बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन टूटने की
कगार पर है। 17 साल की दोस्ती गर्त में जाती नजर आ रही है लेकिन इन सबके
बीच एक खबर और चौंका रही है। एक निर्दलीय विधायक ने खुलासा किया है कि
जेडीयू की तरफ से उसे खरीदने की कोशिश हुई। बीजेपी के बिना सरकार चलाने के
लिए नीतीश को चार विधायकों की जरूरत है और इन चार विधायकों के जुगाड़ के
लिए जेडीयू न सिर्फ निर्दलीयों बल्कि बीजेपी के विधायकों में भी सेंध लगाने
की कोशिश कर रही है।
पश्चिमी
चंपारण क्षेत्र के सिक्ता विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक दिलीप
वर्मा कहते हैं कि मुझे मंत्री बनने का ऑफर दिया गया। 2014 में लोकसभा का
टिकट देने का भी ऑफर दिया गया। जेडीयू के जिलाध्यक्ष एनएन शाही ने फोन कर
कहा कि आप नीतीश सरकार को सपोर्ट करें और मंत्री पद की शपथ ले लें।
दिलीप
वर्मा का कहना है कि वो बीजेपी के पक्ष में हैं इसलिए इस ऑफर को स्वीकार
नहीं कर रहे हैं। लेकिन उन्हीं की मानें तो ऑफर काफी लुभावना है और नीतीश
को समर्थन के बदले में वो जो चाहेंगे वो विभाग उन्हें देने का वादा किया
गया है। उनके अलावा और भी विधायकों से संपर्क किया गया है।
अगर
दिलीप वर्मा सच बयान कर रहे हैं तो एक बात साफ है अब जेडीयू और बीजेपी की
दोस्ती ठहरने वाली नहीं है। लेकिन नीतीश इस फैसले को कैसे अंजाम देंगे बात
सिर्फ उस तरीके की है। इस टूट के बाद नीतीश की सरकार गिरेगी नहीं, ये
तकरीबन तय है क्योंकि उन्हें बहुमत के लिए 122 सीट चाहिए और इसके लिए
उन्हें बस चार विधायकों का समर्थन चाहिए।
बिहार
विधानसभा की इस वक्त की स्थिति पर नजर डालें तो जेडीयू के पास 118 सीटें
हैं। बीजेपी 91 सीटों पर काबिज है जबकि आरजेडी के पास 23 सीटें हैं।
कांग्रेस के पास चार विधायक हैं जबकि निर्दलीय छह सीटों पर और अन्य 2 सीटों
पर कायम हैं। तो निर्दलीय विधायक दिलीप की मानें तो नीतीश सरकार महज चार
सीटों के जुगाड़ में लगी है। इसलिए वो निर्दलीयों को तरह-तरह से लुभाने की
कोशिश कर रही है। उनसे वादे कर रही है। कटिहार में सेवा यात्रा के दौरान
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्दलीय विधायक दुलाल चंद गोस्वामी
के घर पहुंचे और उनके यहां भोजन भी किया। वैसे सूत्रों की मानें तो जेडीयू
लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के विधायकों को भी तोड़ने की कोशिश में जुटी
हुई है। जाहिर है ऑफर उनके लिए भी काफी लुभावने हैं। निर्दलीय विधायक के
सौदेबाजी के खुलासे के बाद अब बीजेपी भी तिलमिलाई हुई नजर आ रही है। कह रही
है आखिर हम ही क्यों नीतीश को ढोएं।
पार्टी
नेता कीर्ति आजाद कहते हैं कि वो निर्दलीय विधायकों को खरीद रहे हैं। मेरा
सीनियर लीडरों से अनुरोध है कि उनको छोड़ दें। हम अपने घर किसे, क्या बना
रहे हैं, उनको इससे क्या मतलब है। हमारे आदर्श हैं हमारे बड़े नेता। वो
रहना चाहें या न रहना चाहें, ये उनके ऊपर छोड़ देना चाहिए। सूत्रों का कहना
है कि बीजेपी इसलिए भी हड़बड़ाहट और घबराहट में नजर आ रही है क्योंकि उसे
अपने सभी विधायकों की नीयत पर भरोसा नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अगर नीतीश
अलग होते हैं तो बीजेपी को भी तगड़ा झटका लग सकता है।
नीतीश
के अलग होने की सूरत में बीजेपी में भी टूट-फूट की आशंका है। कई विधायक
बीजेपी का साथ छोड़कर नीतीश के साथ जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि
जेडीयू इसकी तैयारी भी कर रही है। यही वजह है कि बीजेपी बार-बार विधायकों
की बैठक कर उनका मन जानने की कोशिश कर रही है। सुशासन में बड़ी सौदेबाजी का
खतरा मंडरा रहा है। हालांकि जेडीयू का कहना है कि उनके पास बहुमत है और
उन्हें विधायक खरीदने की जरूरत नहीं है।
उधर,
बीजेपी ने गठबंधन को टूट के कगार पर देखकर नई रणनीति पर काम करना शुरू कर
दिया है। 29 जून से लेकर 2 जुलाई तक बिहार के गैर बीजेपी की 141 सीटों पर
बीजेपी के नेता सम्मेलन करेंगे और जनता से बात करेंगे।
बीजेपी
नेता हुकुम देव नारायण का कहना है कि अगर राजनैतिक नैतिकता की बात की जाए
तो बिहार की जनता ने इस गठबंधन को सरकार चलाने के लिए वोट दिया था। अगर
गठबंधन टूटता है तो विधानसभा भंग करके फिर से चुनाव कराना चाहिए। फायदा और
नुकसान देखने की बात नहीं है। बिहार का विकास हुआ है तो नीतीश कुमार के साथ
सुशील मोदी का भी है। अगर बीजेपी साथ नहीं देती तो नीतीश अकेले कैसे कर
लेते।
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