Monday, January 28, 2013

करगिल युद्ध में आतंकी नहीं, शामिल थे पाक सैनिक!

14 साल बाद करगिल जंग से जुड़ा पाकिस्तान का सबसे बड़ा झूठ सामने आ गया है। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तानी जनरल ने ये कबूल किया है कि करगिल युद्ध में पाकिस्तानी फौज ने हिस्सा लिया था न कि आतंकवादियों ने। आपको बता दें कि करगिल युद्ध के दौरान और उसके बाद तक पाकिस्तान ये कहता रहा कि करगिल में घुसपैठ आतंकवादियों ने की थी लेकिन पाकिस्तान के जनरल ने अपनी ही सरकार के झूठ को बेनकाब कर दिया है यानि ये साफ हो गया है कि करगिल युद्ध पूरी तरह से पाकिस्तानी सेना के इशारे पर लड़ी गई थी और इसमें कोई आतंकी ग्रुप शामिल नहीं था।
ये खुलासा खुद पाकिस्तान के तत्कालीन लेफ्टीनेंट जनरल अजीज ने पाकिस्तानी अखबार 'द नेशन' को दिए साक्षात्कार में किया है। अजीज उस समय आईएसआई की अनालिसिस विंग के प्रमुख के तौर पर काम कर रहे थे। साल 2005 में रिटायर हुए अजीज ने साफ कहा कि करगिल की लड़ाई की योजना गलत तरीके से बनाई गई और हमने अपने सैनिकों को शिकार को दिए जाने वाले चारे की तरह इस्तेमाल किया। उस समय भारत की तरफ से किसी हमले की आशंका नहीं थी। तत्कालीन सेना नेतृत्व ने सोचा था कि भारतीय सेना ऊंचाई से हुए हमले का जवाब नहीं दे पाएगी लेकिन वो गलत थे।
दूसरी तरफ पाकिस्तानी लेफ्टीनेंट जनरल अजीज के बयान पर भारत में राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि अब ये साफ हो गया है कि करगिल की जंग के लिए पाकिस्तान ने बिना वजह भारत को उकसाया था। कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी के मुताबिक ये साबित हो गया है कि पाकिस्तान ने साजिश रची थी। पाकिस्तानी सेना का भरोसा नहीं किया जा सकता है। भारत सरकार को पाक से बात करते हुए बहुत एहतियात बरतनी चाहिए। बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी के मुताबिक पाकिस्तान सिर्फ भारत के लिए ही नही पूरी दुनिया के लिए खतरा है।
जबकि भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने भी नए खुलासे के बाद पाकिस्तानी सेना पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि तब पाक सेना ने हमले में मारे गए अपने जवानों को मुजाहिदीन बताते हुए उनके शव तक लेने से इनकार कर दिया था। रक्षा विशेषज्ञ भरत वर्मा के मुताबिक उस वक्त आई कार्ड मिले थे वो पाकिस्तान जनरल सोल्जर्स के ही थे। जनरल अजीज पुष्टिकरण कर रहे हैं। जब उन्होंने अपने ही सिपाहियों की बॉडी लेने से मना कर रहे थे जो बहुत ही असम्मानीय था।
14 सालों में ये पहली बार नहीं है जब करगिल जंग पर पाकिस्तान का झूठ सामने आया है। करगिल में पाकिस्तानी सेना ने भारत के खिलाफ जंग लड़ी थी। उसने इस जंग में मात खाई थी। लेकिन उसने कभी नहीं माना की करगिल की जंग आतंकियों ने नहीं बल्कि उसकी सेना ने लड़ी थी।
10 जुलाई, 1999 को करगिल की जंग शुरू हुई थी जो 26 जुलाई तक लड़ी गई थी, लेकिन सवाल ये उठता है कि पाकिस्तान के इस नापाक इरादे को किसने शक्ल दी थी। गौरतलब है कि साल 2010 के नवंबर महीने में पाकिस्तानी सेना ने अपने आधिकारिक वेबसाइट पर 350 सैनिकों के नाम जारी किए। इन्हें शहीद का दर्जा दिया गया। खास बात ये है कि ये सभी करगिल की जंग में भारतीय सेना के शिकार बने थे। इनमें पाकिस्तान के दो हीरो कैप्टन कमाल शेर खान और हवलदार ललक जान का भी नाम था। इन्हें पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया था।
