मुंबई हमले के अहम गुनहगार और
लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड हेडली को सजा का ऐलान हो गया है। अमेरिका की
शिकागो कोर्ट ने हेडली को 35 साल की सजा सुनाई है। पाकिस्तानी अमेरिकी
आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने साल 2008 के मुंबई हमले में सहायक की
भूमिका अदा की थी। इस हमले में 166 बेगुनाहों की जान गई थी। मुंबई हमले का
शिकार हुए अमेरिकियों ने हेडली को 35 साल की सजा को कम बताते हुए इसपर खेद
जाहिर किया है।
गौरतलब
है कि जज हैरी लीननवेबर ने साफ कहा कि समाज को डेविड कोलमैन हेडली जैसे
शख्स से बचाने की जरूरत है ताकि वो दोबारा ऐसा जघन्य अपराध न कर सके। जज ने
कहा कि उन्हें हेडली के इस दावे पर यकीन नहीं है कि वो बदल गया है और अब
सभ्य अमेरिकी के तौर तरीकों से जिंदगी गुजारना चाहता है। वकील गैरी शैपिरो
के मुताबिक 35 साल की सजा कम नहीं है।
मालूम हो कि हेडली ने खुद में सुधार का दावा करते हुए अपने ऊपर लगे तमाम
आरोप स्वीकार कर लिए थे। हेडली ने मुंबई में 26/11 के हमलों से पहले रेकी
की थी। मुंबई में कई जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। बाद में
ये जानकारी पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं को दी। उसकी
जानकारियों के आधार पर ही लश्कर ने मुंबई में हमला किया। इस हमले में मारे
गए 166 लोगों में 6 अमेरिकी भी थे। इसके अलावा डेनिश कार्टूनिस्ट की हत्या
की साजिश में भी वो शामिल था। हालांकि इतने बड़े गुनाह के वावजूद अमेरिका
के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने उसके लिए सजा-ए-मौत नहीं मांगी। क्योंकि इसी
शर्त पर उसने आपराधिक और खुफिया जांच में एफबीआई की मदद की थी।
दरअसल हेडली को ये भरोसा दिया गया था कि उसे
भारत, पाकिस्तान या डेनमार्क प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा। इसके बदले
हेडली ने अपने आतंकी साथियों के बारे में जांच एजेंसियों को पूरी जानकारी
दी। हालांकि हेडली के भारत प्रत्यर्पण की मांग लगातार उठती रही है। हेडली
के हाथ आने से भारत का पक्ष और मजबूत हो सकता था। हाफिज सईद और मेजर इकबाल
की भूमिका का खुलासा हो सकता था।
मुंबई
के गुनहगार अजमल आमिर कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाले सरकारी वकील
उज्जवल निकम का दावा है कि अगर उस पर भारत में मुकदमा चलता तो उसे फांसी
की सजा मिलती। हालांकि अमेरिकी वकीलों की एक और दलील हेडली को सजा-ए-मौत से
बचाने में मददगार साबित हुई। बताया जा रहा है कि हेडली के जिंदा रहने पर
उससे आगे भी कई अहम जानकारियां हासिल होती रहेंगी। इसके अलावा अमेरिकी
सरकार ये दिखाने की कोशिश भी कर रही है कि अगर कोई आतंकी अमेरिका के साथ
सहयोग करता है तो उसे रियायत दी जा सकती है।
वहीं
अमेरिका को इस बात का अंदाजा है कि हेडली को कम सजा मिलने की भारत में
तीखी प्रतिक्रिया होगी। लिहाजा ये भरोसा दिलाया गया है कि भारत समेत दूसरे
देश आगे भी हेडली से पूछताछ जारी रख सकते हैं और हेडली को हर हाल में इसमें
सहयोग करना होगा। ऐसा न करने पर उसका प्रत्यर्पण न करने का करार रद्द हो
जाएगा।
हेडली
को सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि हेडली को मौत की सजा देना कहीं ज्यादा
आसान होता। हेडली मौत की सजा के ही लायक था, लेकिन 35 साल की सजा भी कम
नहीं होती। इसके बाद वो आजीवन जेल में ही रहेगा। हेडली की उम्र इस वक्त 52
साल है। 35 साल की सजा पूरी करने के बाद भी वो जिंदा रहा तो 87 साल का
होगा। उस उम्र में उसके लिए अपराध करना शायद ही संभव हो। लेकिन सवाल है कि
हेडली से भारत सरकार और उसकी सुरक्षा एजेंसियां कितने कारगर सुराग हासिल कर
पाएंगी और कब तक कर पाएंगी।
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