आसाराम और विवादों का पुराना नाता
रहा है। अपनी बेतुकी बयानबाजी के लिए चर्चा में रहने वाले आसाराम जमीन से
जुड़े कई विवादों में भी फंस चुके हैं। पिछले साल जून में गुजरात हाईकोर्ट
के दखल के बाद साबरकांठा के कलेक्टर ने आसाराम के बेटे नारायण साईं के नाम
से ली गई 15 एकड़ जमीन की सेल डीड रद्द कर दी थी।
साबरकांठा
जिले के पेढ़माला गांव में नारायण साईं ने ये जमीन 2003 में खरीदी थी।
जमीन खरीदने के लिए नारायण साईं ने खुद को किसान बताया था। इस दावे के
समर्थन में उन्होंने अपने पिता आसाराम बापू का वो दस्तावेज जमा किया था
जिसमें आसाराम बापू यानि आसुमल हरपलानी ने अपने आप को कच्छ जिले के अबड़ासा
का किसान बताया था, लेकिन जब खेती की जमीन पर आसाराम के बेटे ने आश्रम
बनाया तो पेढ़माला के किसानों ने उनके परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
इससे
पहले नवंबर 2010 में भी आसाराम के एक आश्रम पर सरकार का हथौड़ा चल चुका
है। आसाराम के नवसारी स्थित आश्रम को गैरकानूनी घोषित कर पूरे आश्रम को ढहा
दिया गया। आसाराम को आश्रम बनाने के लिए साल 2005 में 2305 स्क्वॉयर मीटर
जमीन 30 साल की लीज पर दी गई थी। कहा गया कि यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए
स्कूल भी बनाया जाएगा,लेकिन अपनी ताकत और रुतबे की बदौलत आसाराम ने जमीन पर
अवैध कब्जा जमा लिया। स्कूल तो बना नहीं 5 स्टार आश्रम खड़ा हो गया। अवैध
तरीके से कब्जाई गई जमीन का मामला कोर्ट कचहरी और नोटिस तक पहुंचा, लेकिन
आसाराम आश्रम इस सबसे बेफिक्र था। मगर कानून के डंडे ने सारी हेकड़ी निकाल
दी।
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