पिछले कई महीनों से सूखे की मार झेल
रहे महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में इन दिनों आदमखोरों का आतंक है। पानी की
तलाश में बाघ और तेंदुए जंगल छोड़कर अब रिहायशी इलाकों की ओर आने लगे हैं।
ऐसे में इंसान और जानवर के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। पिछले 25 दिनों में
आदमखोर तेंदुआ 8 लोगों को अपना शिकार बना चुका है। लोगों के गुस्से को
देखते हुए अब प्रशासन ने देखते ही आदमखोर जानवरों को गोली मारने का आदेश
दिये हैं।
वन्यजीव
विशेषज्ञ बंडू धोतरे के मुताबिक जब बाघ और तेंदुए जंगल से बाहर निकलने लगे
हैं तो ऐसे में लोगों को खुद ही जंगल से दूर रहना चाहिए। पानी के स्रोत
सूख चुके हैं इसीलिए पानी के लिए जानवर गांवों का रुख करने लगे हैं। आदमखोर
बाघ और तेंदुए की दहशत सिर्फ एक या दो गांवों तक नहीं है। चंद्रपुर जिले
के 50 से ज्यादा गांवों में इन दिनों आदमखोरों का खौफ है। जानकारों के
मुताबिक सूखे के चलते जंगल में न तो खाना बचा है, न पानी। ऐसे में ये
आदमखोर रिहायशी इलाकों पर हमला कर रहे हैं और इंसानों को शिकार बना रहे
हैं। ऐसे हालात में लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो पानी की
तलाश में उन्हें घर से बाहर निकलकर दूर तक जाना पड़ता है और खुद को जानवरों
का शिकार होने से बचाना होता है। हालात ये है कि अब दिन के वक्त भी गांव
के लोग लाठी-डंडों से लैस होकर ही घर से बाहर निकलते हैं।
गांव
की महिला शारदा मढावी के मुताबिक वन अधिकारियों की भारी तादाद और
गांववालों की मौजूदगी में भी कोई सुरक्षित नहीं है। अकेले इंसान से भला
जानवर क्या डरेंगे? घरों में कैद रहने को मजबूर प्यास से बेहाल लोग बेहद
गुस्से में हैं। चंद्रपुर के ताडोबा गांव में लोगों ने वन अधिकारियों को ही
बंधक बना लिया। लोगों के गुस्से को देखते हुए प्रशासन ने गांव में 6
शॉर्प शूटर्स तैनात किए हैं। साथ ही आदमखोरों को देखते ही गोली मारने के
आदेश जारी किए गए हैं।
वन
विभाग उप निदेशक कल्याण कुमार के मुताबिक शूट एट साईट या कैप्चर परिस्थिति
के हिसाब प्रयास करेंगे। गांव के प्रधानसचिव को भी ग्राउंड परिस्थिति के
बारे में बताया गया है।
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