झारखंड में अर्जुन मुंडा सरकार पर मंडराया खतरा गहरा गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बीजेपी के नेतृत्व में चल रही झारखंड सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है. JMM नेता मंगलवार को राज्यपाल से मिलकर उन्हें समर्थन वापसी की चिट्ठी सौंपेंगे.
जेएमएम के गठबंधन से बाहर आने के साथ ही राज्य में बीजेपी नीत अर्जुन मुंडा सरकार अल्पमत में आ गई है. दोनों पार्टियों के बीच सत्ता हस्तांतरण को लेकर विवाद पैदा हो गया था. सरकार के अल्पमत में आ जाने से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है.
जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन ने कहा कि हमने अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. हम मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात करेंगे और समर्थन वापसी की चिट्ठी सौंपेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ दोस्ती की कोई संभावना नहीं है.
इससे पहले जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे और राज्य के उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा था, ‘हमने सरकार से समर्थन वापस ले लेने का फैसला लिया.’
सोमवार को दिन भर राजनीतिक गलियारे में गहमा गहमी चलती रही. सुबह जेएमएम कार्यकारिणी की बैठक हुई. मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा शिबू सोरेन को मनाने उनके आवास पर पहुंचे. मुलाकात के बाद मुंडा ने मीडिया को कुछ भी नहीं बताया.
रविवार की रात जेएमएम ने घोषणा की थी कि उसकी कार्यकारिणी की बैठक में सोमवार को बीजेपी के साथ गठबंधन जारी रखने या नहीं रखने पर फैसला लिया जाएगा.
गठबंधन में दरार तभी से दिखने लगी थी जब 3 जनवरी को अर्जुन मुंडा ने जेएमएम को लिखित उत्तर में दोनों दलों के बीच 28 माह बाद सत्ता हस्तांतरित करने का कोई समझौता होने से इनकार कर दिया. 28 माह की अवधि 10 जनवरी को पूरी हो जाएगी.
मुंडा सरकार में उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत जेएमएम के पांच मंत्री हैं. सितंबर 2010 को जेएमएम के 18 विधायकों के समर्थन से बीजेपी नीत मुंडा सरकार का गठन हुआ था. 82 सदस्यीय राज्य विधानसभा में बीजेपी के भी 18 विधायक हैं. इसके अलावा पार्टी को अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) के छह और जदयू के दो विधायकों का समर्थन हासिल है.
विधानसभा में कांग्रेस के 12, झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक के 11, आरजेडी के छह और अन्य छोटे दलों व निर्दलीय विधायक हैं. जेएमएम अब कांग्रेस के समर्थन से सरकार गठन के प्रयास में है. सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप बालमुचु ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की.
जेएमएम के गठबंधन से बाहर आने के साथ ही राज्य में बीजेपी नीत अर्जुन मुंडा सरकार अल्पमत में आ गई है. दोनों पार्टियों के बीच सत्ता हस्तांतरण को लेकर विवाद पैदा हो गया था. सरकार के अल्पमत में आ जाने से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है.
जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन ने कहा कि हमने अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. हम मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात करेंगे और समर्थन वापसी की चिट्ठी सौंपेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ दोस्ती की कोई संभावना नहीं है.
इससे पहले जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे और राज्य के उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा था, ‘हमने सरकार से समर्थन वापस ले लेने का फैसला लिया.’
सोमवार को दिन भर राजनीतिक गलियारे में गहमा गहमी चलती रही. सुबह जेएमएम कार्यकारिणी की बैठक हुई. मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा शिबू सोरेन को मनाने उनके आवास पर पहुंचे. मुलाकात के बाद मुंडा ने मीडिया को कुछ भी नहीं बताया.
रविवार की रात जेएमएम ने घोषणा की थी कि उसकी कार्यकारिणी की बैठक में सोमवार को बीजेपी के साथ गठबंधन जारी रखने या नहीं रखने पर फैसला लिया जाएगा.
गठबंधन में दरार तभी से दिखने लगी थी जब 3 जनवरी को अर्जुन मुंडा ने जेएमएम को लिखित उत्तर में दोनों दलों के बीच 28 माह बाद सत्ता हस्तांतरित करने का कोई समझौता होने से इनकार कर दिया. 28 माह की अवधि 10 जनवरी को पूरी हो जाएगी.
मुंडा सरकार में उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत जेएमएम के पांच मंत्री हैं. सितंबर 2010 को जेएमएम के 18 विधायकों के समर्थन से बीजेपी नीत मुंडा सरकार का गठन हुआ था. 82 सदस्यीय राज्य विधानसभा में बीजेपी के भी 18 विधायक हैं. इसके अलावा पार्टी को अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) के छह और जदयू के दो विधायकों का समर्थन हासिल है.
विधानसभा में कांग्रेस के 12, झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक के 11, आरजेडी के छह और अन्य छोटे दलों व निर्दलीय विधायक हैं. जेएमएम अब कांग्रेस के समर्थन से सरकार गठन के प्रयास में है. सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप बालमुचु ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की.
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