करगिल जंग पाकिस्तान के चेहरे पर हार का ऐसा बदनुमा दाग है। ये दाग जब भी उसके चेहरे से झूठ का नकाब उतरता है तब दिखता है। करगिल पाकिस्तान सेना की साजिश थी। इस साजिश का पोल पिछले 14 साल में कई बार खुली है। भारतीय सेना के आधिकारिक आकड़ों के मुताबिक इस लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के एक हजार से 1200 सैनिक मारे गए। इनमें से करीब 200 तो भारत की जमीन में ही दफ्न किए गए। वहीं साल 2009 के जुलाई महीने में पाकिस्तान एयरफोर्स के पूर्व एयर कोमोडोर कैसर तुफैल ने अपने एक लेख में इस पूरी साजिश का खुलासा किया था। तुफैल के पास करगिल हमले के वक्त अहम जिम्मेदारी थी।
तुफैल के उस लेख की माने तो करगिल जंग में पाकिस्तानी सेना के चार अफसरों ने अहम भूमिका निभाई थी। वो तत्कालीन सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ के खासमखास थे और उनके हर आदेश का पालन कर रहे थे। कैसर के मुताबिक पाक सेना के 10 कॉर्प्स के तत्कालीन कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद और पाक सेना के फोर्स कमांड नॉर्दर्न एरिया के तत्कालीन कमांडर मेजर जनरल जावेद हसन के ऊपर इस पूरे ऑपरेशन की जिम्मेदारी थी।
इनके अलावा इस पूरे ऑपरेशन के बारे में उस वक्त के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ को ही सारी जानकारी थी। पूर्व एयर कमोडोर कैसर तुफैल ने अपने लेख में लिखा था कि। पाक एयर फोर्स को 12 मई को पाक सेना ने पहली बार इस हमले के बारे में बताया यानि दो हफ्ते पहले जब भारत ने बदले में एयर स्ट्राइक किया। इसके बाद पीएएफ के तीन अफसरों को पाक सेना और मुशर्रफ के भरोसेमंद लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद ने करगिल के बारे में एक अहम बैठक में बताया। मैं भी इस बैठक में शामिल था। हमें कहा गया कि दो दिन पहले पाक सेना ने स्कर्दू, करगिल और द्रास में एक छोटा ऑपरेशन शुरु किया है जिसमें पीएएफ की थोड़ी बहुत मदद चाहिए। हमें बताया गया कि पाक सेना ने एलओसी के करीब द्रास-करगिल रोड से सटी चोटियों की खाली भारतीय पोस्ट पर कब्जा कर लिया है। पाक स्टिंगर मिसाइल हर चोटी पर मौजूद हैं जो कि भारतीय एयर फोर्स को नाको चने चबवा देंगे। आर्टिलरी गन और एम्युनिशन भी खाली भारतीय पोस्ट में भिजवा दी गईं हैं।
लेकिन पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया। हांलाकि राष्ट्रपति की कुर्सी छोड़ते वक्त जनरल परवेज मुशर्रफ ने करगिल जंग के लिए अपनी पीठ जरुर थपथपाई थी। पाकिस्तान ने ये कभी नहीं माना। असल में ये भारतीय खुफिया एजेंसियों की भी चूक थी। उन्हें जंग की शुरुआत के दिन तक नहीं पता चल पाया कि आखिर कितनी बड़ी साजिश रची है पाकिस्तान ने। कितनी बड़ी साजिश का शिकार हुआ है भारत। पाकिस्तान इस जंग को जीतने का सपना देख रहा था। उसे यकीन था कि उसकी पोल नहीं खुलेगी। लेकिन उसके मारे गए सैनिकों के पहचान पत्र ने उस वक्त भी उसे बेनकाब किया था।


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