बीजेपी से गठबंधन तोड़ देने के बावजूद
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर
लिया है। नीतीश को बहुमत साबित करने के लिए 122 वोटों की दरकार थी लेकिन
कांग्रेस और लेफ्ट के समर्थन से उन्हें सदन में 126 वोट मिले। बीजेपी ने
सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर पहले ही नीतीश के लिए मैदान खुला छोड़
दिया था। आरजेडी (22) ने नीतीश के विश्वास प्रस्ताव के विरोध में वोट किया।
विरोध में कुल 24 वोट पड़े।
विश्वास
प्रस्ताव पर शुरू हुई चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर
यादव ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर इस विश्वास प्रस्ताव के
क्या मायने हैं। उन्होंने तो सरकार से विश्वासमत हासिल करने की मांग ही
नहीं की है।
उन्होंने
मुख्यमंत्री पर जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि
केवल सत्ता के कारण मूल विचारों से जेडीयू भटक गई है। इस कारण जुगाड़ तकनीक
में माहिर लोग तो वोट का जुगाड़ कर ही लेंगे। ऐसे में मतदान का क्या मतलब
है। असल मतदान तो जनता की अदालत में होगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी विधायक
इस मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। इसके साथ ही बीजेपी विधायक सदन से वॉक आउट
कर गए। विधानसभा में बीजेपी के 91 विधायक हैं।
उधर,
कांग्रेस विधायकों ने जेडीयू के पक्ष में वोटिंग की। इसके अलावा 4
निर्दलीय विधायक भी नीतीश को समर्थन दे रहे हैं। यानि विश्वासमत के लिए
नीतीश की राह बेहद आसान हो गई। विश्वासमत पेश करते हुए नीतीश ने बीजेपी पर
जमकर निशाना साधा।
नीतीश
ने कहा कि अब बिहार में सेकुलर सरकार चल रही है। साथ ही नीतीश ने कांग्रेस
को भी समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। नीतीश ने कहा कि बीजेपी ने 2010 के
चुनाव में मोदी को प्रचार के लिए नहीं बुलाया। अगर बुलाया होता तो हमें कभी
जीत नहीं मिलती।
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