अमेरिकी सीनेट में हिंदू प्रार्थना शुरू
होने के लगभग साढ़े पांच साल बाद निर्वाचित हुईं पहली हिंदू सांसद तुलसी
गेबार्ड ने पवित्र हिंदू धर्मग्रंथ गीता को साक्षी मानकर पद की शपथ ली है।
तुलसी डेमोक्रेटिक पार्टी से अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए निर्वाचित हुई
हैं।
हिन्दू
मां और कैथोलिक पिता की देखरेख में बहुजातीय, बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक
परिवार में पली-बढ़ी 31 साल की तुलसी दक्षिणी प्रशांत सागर के स्वतंत्र
देश समोआ मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने हिन्दुओं के पवित्र धर्म
ग्रंथ 'भगवद् गीता' को साक्षी मानकर गुरुवार को पद की शपथ ली। ऐसा करने
वाली वह अमेरिकी कांग्रेस की पहली सदस्य हैं। गेबार्ड ने ऐसा करके अपने आप
में एक इतिहास रचा है।
इससे पहले जुलाई 2007 में जब एक हिंदू संत
ने सीनेट में पहली बार हिंदू प्रार्थना करवाई थी तो तीन लोगों ने प्रार्थना
सभा में बाधा पहुंचाई थी। हालांकि वे बाद में गिरफ्तार कर लिए गए थे।
लेकिन तुलसी का शपथ-ग्रहण बिना किसी बाधा के पूरा हुआ। हिन्दू धर्म अपनाने
पर गर्व महसूस करते हुए तुलसी ने उम्मीद जताई कि वह जल्द ही भारत की पहली
यात्रा करेंगी। तुलसी भारतीय मूल की नहीं हैं, लेकिन किशोरावस्था में ही
उन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया था।
डेमोक्रेट
तुलसी, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में हवाई का प्रतिनिधित्व करती हैं। इससे
पहले वह होनोलुलु सिटी काउंसिल में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। शपथ-ग्रहण के
बाद तुलसी ने कहा कि मैंने भगवद् गीता की अपनी निजी प्रति के साथ शपथ लेने
का निर्णय लिया, क्योंकि इसने मुझे सेवाभावी नेता बनने का प्रयास करने और
अपने देश और दूसरों की सेवा करने को लेकर जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित
किया है। तुलसी ने गीता को अपना मार्गदर्शक बनाया है। उनका कहना है कि यह
ग्रंथ सफलता या विफलता, दोनों परिस्थितियों में उन्हें संतुलित रहने व
धैर्य बनाए रखने की प्रेरणा देता है
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