Wednesday, January 23, 2013

काम न आया CM गहलोत का भरोसा,लड़की की हालत गंभीर

रेप के मामले में जस्टिस वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में जो बात सबसे अहम कही वो है सुशासन की कमी है। ये सुशासन की कमी ही है जिसकी वजह से राजस्थान के सीकर गैंगरेप में 12 साल की मासूम बच्ची पिछले 5 महीने से तड़प रही है। गहलोत सरकार ने दिल्ली गैंगरेप के बाद तमाम वादे किए, लेकिन आजतक किसी वादे पर सरकार और प्रशासन खरा नहीं उतरा। हालत ये है कि लड़की 14 ऑपरेशन के बाद भी जिंदगी की जंग लड़ रही है। आज भी 6 में से 4 आरोपी आजाद घूम रहे हैं।
जयपुर के जेके लोन अस्पताल में पीड़ित लड़की पिछले 5 महीने से दर्द से तड़प रही है। अस्पताल के बिस्तर पर हर रोज जिंदगी की जंग लड़ रही है। सीकर से इलाज के लिए जयपुर लाई गई मासूम बच्ची का पिछले पांच महीनों में 14 ऑपरेशन हो चुका है। पांच दिन पहले ही मासूम का दो ऑपरेशन हुआ, लेकिन उसका 14वां ऑपरेशन सफल नहीं रहा। बच्ची की हालत सुधर नहीं रही। पांच महीने से अपनी छोटी सी बच्ची को लगातार दर्द से कराहता देख अब पीड़ित परिवार की हिम्मत जवाब दे गई है। उनका भरोसा जयपुर के जेके लोन अस्पताल से उठ चुका है। वो लगातार पीड़ित बच्ची को बड़े और बेहतर अस्पताल में रेफर करने की मांग कर रहे हैं। 
 अब अस्पताल एक और ऑपरेशन की बात कर रहा है, लेकिन बच्ची की हालत इतनी खराब है कि अगला ऑपरेशन कब होगा फिलहाल यही साफ नहीं।मीडिया में जब ये मामला आया तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बच्ची का बेहतरीन से बेहतरीन इलाज करवाने का वादा किया था। यहां तक कि विदेश भेजने की भी बात की थी। आपको बता दें कि दिल्ली गैंगरेप के बाद हुए जनाक्रोश की वजह से अशोक गहलोत ने वादों की झड़ी लगा दी थी। रेप के मामलों में तत्काल रिपोर्ट, कार्रवाई और फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने को लेकर घोषणाओं का अंबार लगा दिया, लेकिन मुख्यमंत्री के सभी वादे हवाई वादे निकले। उनका एक भी वादा खरा नहीं उतरा। 
मालूम हो कि 12 साल की मासूम के साथ बड़ी बेरहमी से 20 अगस्त 2012 की रात सीकर में गैंगरेप किया गया। गैंगरेप का आरोप सीकर के सुरेश कुमार जाट और रमेश कुमार शर्मा पर है। ये सीकर के प्रभावशाली परिवार से हैं जिनकी पत्थर की फैक्ट्रियां हैं। बच्ची की हालत इतनी खराब है कि अब उसकी मां से उसकी हालत देखी नहीं जाती। महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध पर जस्टिस वर्मा कमेटी ने जो टिप्पणियां दी हैं वो यहां बिल्कुल सही हैं। उन्होंने कहा कि कानून तो है लेकिन सुशासन की सख्त कमी है। पुलिस बेहद असंवेदनशील है।
अगर सुशासन होता तो बच्ची के 6 में से 4 मुजरिम आजाद नहीं हो जाते, अगर सुशासन होता तो सरकार बच्ची की फिक्र करती, उसका सही इलाज करवाती, अगर सुशासन होता तो प्रभावशाली आरोपियों को पुलिस से मदद न मिलती जैसा कि परिवार का आरोप है। अगर सुशासन होता तो गहलोत सरकार आरोपियों को फायदा पहुंचाने वाले सीकर के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करती। अगर सुशासन होता तो अब तक केस फास्ट ट्रेक कोर्ट में होता।

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