Friday, January 4, 2013

पीड़ित के दोस्त का खुलासा, मैं चिल्लता रहा लोग गुजरते रहे

दिल्ली गैंगरेप मामले में वारदात का इकलौता चश्मदीद और आरोपियों के जुल्म का शिकार सबसे अहम गवाह सामने आ गया है। देश की बेटी के इस दोस्त ने एक निजी चैनल पर इस पूरे घटना के बारे में जो कुछ खुलासा किया है उससे दिल्ली के लोगों, दिल्ली पुलिस, सफदरजंग अस्पताल और सिस्टम की कलई खुलती है।
इस चश्मदीद ने जो खुलासा किया है उसके मुताबिक 16 दिसंबर की रात वारदात के बाद उन्हें फ्लाईओवर के पास बस से नीचें फेंक दिया गया। बाद में लड़की को बस से कुचलने की कोशिश हुई लेकिन उन्होंने लड़की को खींच कर किसी तरह उसकी जान बचाई। दोनों बुरी तरह जख्मी थे। लड़की के शरीर से बहुत ज्यादा खून बह रहा था। उनके शरीर पर कपड़े भी नहीं थे। इसके बाद उन्होंने उसी हालत में आने-जाने वालों से मदद मांगने की कोशिश की लेकिन सड़क से गुजरने वाले ऑटो, कार और बाइक सवारों ने उनकी कोई मदद नहीं की।
लोग अपनी रफ्तार धीमी कर उन्हें देखते और आगे बढ़ जाते। थोड़ी देर में वहां कुछ लोग जमा हो गए लेकिन 20-25 मिनट तक मदद के लिए कोई सामने नहीं आया। किसी ने फोन कर पीसीआर को खबर दी तो पीसीआर को मौके पर पहुंचने में आधे घंटे लग गए। मौके पर तीन-तीन पीसीआर वैन पहुंची, लेकिन तीनों 45 मिनट तक इस बात को लेकर झगड़ते रहे कि ये किस थाने का मामला है। 
लड़की के दोस्त का दावा है कि वो पुलिस के सामने एंबुलेंस बुलाने के लिए चिल्लाता रहा लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। यहां तक कि उन दोनों को कपड़े तक नहीं दिए गए। बाद में उन्हें पीसीआर से ही सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल के लिए पीसीआर वैन में लड़की को चढ़ाने के लिए कोई पुलिस वाला आगे नहीं आया। उन्हें अपने हाथ गंदे होने का डर था। ऐसे में जख्मी होने के बावजूद लड़की के दोस्त ने ही उसे वैन में बिठाया। अस्पातल में काफी देर तक उन्हें शरीर को ढकने के लिए कपड़े या कंबल तक नहीं दिए गए। बार-बार मांगने के बावजूद जब मदद नहीं मिली तो हार कर लड़का फर्श पर ही लेट गया। 
 वारदात के बाद अस्पताल पहुंचने में ही उन्हें ढाई घंटे लग गए। गैंगरेप कांड के इस चश्मदीद का दावा है कि लड़की ने पहली बार एसडीएम को जो बयान दिया था वो सही था। इस लड़के ने ये भी दावा किया कि इस मामले में जांच में लगी पुलिस की एक बड़ी अधिकारी उनसे बड़े लोगों के सामने उनकी वाहवाही करने को कहा करती है।

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