29 साल बाद 1984 सिख दंगों में आज इंसाफ का
दिन है। दिल्ली कैंट इलाके में हुए दंगों की सुनवाई कर रही दिल्ली की
कड़कड़डूमा कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले में कांग्रेसी नेता
सज्जन कुमार समेत 6 लोग आरोपी हैं। सीबीआई के मुताबिक सज्जन कुमार 1984
दंगों की साजिश के कर्ताधर्ता थे, जिन्होंने भीड़ को उकसाया और दिल्ली
पुलिस दंगाइयों को रोकने की बजाए चुपचाप तमाशा देखती रही।
सिख
विरोधी दंगों की जांच के लिए बने नानावती आयोग की सिफारिशों के आधार पर
सीबीआई ने 2010 में चार्जशीट फाइल की थी। चार्जशीट में सीबीआई ने पूर्व
कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार, पूर्व एमएलए महेंद्र यादव और पूर्व पार्षद
बलवान खोखर समेत 6 लोगों पर हत्या, दंगा फैलाने, डकैती, संपत्ति का नुकसान
करने, विभिन्न समुदाय के बीच दुश्मनी फैलाने, आपराधिक षड़यंत्र रचने आदि की
धाराओं के तहत आरोप तय किया था। सज्जन कुमार मुख्य आरोपी हैं। उनपर भीड़
को उकसाने के भी आरोप लगे।
मालूम
हो कि अंतिम बहस पर जिरह के दौरान सीबीआई ने दलील दी कि गवाहों के बयान
पूरी तरह से विश्वसनीय हैं। सीबीआई ने पुलिस और सज्जन कुमार पर मिलीभगत का
भी आरोप लगाया। सीबीआई के मुताबिक सज्जन कुमार के उकसाने पर ही भीड़ ने
सिखों का कत्लेआम किया और दंगा-फसाद कर घरों में लूटपाट की थी।
सीबीआई
ने दलील दी कि दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर सिख दंगों के दौरान कार्रवाई नहीं
की जो उसे पुलिस की भूमिका में करनी चाहिए थी। पुलिस ने हमलावारों के अंदर
डर भी पैदा नहीं किया और आंख बंद कर सबकुछ देखती रही।
सीबीआई
के मुताबिक बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने
महज पांच मौतों का ही केस बनाया। इसमें भी उसने गवाहों को अदालत में पेश
नहीं किया जिसकी वजह से आरोपी बरी होते गए। साथ ही इस मामले में अहम गवाहों
को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। ऐसे ही पीड़ितों में से एक
निरप्रीत हैं। 1984 में वो महज 16 साल की थी। 1 नवंबर, 1984 को दंगाइयों ने
उनके पिता की हत्या कर दी। निरप्रीत के मुताबिक इसके एक दिन बाद ही
उन्होंने कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को राजनगर इलाके में भड़काऊ भाषण देते
देखा। पुलिस ने निरप्रीत को गवाह नहीं बनाया। लेकिन बाद में वो सज्जन के
खिलाफ सीबीआई की अहम गवाह बनी।
निरप्रीत
का कहना है कि गवाह बनते ही उनपर मुसीबतों को एक और पहाड़ टूट पड़ा। 45
साल की हो चुकी निरप्रीत का कहना है कि सज्जन कुमार की मुखालफत उन्हें
पंजाब भागने पर मजबूर कर दिया। फिलहाल वो सारे मामलों में बरी हो चुकी हैं।
निरप्रीत का कहना है कि उन्हें फंसाया गया। सज्जन '84 दंगा मामले में पहले
ऐसे बड़े चेहरा होंगे जिनपर आज फैसला आएगा। यही नहीं दंगों की जांच के लिए
बने नानावटी कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद ये पहला अदालती फैसला होगा
No comments:
Post a Comment