Friday, January 4, 2013

तो क्या बच जाएगा दिल्ली गैंगरेप का सबसे बड़ा आरोपी?

क्या दिल्ली गैंगरेप का सबसे बड़ा आरोपी अदालत में बच सकता है। क्या बहादुर लड़की पर जानलेवा बर्बरता अपनाने वाले को सख्त सजा नहीं मिल सकेगी। क्या कानून की कमजोरी का फायदा उठाकर वो दो साल बाद छुट्टा घूमेगा। अगर जल्द ही बलात्कार से जुड़ा कानून न बदला गया तो ऐसा हो सकता है। क्योंकि दिल्ली गैंगरेप के 6 आरोपियों में एक खुद को नाबालिग बता रहा है।
उसका दावा है कि उसकी उम्र 17 साल 9 महीने है। यानी वो 18 साल से कम है और बलात्कार या कत्ल के मामलों में किसी नाबालिग को अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है। अगर उसकी उम्र 17 साल से अधिक और 18 से कम है तो उसे अधिकतम 2 साल तक बाल सुधार गृह भेजा जा सकता है। नाबालिग को वैसे भी जेल नहीं भेजा जा सकता।
हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि 23 साल की बहादुर लड़की को चलती बस में सामूहिक बलात्कार और फिर लोहे की जंग लगी रॉड से यौन शोषण और टॉर्चर करने में इस नाबालिग ने ही सबसे अहम रोल निभाया। उसी ने बर्बरता की सारी हदें लांघीं। सूत्रों का साफ कहना है कि ये वो इंसान है जो भले ही नाबालिग हो लेकिन उसने काम राक्षसों का किया। लड़की को टॉर्चर करने का सबसे जघन्य अपराध उसके सिर है। 
इतना ही नहीं सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि इस बहादुर लड़की मौत का सबसे बड़ा जिम्मेदार ये लड़़का ही है। अब तक की जांच में पुलिस को पता चल गया है कि खुद को नाबालिग बता रहे इसी आरोपी ने लड़की को आवाज देकर बस में बुलाया था। यही नहीं बस में बैठने के बाद सबसे कम उम्र के इसी आरोपी ने बाकी पांचों आरोपियों को गैंगरेप के लिए न सिर्फ मोटिवेट किया बल्कि इस पूरे घटनाक्रम का सूत्रधार बना।  
सूत्रों के मुताबिक जांच में पुलिस को पता चला है कि खुद को नाबालिग बताने वाले इस लड़के ने गैंग रेप के दौरान बहादुर लड़की पर बेतरह जुल्म ढाए। सूत्रों का कहना है कि इस लड़के ने ही दो बार बड़ी बेरहमी से लड़की से बलात्कार किया। उसकी वहशियाना हरकतों की वजह से ही छात्रा की आंतें तक बाहर आ गईं थीं।
सूत्रों के मुताबिक अपनी चार्जशीट को अंतिम रूप दे चुकी पुलिस ने नाबालिग कहे जा रहे इसे आरोपी का बोन टेस्ट कराया है। ये टेस्ट साफ कर देगा कि ये लड़का बालिग है या फिर सख्त सजा से बचने के लिए ही खुद को नाबालिग बता रहा है। उसे मिलने वाली सजा इसी टेस्ट के नतीजे पर निर्भर करेगी।
जाहिर है बलात्कार को लेकर मौजूदा कानून या भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी भी 18 साल से कम उम्र में किए गए अपराध को बाल अपराध मानता है और अधिकतम तीन साल की सजा के साथ आरोपी को बाल सुधार गृह भेज देता है। तो क्या पूरे देश में हलचल मचाने वाले इस बर्बर गैंगरेप और हत्या के केस में एक आरोपी को ये फायदा मिलेगा।
पीड़ित के पिता ने आईबीए 7 से बातचीत में बालिग और नाबालिग का भेद मिटाने की अपील की। उन्होंने कहा कि बलात्कारी सिर्फ बलात्कारी है और उसे सख्त सजा दी जानी चाहिए।
तो क्या मौजूदा भारतीय कानून बलात्कार या महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर संवेदनशील नहीं है। आखिर क्यों 18 साल से कम उम्र को नाबालिग माना जाता है। लेकिन 15 साल की उम्र में अगर किसी लड़की की शादी हो जाती है तो उसके पति के खिलाफ बलात्कार का केस नहीं चलाया जा सकता, कायदे से तो 15 साल की बच्ची नाबालिग है और उसके साथ शारीरिक संबंध उसकी मर्जी या उसकी मर्जी के खिलाफ बलात्कार की ही श्रेणी में आना चाहिए। कानून की इसी ऊंच नीच और अपराधियों के बढ़ते हौसले के खिलाफ जमाक्रोश देश ने हाल में सड़कों पर देखा है। उम्मीद है कि कानून बदलेगा और इन सारे पहलुओं पर विचार के बाद बदलेगा और नाबालिगों के अपराध की गंभीरता के मद्देनजर उनकी सजा पर भी दोबारा विचार किया जाएगा।

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