Monday, January 21, 2013

कांग्रेस और कांग्रेसियों के बारे में क्या सोचते हैं राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के बाद जयपुर में जब कांग्रेस के चिंतन शिविर को संबोधित किया तो उन्होंने संगठन में बारे में अपनी राय हिंदी में रखी। राहुल ने अपने भाषण का ये हिस्सा पूरे भाषण की तरह अंग्रेजी में न बोलकर हिंदी में बोलना पसंद किया ताकि वो अपनी बात कांग्रेस के निचले स्तर के कार्यकर्ता तक सीधी पहुंचा सकें। इस हिस्से में राहुल का भाषण कांग्रेस और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं तथा पार्टी के भविष्य के बारे में उनकी सोच का खुलासा करता है। नीचे उनके भाषण का वो हिस्सा हूबहू दिया जा रहा है।
अब मैं थोड़ा हिंदी में संगठन के बारे में बोलना चाहता हूं। आपने मुझे ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है। ये पार्टी कहलाती है पर सचमुच में ये एक परिवार है। इस बात को आप मानेंगे कि ये हिंदुस्तान का बल्कि शायद दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है और इस परिवार में हिंदुस्तान के सभी लोग शामिल हो सकते हैं। आप को क्या लगता है, बदलाव की जरूरत है?
तेजी से बदलाव की जरूरत है! मगर सोच-समझकर बदलाव की जरूरत है और सबको एक साथ लेकर बदलाव की बात करनी है और बदलाव लाना है। प्यार से करना है, सोच-समझकर करना है और आपकी आवाज को सुनकर करना है, समझकर करना है। मैं पहले यूथ कांग्रेस का जनरल सेक्रेटरी हुआ करता था, एनएसयूआई का जनरल सेक्रेटरी हुआ करता था। अब मैं कांग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष हूं। आपको यह लगना नहीं चाहिए कि राहुल गांधी युवाओं की बात करता है। राहुल गांधी का परिवार यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, कांग्रेस पार्टी, महिला कांग्रेस सबके सब हैं और आज से राहुल गांधी सबके लिए काम करेगा और सबको वादा करना चाहता है कि सबको एक ही आंख से, एक ही तरीके से देखूंगा। चाहे वो यूथ कांग्रेस का हो, चाहे वो बुजुर्ग हो, चाहे अनुभवहीन हो, अनुभवी हो, महिला हो जो भी हो, जो आप कहेंगे मैं सुनूंगा और समझने की कोशिश करूंगा।
राजनीति में मैं 8-9 साल से हूं और मैं एक बात समझा हूं कि काम करना है, सोच समझकर करना है। गहराई से करना है और जल्दबाजी में नहीं करना है। बदलाव हो तो लंबे तौर पर हो और गहराई से हो। एक-दो चीजें मैं आपसे कहना चाहता हूं। बदलाव की बात आपने -कही। नियम और कानून की बात मैं कहना चाहता हूं। कांग्रेस पार्टी एक ऐसा संगठन है जो दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है। मगर इसमें नियम और कानून नहीं चलते हैं। शायद एक भी नियम और कानून इस पार्टी में नहीं है। हम हर दो मिनट में नए नियम बनाते हैं, पुराने नियम दबा देते हैं और यहां शायद किसी को भी नहीं मालूम कि कांग्रेस पार्टी के नियम क्या हैं। मजेदार संगठन है ये। कभी-कभी मैं अपने आप से पूछता हूं कि भैया ये चलता कैसे है? ये इलेक्शन कैसे जीतता है? ये बाकी पार्टियों का खत्म कैसे कर देता है? समझ नहीं आती है बात मगर इलेक्शन के बाद धड़ाक से कांग्रेस पार्टी जीत गई। वर्कर खड़ा हो गया, नेता खड़े हो गए। शीला जी मुझे कह रही थीं कि भैया पता नहीं क्या होता है कि इलेक्शन के पहले सब खड़े हो जाते हैं और धड़ाके से लड़ जाते हैं।
