महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को
रोकने की दिशा में मद्रास हाइकोर्ट के एक मील का पत्थर साबित होने वाला
फैसला सुनाया है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर बिना शादी के दो बालिग
लोगों में यौन संबंध बनते हैं तो इसे शादी मानी जाएगी और उन्हें पति पत्नी
का दर्जा दिया जाएगा।
कोर्ट
ने ये भी कहा कि मंगलसूत्र, शादी, माला, अंगूठी यह सब सिर्फ समाज को
संतुष्ट करने के लिए बनाई गई है। किसी भी परिवार कोर्ट में पार्टी अगर
डॉक्यूमेंट्री सबूत पेश करती है तो उसे शादीशुदा मान लिया जाएगा। ऐसा कोई
भी सबूत पेश करने के बाद उन्हें पति पत्नी मान लिया जाएगा।
जस्टिस
सी एस कर्णन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कुछ अपवादों को छोड़कर अगर
लड़के-लड़की के बीच सेक्स संबंध बनते हैं तो इसे शादी ही माना जाएगा। कोर्ट
के मुताबिक किसी भी पक्ष की ओर से सेक्स संबंध बनाने संबंधी कोई भी सबूत
कोर्ट में पेश करने पर पति-पत्नी का दर्जा दिया जाएगा।
जस्टिस
कर्णन ने कहा कि ऐसा होने पर दोनों में से कोई भी सरकारी रिकॉर्ड में खुद
को विवाहित बता सकता है। जस्टिस कर्णन ने फैमिली कोर्ट के अप्रैल 2006 के
एक फैसले में सुधार करते हुए ये फैसला सुनाया।
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