Monday, January 28, 2013

पांच साल में पंजाब में कैंसर से 33 हजार की मौत

देश के सबसे समृद्ध और खुशहाल समझे जाने वाले पंजाब के बारे में खुद पंजाब सरकार की एक डरा देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि पिछले पांच सालों में पंजाब में कैंसर ने 33 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। हैरानी की बात है कि इस सर्वे में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले खुद मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के अपने जिले मुक्तसर में सामने आए हैं।
पंजाब में पिछले पांच साल में 33 हजार 318 लोगों की कैंसर से मौत हो चुकी है यानि हर रोज पंजाब में कैंसर 18 से ज्यादा लोगों को मौत के आगोश में ले लेता है। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बादल गांव में रहने वाले सुरजीत कौर का पूरा परिवार कैंसर की भेंट चढ़ चुका है। सर्वे के मुताबिक मालवा के मुक्तसर जिले में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज पाए गए। ये इलाका पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का इलाका है। दो साल पहले मुख्यमंत्री की पत्नी सुरिंदर कौर की मौत भी कैंसर से ही हुई थी।
 पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री मदन मोहन मित्तल ने सोमवार को सर्वे की रिपोर्ट पेश की। सर्वे के मुताबिक 23,874 लोगों को कैंसर है, जबकि 84,453 लोगों ने कैंसर होने का शक जताया है जिनका टेस्ट होना अभी बाकी है। ये रिपोर्ट राज्य के 217 शहरों और 12,603 गांवों में किए गए सर्वे के आधार पर बनाई गई है। इस दौरान 2 करोड़ 64 लाख रुपये से ज्यादा लोगों के पास जाकर कैंसर के आंकड़े इकट्ठे किए गए।
पंजाब सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक हर 1 लाख लोगों में सबसे ज्यादा 136.3 कैंसर के मरीज मुक्तसर में हैं। दूसरे नंबर पर मनसा जिला है, जहां यह आंकड़ा 134.3 है। तीसरे पर भटिंडा है जहां 1 लाख की आबादी पर 124.8 मरीज कैंसर से पीड़ित हैं। चौथे स्थान पर फिरोजपुर है जहां यह आंकड़ा 113.9 है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे पंजाब में औसत प्रत्येक एक लाख लोगों में 80 लोग कैंसर से पीड़ित हैं।
कैंसर की इस बीमारी का कारण जानने के लिए कई रिसर्च हुए। ज्यादातर रिसर्च में ये बात सामने आई कि कैंसर की वजह है खेती के लिए कीटनाशक और केमिकल खाद का बेतहाशा इस्तेमाल। इस सच्चाई से इलाके के किसान वाकिफ हैं, लेकिन उनका कहना है कि हरित क्रांति के बाद इस जमीन को इसकी आदत पड़ गई है और बगैर कीटनाशक और केमिकल खादों के यहां अच्छी फसल ही नहीं होती।
अब पंजाब सरकार एक और सर्वे करवाने जा रही है। अगले सर्वे का मकसद होगा ये पता लगाना कि पंजाब में कैंसर फैलने की ठोस वजह क्या है। कैसे पंजाब को तेजी से पैर पसार रहे कैंसर से निजात दिलाई जाए। कैंसर की रोकथाम के लिए क्या किया जाए। इसके साथ ही जिन 80 हजार से ज्यादा लोगों को यह आशंका है कि उन्हें कैंसर है, उनकी अच्छे तरीके से मेडिकल जांच कराई जाएगी।
साल 2009 में अमृतसर की गुरुनानकदेव यूनिवर्सिटी ने मालवा के भटिंडा में 5 साल तक कैंसर पर रिसर्च कर अपनी रिपोर्ट सामने रखी थी। रिसर्च में यूनिवर्सिटी ने पाया था कि भटिंडा और आसपास के इलाके के लोगों को कैंसर होने की वजह दरअसल यूरेनियम है यानि एक रेडियो एक्टिव पदार्थ, जिससे खतरनाक एटम बम बनता है, बिजली बनती है। लेकिन अगर यही यूरेनियम आपके शरीर में घुल जाए तो जानलेवा बन जाता है। धीरे-धीरे मौत देता है, वो भी कैंसर की शक्ल में।
रिसर्च के मुताबिक भटिंडा के जमीनी पानी, सब्जियों और मवेशियों के दूध में भी यूरेनियम की घातक मात्रा मिली। अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत एक आदमी के शरीर में एक दिन में औसतन 5 माइक्रोग्राम से ज्यादा यूरेनियम नहीं जाना चाहिए लेकिन यहां पर खाने-पीने की चीजों के जरिए रोजाना औसतन 138.41 माइक्रोग्राम यूरेनियम लोगों के शरीर में जा रहा था।
दरअसल यूरेनियम पूरे फूड चेन को अपनी आगोश में ले चुका था। पानी में 138 माइक्रोग्राम प्रति लीटर यूरेनियम पाया गया। गांव से लिए गए दूध के सैंपल में औसतन 2.38 माइक्रोग्राम प्रति लीटर यूरेनियम की मात्रा पाई गई। प्रति किलो गेहूं में 111 माइक्रोग्राम यूरेनियम पाया गया, जबकि दालों में प्रति किलो 30 से 47 माइक्रोग्राम। अब इस रिपोर्ट के करीब चार साल बाद पंजाब सरकार का पहला सर्वे सामने आया है। लेकिन ये सर्वे भी आधा अधूरा है। इसमें सिर्फ कैंसर पीड़ितों की संख्या है, उससे निपटने के उपाय नहीं।

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