भारत के कड़े रुख के बाद पाकिस्तान
के तेवर ढीले होते दिख रहे हैं। पाकिस्तान की विदेशमंत्री हिना रब्बानी खार
ने तनाव घटाने के लिए बातचीत की पेशकश की है। रब्बानी ने कहा कि वो
नियंत्रण रेखा के मसले पर भारतीय विदेश मंत्री से बातचीत के लिए तैयार हैं।
उधर पाकिस्तान के डीजी मिलिट्री ऑपरेशंस ने भी भरोसा दिया है कि वो अपने
सैनिकों से संयम बरतने की अपील करेंगे।
दस
दिनों से नियंत्रण रेखा पर कायम तनाव घटने के आसार बन रहे हैं। अब तक भारत
को चिढ़ाती दिख रही पाकिस्तानी हुकूमत के तेवर में तब्दीली आई है। दो
सैनिकों की बर्बर हत्या का मसला संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की बात करने
वाली, भारतीय सेना और सरकार पर जंगी तेवर अख्तियार करने का आरोप लगाने वाली
पाकिस्तान विदेशमंत्री के बल ढीले पड़े हैं।
सीएनएन
की पत्रकार क्रिश्टीना अमानपुर के एक सवाल के जवाब में हिना रब्बानी खार
ने कहा है कि वो भारत के विदेश मंत्री को इस मसले पर बातचीत की दावत दे रही
हैं। खार के मुताबिक निराशा के बावजूद हम समझते हैं कि भारत और पाकिस्तान
दक्षिण एशिया में काफी महत्वपूर्ण देश हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों देश
शांति प्रक्रिया को लेकर अपनी जिम्मेदारी दिखाएंगे। इसके लिए हमें बयानबाजी
के बदले आपस में बैठकर बात करनी होगी। इसके लिए मैं भारत के विदेश मंत्री
से भी बातचीत के लिए तैयार हूं। नियंत्रण रेखा के मसले पर बातचीत की जरूरत
है।
ये वही हिना रब्बानी हैं जिन्होंने पहले मसले के अंतर्राष्ट्रीयकरण का दांव
चला था। निष्पक्ष जांच के लिए तीसरे पक्ष को शामिल करने की बात की थी।
जाहिर है इसमें भारत सरकार के कड़े रुख और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के
सख्त बयान का भी हाथ है। इस बीच पाकिस्तान और भारत के डीजी मिलिट्री
ऑपरेशंस की भी फोन पर बात हुई। दस मिनट चली बातचीत में पाकिस्तान के डीजी
ने यकीन दिलाया कि वो अपने सैनिकों को संयम बरतने के लिए कहेंगे।
भारत
की ओर से भी पाकिस्तान को यही भरोसा दिलाया गया है, लेकिन सवाल अब भी यही
है कि फोन पर भरोसा दिलाने और विदेश मंत्रियों की बातचीत से क्या हासिल
होगा अगर नीयत में ही खोट हो?
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