केस में भी आरोपों के घेरे में वो हैं लेकिन इस केस में अब तक चार्जशीट तक दाखिल नहीं हो सकी है। 29 सालों से इंसाफ का इंतजार जारी है।

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