अगर 16 दिसंबर की रात दिल्ली में गैंगरेप
पीड़ित को ऑटो मिल जाता तो शायद वो बच जाती, आईबीएन7 ने बुधवार को दिखाया
था कि दिल्ली के ऑटोवाले मनमानी से अब तक बाज नहीं आ रहे। लेकिन गैंगरेप की
वारदात के बाद हालात सुधारने की बड़े दावे करने वाली मुख्यमंत्री शीला
दीक्षित भी अब बेबसी जाहिर कर रही हैं। उन्होंने माना कि सरकार और ट्रैफिक
पुलिस के बीच तालमेल की कमी है।
दरअसल
दिल्ली के ऑटो अब सरकार के लिए सिरदर्द बन गए हैं। ऑटो ड्राइवरों की
मनमानी इतनी बढ़ गई है कि इन पर काबू पाना सरकार को टेढ़ी खीर नजर आ रहा
है। दिल्ली में इस समय सरकारी आंकड़ों में 70 हजार ऑटो हैं। लेकिन असल में
इनकी संख्या इससे ज्यादा है। हजारों ऑटो रिक्शा अवैध तौर पर चलते हैं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री की शिकायत है कि प्रशासन तमाम सुविधाओं के बावजूद इन
वाहनों पर निगरानी रखने में नाकाम है क्योंकि उसे पुलिस का सहयोग हासिल
नहीं है।
दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेंदर खन्ना ने गुरुवार को सिक्योरिटी कमीशन की
बैठक में पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर चर्चा की। इस बैठक के दौरान भी खासतौर पर
ऑटो ड्राइवरों की बढ़ती मनमानी को लेकर सदस्यों ने चिंता जताई। मुख्यमंत्री
का सुझाव है कि अगर उपराज्यपाल ऐसी बैठकें नियमित तौर पर करें, तो तालमेल
बेहतर हो सकता है। हालांकि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी इस बात को मानती है कि
ऑटो रिक्शा की मनमानी की वजह उनका तादाद में कम होना है, अगर अगर उनकी
संख्या बढ़ा दी जाए तो कुछ हद तक मनमानी पर लगाम लगाई जा सकती है।
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