राधे मां सिर्फ आशीर्वाद देने में ही नहीं, बल्कि तंत्र मंत्र में भी
निपुण हैं। उनके खिलाफ चल रही जांच में पता चला है कि मुकेरिया [पंजाब] में
डकोर खालसा के बैरागी संत बीरमदास के संपर्क में आने के बाद उन्होंने
तंत्र-मंत्र में अपना ज्ञान बढ़ाया। राधे मां के खिलाफ चल रही खोजबीन में
पता चला कि मुंबई पहुंचने से पहले मुकेरिया में गुरबत के दिन काट रहीं राधे
मां उर्फ कुलविंदर कौर उर्फ पप्पू लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए
तांत्रिक क्रियाएं भी करती थीं। इसी तंत्र-मंत्र और तांत्रिक क्रियाओं ने
उन्हें ख्याति दिलाई और मुंबई का रास्ता दिखाया। यही नहीं इसके सहारे शुरू
के दिनों में अपना चौका-चूल्हा भी चलाया।
राधे मां को महामंडलेश्वर बनाने के बाद विवादों में उलझे जूना अखाड़े के संतों का जांच दल इन दिनों पंजाब के दौरे पर है। जांच दल राधे मां बनने से पहले कुलविंदर कौर की जिंदगी के पन्ने पलटने की कोशिश में लगा है। राधे मां ने तंत्र-मंत्र के इस खेल में पति मनमोहन सिंह को छोड़ कर किसी को भी अपना राजदार नहीं बनाया। मनमोहन सिंह फिलहाल लापता हैं। हालांकि, प्रचारित ये है कि राधे मां का अब अपने पति और बच्चों से कोई संपर्क नहीं है। वहीं, अखाड़ा सूत्रों के अनुसार जांच दल को यकीन है कि राधे मां का परिवार से आज भी संबंध है।
राधे मां सिर्फ निलंबित निष्कासित नहीं-
महामंडलेश्वर पद से निलंबित राधे मां पर लगे आरोपों की जांच के सिलसिले में हरिद्वार से श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की टीम गुरुवार को राधे मां के मायके गांव दोरांगला व मुकेरिया पहुंची। टीम ने यहां स्थानीय लोगों, राधे मां के रिश्तेदारों व श्रद्धालुओं से हुई बातचीत गुप्त रखा। हालांकि, जगद्गुरुपंचानंद गिरि ने कहा कि राधे मां को फिलहाल निलंबित किया गया है, निष्कासित नहीं।
दोरांगला में बातचीत में टीम की अगुवाई कर रहे अनंत विभूषित पंचानंद गिरि ने कहा कि राधे मां को महामंडलेश्वर की उपाधि देने के मानक पूरे किए गए थे। राधे मां को करीब सात साल पहले अखाड़े की ओर से उनकी ही सिफारिश पर संन्यास की दीक्षा दी गई थी। पांच संतों ने पूरे विधि विधान से उन्हें संन्यास दिलाया था। महामंडलेश्वर की उपाधि देते समय करीबदो हजार संत मौजूद थे, जिनमें 11 अखाड़ों के प्रमुख संत भी थे। उन्होंने कहा कि राधे मां को महामंडलेश्वर पद से निष्कासित नहीं किया गया बल्कि फिलहाल निलंबित किया गया है। पंचानंद ने कहा कि श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा व संत समाज ने उस दुष्प्रचार को गंभीरता से लिया है जिसमें यह कहा गया कि महामंडलेश्वर की उपाधि के लिए राधे मां ने पंद्रह करोड़ रुपये अखाड़े को दिए। इस मामले में उन्होंने अदालत जाने की भी बात कही।
राधे मां को महामंडलेश्वर बनाने के बाद विवादों में उलझे जूना अखाड़े के संतों का जांच दल इन दिनों पंजाब के दौरे पर है। जांच दल राधे मां बनने से पहले कुलविंदर कौर की जिंदगी के पन्ने पलटने की कोशिश में लगा है। राधे मां ने तंत्र-मंत्र के इस खेल में पति मनमोहन सिंह को छोड़ कर किसी को भी अपना राजदार नहीं बनाया। मनमोहन सिंह फिलहाल लापता हैं। हालांकि, प्रचारित ये है कि राधे मां का अब अपने पति और बच्चों से कोई संपर्क नहीं है। वहीं, अखाड़ा सूत्रों के अनुसार जांच दल को यकीन है कि राधे मां का परिवार से आज भी संबंध है।
राधे मां सिर्फ निलंबित निष्कासित नहीं-
महामंडलेश्वर पद से निलंबित राधे मां पर लगे आरोपों की जांच के सिलसिले में हरिद्वार से श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की टीम गुरुवार को राधे मां के मायके गांव दोरांगला व मुकेरिया पहुंची। टीम ने यहां स्थानीय लोगों, राधे मां के रिश्तेदारों व श्रद्धालुओं से हुई बातचीत गुप्त रखा। हालांकि, जगद्गुरुपंचानंद गिरि ने कहा कि राधे मां को फिलहाल निलंबित किया गया है, निष्कासित नहीं।
दोरांगला में बातचीत में टीम की अगुवाई कर रहे अनंत विभूषित पंचानंद गिरि ने कहा कि राधे मां को महामंडलेश्वर की उपाधि देने के मानक पूरे किए गए थे। राधे मां को करीब सात साल पहले अखाड़े की ओर से उनकी ही सिफारिश पर संन्यास की दीक्षा दी गई थी। पांच संतों ने पूरे विधि विधान से उन्हें संन्यास दिलाया था। महामंडलेश्वर की उपाधि देते समय करीबदो हजार संत मौजूद थे, जिनमें 11 अखाड़ों के प्रमुख संत भी थे। उन्होंने कहा कि राधे मां को महामंडलेश्वर पद से निष्कासित नहीं किया गया बल्कि फिलहाल निलंबित किया गया है। पंचानंद ने कहा कि श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा व संत समाज ने उस दुष्प्रचार को गंभीरता से लिया है जिसमें यह कहा गया कि महामंडलेश्वर की उपाधि के लिए राधे मां ने पंद्रह करोड़ रुपये अखाड़े को दिए। इस मामले में उन्होंने अदालत जाने की भी बात कही।
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