पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में भी में
टकराव के हालात बन रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रधानमंत्री
राजा परवेज अशरफ को गिरफ्तार नहीं किया गया। आज इस मामले में राष्ट्रीय
जवाबदेही आयोग अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, हालांकि पाकिस्तान सरकार ने
साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री की न गिरफ्तारी होगी और न वो इस्तीफा
देंगे।
उधर संसद के बाहर मौलना कादरी के
धरने का आज चौथा दिन है, मगर उनके और सरकार के बीच सुलह की गुंजाइश नहीं बन
रही। हाथों में पाकिस्तानी झंडा और ज़ुबान पर सरकार विरोधी नारे लिए लोगों
की भीड़ मोर्चे पर जमी है।
जवाबदेही
बोर्ड के कानूनी सलाहकार ब्रिगेडियर शौकत कादिर ने मीडिया से बातचीत में
साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री को संविधान की धारा 248 के तहत संरक्षण
हासिल है, उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी। यूं भी इस मामले में कार्रवाई के लिए
पर्याप्त सबूत नहीं हैं। उधर मौलाना कादरी सरकार ही नहीं संसद और
असेंबलियां तक भंग करने की मांग पर अड़े हैं, लेकिन धरने के तीसरे दिन
सरकार के तेवर उनके खिलाफ थोड़े सख्त नजर आए।
कादरी के खिलाफ इस्लामाबाद में एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। यही नहीं
कैनेडा से 7 साल बाद लौटे कादरी के खिलाफ सियासी लामबंदी भी तेज हो गई है।
नवाज शरीफ ने इस मामले में तमाम विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाई। इस
बैठक में कादरी की नीयत पर सवाल उठाते हुए मांग की गई कि सरकार वक्त पर
चुनाव कराए। दरअसल पाकिस्तान की सिविल सोसाइटी में चर्चाएं ये हैं कि
मौलाना ताहिर-उल-कादरी के धरने के पीछे कोई साजिश है। इसके पीछे कुछ लोग
सेना का तो कुछ लोग अमेरिका का हाथ देख रहे हैं।
लोगों
का मानना है कि चुनाव में बस तीन महीने बचे हैं और मौलाना कादरी इस चुनाव
को ही टलवाने के चक्कर में हैं। इसलिए वो चुनाव आयोग को भंग करने और चुनाव
सुधार की मांग कर रहे हैं। लिहाज कादरी को अब सफाई देनी पड़ रही है।
हालांकि बुधवार को आशंका ये भी जताई जा रही थी कि सरकार घरने पर कोई
कार्रवाई कर सकती है। लेकिन बाद में खुद राष्ट्रपति जरदारी की ओर से साफ कर
दिया गया कि ऐसा नहीं होगा। प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने इस मसले पर
विचार विमर्श के लिए आज एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। बहरहाल तेज़ी से
बदलते सियासी माहौल में पाकिस्तान कई सवालों से एक साथ रूबरू हैं।
सुप्रीम
कोर्ट में आज क्या होगा? क्या प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की कुर्सी
जाएगी? मौलाना कादरी का धरना किस मोड़ पर खत्म होगा? लोकतंत्र मजबूत होगा
या फौज ही फिर लौटेगी?
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