कांग्रेस में हिंदुस्तान का डीएनए भरा है और जो हमारे विपक्षी दल हैं वो समझते नहीं हैं इस बात को। वो देखते हैं और कहते हैं कि ये हो क्या रहा है। कोई कहता है कि हम किसी एक जाति की पार्टी हैं। कोई कहता है कि मैं किसी एक धर्म की पार्टी हूं और कांग्रेस पार्टी कहती है कि हमारा डीएनए तो हिंदुस्तान का है। हम न जाति पहचानते हैं, न धर्म पहचानते हैं, हम सिर्फ हिंदुस्तान का डीएनए पहचानते हैं। तो नियम और कानून की जरूरत है, पहली बात।
दूसरी बात, हम लीडरशिप डेवेलपमेंट पर फोकस नहीं करते। आज से 5-6 साल बाद ऐसी बात होनी चाहिए कि अगर किसी राज्य में हमें सीएम की जरूरत हो तो जैसे पहले फोटो हुआ करती थीं। 40 फोटो हुआ करती थीं कांग्रेस पार्टी की। नेहरू जी, पटेल, आजाद हुआ करते थे। उनमें से कोई भी देश का प्रधानमंत्री बन सकता था। ये बात हमें करनी है। हमें 40-50 नेता तैयार करने हैं जो देश को चला सकें। सिर्फ प्रदेश को नहीं, देश को चला सकें। 40-50 नेता ऐसे तैयार करने हैं हर प्रदेश में। हमारे पास 5-6-7-10 ऐसे नेता हों जो सीएम बन सकें। और हर जिले में ये बात हो। हर ब्लॉक में ये बात हो और अगर हमसे कोई पूछे कि कांग्रेस पार्टी क्या करती है। तो हम कहें कि कांग्रेस पार्टी हिंदुस्तान के भविष्य के लिए नेता तैयार करती है। कांग्रेस पार्टी सेक्युलर नेता, ऐसे नेता जो गहराई से हिंदुस्तान को समझते हैं, जो जनता से जुड़े हुए हैं, वैसे नेता तैयार करती है। ऐसे नेता तैयार करती है, जिनको हिंदुस्तान के सब लोग देखकर कहते हैं भइया हम इनके पीछे खड़ा होना चाहते हैं। तो लीडरशिप डेवलपमेंट की जरूरत है और इसके लिए ढांचे की जरूरत है, सिस्टम की जरूरत है, इंफार्मेशन की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसलिए नहीं होता है क्योंकि कोई चाहता नहीं है, क्योंकि कोई सिस्टम नहीं है और सिस्टम बनाया जा सकता है और इस सिस्टम को आप लोग बनाओगे और आप लोग चलाओगे।
हम टिकट की बात करते हैं। जमीन पर हमारा कार्यकर्ता काम करता है। यहां हमारे जिला अध्यक्ष बैठे हैं, ब्लॉक अध्यक्ष हैं, ब्लॉक कमेटी हैं, जिला कमेटी हैं, उनसे पूछा नहीं जाता। टिकट के समय उनसे नहीं पूछा जाता, संगठन से नहीं पूछा जाता, ऊपर से निर्णय लिया जाता है कि भइया इसको टिकट मिलना चाहिए। होता क्या है दूसरे दलों के लोग आ जाते हैं चुनाव के पहले, चुनाव हार जाते हैं और फिर चले जाते हैं और हमारा कार्यकर्ता कहता है भइया, वो ऊपर देखता है चुनाव से पहले ऊपर देखता है, ऊपर से पैराशूट गिरता है धड़ाक! नेता आता है, दूसरी पार्टी से आता है चुनाव लड़ता है फिर हवाई जहाज में उड़कर चला जाता है।
सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की इज्जत होनी चाहिए और सिर्फ कार्यकर्ता की इज्जत नहीं, नेताओं की इज्जत। नेताओं की इज्जत का मतलब क्या है कि अगर नेता ने अच्छा काम किया है, अगर नेता जनता के लिए काम कर रहा है चाहे वह जूनियर नेता हो या सीनियर नेता हो, जितना भी छोटा हो, जितना भी बड़ा हो अगर वो काम कर रहा है तो उसे आगे बढ़ाना चाहिए। अगर वो काम नहीं कर रहा है तो उसको कहना चाहिए भइया आप काम नहीं कर रहे हो और अगर 2-3 बार कहने के बाद काम नहीं किया तो फिर दूसरे को चांस देना चाहिए। और अंत में जो हमारे ही लोग हमारे खिलाफ खड़े हो जाते हैं चुनाव के समय स्वतंत्र खड़े हो जाते हैं या जो स्वतंत्र उम्मीदवार को खड़ा कर देते हैं उनके खिलाफ एक्शन लेने की जरूरत है। आप सब ये चीजें जानते हैं। मैं भी जानता हूं। सब लोग जानते हैं। कमी है इसे अमल में लाने की। और अब हम मिलकर अमल करेंगे। हम ये काम कर सकते हैं और जिस दिन हमने ये काम कर दिया, हमारे सामने कोई नहीं खड़ा रह पाएगा।
जिस दिन जनता की आवाज कांग्रेस पार्टी के अंदर गूंजने लगी, आज गूंजती है बाकियों से ज्यादा गूंजती है, मगर जिस दिन गहराई से गूंजने लगेगी, जिस दिन पंचायत, वार्ड के लोग यहां आकर बैठ जाएं उस दिन हमें कोई नहीं हरा पाएगा, और होगा क्या कि जो आज हमारे अंदर कभी-कभी गुस्सा आता है दुख होता है, निराशा आती है वो कम हो जाएगा। मुस्कुराहटें आ जाएंगी, लोग कहेंगे, भैया मजा आ रहा है। विपक्षी पार्टियों को हराते हैं। मजे से लड़ेंगे, मजे से जीतेंगे।
मैं पिछले 8 साल से ये काम कर रहा हूं और मैंने आपसे कहा कि आपने मुझे सिखाया है, सीनियर नेता बैठे हैं। चिदंबरम जी थे और उन्होंने भी गहरी बात बोली। एंटनी जी थे उन्होंने गहरी बात बोली। यहां पर क्षमता की कोई कमी नहीं है। गहराई की कोई कमी नहीं है और जिस प्रकार ये पार्टी सोचती है, जितनी गहराई इस पार्टी में है, और कहीं नहीं है। संसद में दिखता है, सब जगह दिखता है।
मैं आपको ये बताना चाहता हूं कि मैं सब कुछ नहीं जानता हूं। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो सब कुछ जानता हो। मगर कांग्रेस पार्टी में करोड़ों लोग हैं, कहीं न कहीं जानकारी जरूर है। मैं आपसे ये कहना चाहता हूं कि मैं उस जानकारी को ढूंढूंगा। सीनियर नेताओं से पूछूंगा, शीला जी यहां बैठी हैं, गहलोत जी बैठे हैं, अल्वी जी बैठे हैं,बहुत सारे जिनके नाम नहीं ले सकता हूं। उन सबसे पूछूंगा और आपसे सीखूंगा क्योंकि इस पार्टी का इतिहास आपके अंदर है। इस पार्टी की सोच आपके अंदर है और मैं सिर्फ आपकी आवाज आगे बढ़ाऊंगा, जो सुनाई देगा, उसे आगे बढ़ाऊंगा और निष्पक्षता की बात होती है तो कल मैंने मीटिंग में कहा कि कचहरी में दो लोग होते हैं एक वकील होता है, दूसरा जज होता है। मैं जज का काम करूंगा। वकील का काम नहीं करूंगा।


No comments:

Post a Comment