दिग्गी राजा के मशहूर ए.आई.सी.सी. महासचिव दिग्विजय सिंह उन सभी से निपटना जानते हैं जो उनका रास्ता काटते हैं।
इनमें चाहे पी. चिदम्बरम हों या फिर शक्तिशाली अहमद पटेल। परन्तु जब परिवार का मामला आता है तो वह कोई भी समझौता करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
अब जबकि उनका स्वयं घोषित 10 वर्षों का वनवास खत्म होने जा रहा है तो वह लोकसभा चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं तथा उन्होंने अपना ध्यान राष्ट्रीय राजनीति पर केन्द्रित किया हुआ है। उनकी योजना के अनुसार उनका पुत्र यशवद्र्धन पारिवारिक सीट राघोगढ़ से चुनाव लड़ेगा। यशवद्र्धन ने हाल ही में यात्रा निकाली थी तथा वह अब हलके के साथ जुड़ रहे हैं जबकि उनके पिता राघोगढ़ में सिधियां का प्रभाव समाप्त करने के लिए यत्नशील हैं।
मध्य प्रदेश में जब कांगे्रस का नया कार्यालय खोला गया तो दिग्विजय ने सार्वजनिक रूप से ज्योतिरादित्य सिधियां को सीने से लगाया तथा उन्हें कांग्रेस में एक चमकता हुआ सितारा करार दिया। ज्योतिरादित्य ने भी दिग्विजय सिंह की लीडरशिप की सराहना की। दोनों नेताओं के बीच हुए पैचअप को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस में काफी चर्चा चल रही है। एक कांग्रेसी नेता ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेसी नेताओं के लिए परिवार पहले आता है।
दिग्विजय सिंह को अपने ही परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। उनके भाई लक्ष्मण सिंह ने विरोध के स्वर उठाए हुए थे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि दिग्विजय अपने पुत्र को आगेलाएं। लक्ष्मण सिंह जिन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा का दामन पकड़ा था, वह अब वापस कांग्रेस में आने के इच्छुक हैं। लक्ष्मण सिंह इसलिए दुखी हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में उनके पुत्र की अनदेखी हो रही है।
दिग्विजय सिंह ने इस विवाद को खत्म करने के लिए लक्ष्मण सिंह के पुत्र को स्थानीय पंचायत चेयरमैन का चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
लक्ष्मण सिंह स्वयं रायगढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं जबकि दिग्विजय सिंह स्वयं इंदौर जाने के विकल्प को तलाश रहे हैं। दिग्विजय सिंह द्वारा अपने परिवार को खुश रखने के लिए भरपूर यत्न किए जा रहे हैं परन्तु दूसरी ओर कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं का कहना है कि परिवार की राजनीति न जाने कहां तक जाएगी। क्या उनके लिए कोई स्थान रिक्त रहेगा या नहीं।
इनमें चाहे पी. चिदम्बरम हों या फिर शक्तिशाली अहमद पटेल। परन्तु जब परिवार का मामला आता है तो वह कोई भी समझौता करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
अब जबकि उनका स्वयं घोषित 10 वर्षों का वनवास खत्म होने जा रहा है तो वह लोकसभा चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं तथा उन्होंने अपना ध्यान राष्ट्रीय राजनीति पर केन्द्रित किया हुआ है। उनकी योजना के अनुसार उनका पुत्र यशवद्र्धन पारिवारिक सीट राघोगढ़ से चुनाव लड़ेगा। यशवद्र्धन ने हाल ही में यात्रा निकाली थी तथा वह अब हलके के साथ जुड़ रहे हैं जबकि उनके पिता राघोगढ़ में सिधियां का प्रभाव समाप्त करने के लिए यत्नशील हैं।
मध्य प्रदेश में जब कांगे्रस का नया कार्यालय खोला गया तो दिग्विजय ने सार्वजनिक रूप से ज्योतिरादित्य सिधियां को सीने से लगाया तथा उन्हें कांग्रेस में एक चमकता हुआ सितारा करार दिया। ज्योतिरादित्य ने भी दिग्विजय सिंह की लीडरशिप की सराहना की। दोनों नेताओं के बीच हुए पैचअप को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस में काफी चर्चा चल रही है। एक कांग्रेसी नेता ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेसी नेताओं के लिए परिवार पहले आता है।
दिग्विजय सिंह को अपने ही परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। उनके भाई लक्ष्मण सिंह ने विरोध के स्वर उठाए हुए थे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि दिग्विजय अपने पुत्र को आगेलाएं। लक्ष्मण सिंह जिन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा का दामन पकड़ा था, वह अब वापस कांग्रेस में आने के इच्छुक हैं। लक्ष्मण सिंह इसलिए दुखी हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में उनके पुत्र की अनदेखी हो रही है।
दिग्विजय सिंह ने इस विवाद को खत्म करने के लिए लक्ष्मण सिंह के पुत्र को स्थानीय पंचायत चेयरमैन का चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
लक्ष्मण सिंह स्वयं रायगढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं जबकि दिग्विजय सिंह स्वयं इंदौर जाने के विकल्प को तलाश रहे हैं। दिग्विजय सिंह द्वारा अपने परिवार को खुश रखने के लिए भरपूर यत्न किए जा रहे हैं परन्तु दूसरी ओर कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं का कहना है कि परिवार की राजनीति न जाने कहां तक जाएगी। क्या उनके लिए कोई स्थान रिक्त रहेगा या नहीं।
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