कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार
को अपनी पार्टी के नेताओं से ‘नए भारत’ को समझने का आग्रह करते हुए मध्यम
वर्ग की उपेक्षा नहीं करने और ईमानदारी से अपनी ताकत और कमजोरी को पहचाने
का आह्वान किया। पार्टी अध्यक्ष ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए वैचारिक और
नीतिगत खाका तैयार करने के लिए तीन दिनों तक चलने वाले सम्मेलन की दिशा भी
तय कर दी।
बीते
समय के कामकाज की समीक्षा और भावी रणनीति का निर्माण करने के लिए आयोजित
चिंतन शिविर में अपने अध्यक्षीय भाषण में सोनिया ने पार्टी नेताओं को कई
महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बैठकें हमें अपनी ताकत
और कमजोरियों पर ईमानदार वैचारिक आदान-प्रदान का मंच मुहैया कराता है।
उन्होंने कहा कि जयपुर सम्मेलन पूर्व के इसी प्रकार के दो सम्मेलनों 1998
में पंचमढ़ी और 2003 में शिमला सम्मेलनों से अलग होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष के मुताबिक यह सम्मेलन तब
हो रहा है जब पार्टी पिछले नौ साल से केंद्र में सत्ता में है, लेकिन कई
राज्यों में वह सत्ता से न केवल बाहर है, बल्कि अपने परंपरागत आधार में
गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। इस शिविर में सोनिया के अलावा
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी महासचिव राहुल गांधी, केंद्रीय
मंत्रियों, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के नेता, प्रदेश इकाइयों
के प्रमुख और कांग्रेस विधायक दल के नेता के अलावा युवक कांग्रेस और
एनएसयूआई के सदस्य सहित करीब 350 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
प्रतिनिधि
राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों, विदेशी मामलों, महिलाओं की आधिकारिकता और
सांगठनिक शक्ति जैसे मुद्दों पर विचार करेंगे। दिल्ली में क्रूर तरीके से
एक महिला के साथ हुए दुष्कर्म की घटना के बाद हुए राष्ट्रव्यापी आंदोलन के
मद्देनजर सोनिया ने महिलाओं पर अत्याचार को भारत की सामूहिक चेतना पर दाग
करार दिया। उन्होंने नेताओं से 'नए भारत' को समझने का आह्वान करते हुए
गैंगरेप के मुद्दे पर राष्ट्रीय राजधानी में हाल ही में असंगठित आंदोलन और
पिछले साल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हुए आंदोलन को ध्यान में रखने के लिए
कहा।
सोनिया
ने कहा कि भ्रष्टाचार से लोग बुरी तरह आहत हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से
कहा कि उभर रहे मध्यम वर्ग राजनीतिक प्रक्रिया से पृथक नहीं रखा जाना
चाहिए। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे उनमें से पांच में कांग्रेस
की बीजेपी से सीधी टक्कर होगी। इसे ध्यान मे रखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से निजी आकांक्षाओं और अहं त्याग कर एकजुट
होने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि क्यों हम पार्टी की जीत में ही हम सबकी
जीत है जैसे साधारण से सच को भूल जाते हैं।
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