Tuesday, January 1, 2013

कैश सब्सिडी देकर सरकार गदगद, पर खामियां कम नहीं

कैश सब्सिडी देकर सियासी गणित साधने का सपना देख रही केन्द्र सरकार ने मंगलवार को अपनी महत्वाकांक्षी योजना पर अमल शुरू कर दिया। हालांकि अधूरी तैयारियों के चलते 43 जिलों की बजाय कैश सब्सिडी योजना सिर्फ 20 जिलों में ही चालू हो सकी। 1 फरवरी में 12 जिलों में और 1 मार्च को 11 जिलों में इस योजना को लागू करने का प्लान है। राजधानी दिल्ली में भी सिर्फ दो जिलों में इसे लागू किया गया है।
दरअसल दिल्ली के मंगोलपुरी की रहने वाली भूपति के हाथ आया ये 1500 रुपये का प्रमाणपत्र सरकार की नकद नारायण योजना के लागू होने का ऐलान है। मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भूपति समेत 37 लोगों को ऐसे प्रमाणपत्र बांटे, जो इस बात की भी ताईद कर रहे थे कि उनके खाते में डेढ़ हजार रुपये पहुंच चुके हैं। भूपति को लगता है कि आगाज अच्छा है, बशर्ते अंजाम भी बेहतर हो। 
 नकद सब्सिडी योजना दिल्ली के उत्तर-पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी जिले में लागू हुई है। इन दोनों जिलों में 12 हजार लोगों को इस योजना का फायदा मिलेगा। योजना की शुरुआत करते हुए 100 लोगों के बैंक खाते में नकद पैसा जमा कराया गया। दिल्ली में लोगों को अभी 4 योजनाओं के तहत नकद मिलना शुरू हुआ है, जबकि अप्रैल से 9 योजनाओं में नकद पैसा मिलेगा। 
दिल्ली में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव भी है। यूपीए सरकार इस योजना को गेम चेंजर समझ रही है। साल के अंत तक योजना के लिए चुने गए देश के सभी 43 जिलों में इसे लागू कर दिया जाएगा। इस देरी की वजह आधार कार्ड का न बन पाना है। वैसे विरोध को देखते हुए रसोई गैस, केरोसीन, खाद और अनाज से जुड़ी योजनाओं को इससे दूर रखा गया है।
लेकिन इस योजना को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता ज़ाहिर की है। उनका कहना है कि योजना में कई खामियां हैं। जिस आधार कार्ड से इस योजना को जोड़ा जा रहा है, उसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। बैंकों में खाता खोलने जैसी जरूरत भी योजना की क़ामयाबी में रोड़े अटका सकती हैं।

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