कांग्रेस के चिंतन शिविर में इस बार
राहुल गांधी की छाप भी देखने को मिलेगी। ये पहला मौका है जब चिंतन शिविर
में एक तिहाई से ज्यादा प्रतिनिधि यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई से होंगे।
जानकारों के मुताबिक ये अगले कुछ सालों में कांग्रेस में आने वाले बड़े
बदलाव का संकेत है। कांग्रेस की कोशिश नए वोटरों को रिझाने और भ्रष्टाचार
जैसे मुद्दों पर युवाओं की नाराजगी साधने की है।
सूत्रों
के मुताबिक राहुल कांग्रेस के युवा विंग में किए गए प्रयोग को भी
राष्ट्रीय पटल पर लाना चाहते हैं। दरअसल अन्ना आंदोलन और दिल्ली गैंगरेप
मामले में राजधानी से लेकर देश के कोने कोने में जिस तरह युवाओं का गुस्सा
सड़कों पर उमड़ा उसने देश के सियायतदानों को हिला कर रख दिया। युवा वोटरों
की अहमियत को समझते हुए कांग्रेस पार्टी भी अपनी छवि बदलने की कोशिश में
है।
कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दिक्षित
के मुताबिक हमारे सबसे युवा नेता राहुल जी हैं। उन्होंने हमेशा युवाओं की
भागेदारी बढ़ाने की बात की है। रामलीला मैदान से भी यही कहा था और ये हमारी
पार्टी को और लोकतांत्रिक करेगा और नए विचार आएंगे।
शुक्रवार से जयपुर में शुरु होने वाले चिंतन शिविर में इस बार यूथ कांग्रेस
के साथ साथ एनएसयूआई के कुल 118 मेंमबर हिस्सा लेंगें। इसमें राष्ट्रीय
पदाधिकारियों से लेकर प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हैं। 1998 और 2003 में हुए
चिंतन शिविर में कुछ एक युवा नेताओं को ही जगह दी गई थी।
माना
जा रहा है कि चिंतन शिविर के लिए ये बड़ा बदलाव राहुल गांधी का असर है।
राहुल गांधी पिछले कई साल से युवा कांग्रेस को लोकतांत्रिक बनाने की कोशिश
में लगे हैं।
जानकार ये भी मानते हैं
कि राहुल गांधी भविष्य की टीम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सच ये भी
है कि यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई को लोकतांत्रिक बनाने का राहुल का प्रयोग
फ्लाप रहा है। यूथ कांग्रेस के चुनाव पर पक्षपात और वंशवाद छाया रहा है।
ऐसे में राहुल का ये मॉडल पार्टी के स्तर पर कितना सफल होगा ये एक बड़ा
सवाल है
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