क्या महात्मा गांधी को अपने अंत का
पूर्वाभाष हो गया था? उनके अंतिम आमरण अनशन को लेकर लगी यहां 20 पैनलों की
एक प्रदर्शनी में कुछ-कुछ यही संकेत मिल रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में
सांप्रदायिक दंगे से आहत महात्मा गांधी ने आमरण अनशन पर बैठने से पहले 12
जनवरी 1948 को कहा था कि कौन जानता है कि मेरी 'अहिंसा' मेरे जीवन की अंतिम
घड़ी तक परीक्षा लेगी। एक कहावत है कि बुझती हुई लौ बुझने से पहले जोर से
जल उठती है। शायद मेरा अंत करीब है और मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं..।
नेहरू
राष्ट्रीय संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) में लगी इस प्रदर्शनी का
उद्घाटन बुधवार को संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने महात्मा गांधी
की 65वीं पुण्य तिथि के मौके पर किया। हत्या से एक पखवाड़ा पहले
संकीर्णतावाद और धार्मिक घृणा के खिलाफ गांधी के संघर्ष की झलक प्रदर्शनी
में दिखती है। 20 पैनलों की प्रदर्शनी 'अहिंसा का हथियार: महात्मा गांधी का
अंतिम उपवास' से संबंधित मुद्रित और दृश्य प्रिंटों की सामग्री को
पुस्तकालय की लॉबी में गांधी के मार्ग के कालानुक्रम में सजाया गया है।
प्रदर्शनी में दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों
को लेकर महात्मा की नाराजगी, 12 जनवरी 1948 को राजधानी के बिड़ला हाउस में
उनका उपवास पर जाना, 130 हिंदुओं, सिखों और मुस्लिमों के जत्थे द्वारा
शांति की घोषणा के बाद उपवास तोड़ना, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल
नेहरू की लोगों से राष्ट्र को बचाने की अपील और 30 जनवरी की शाम को गांधी
की हत्या पर सामग्री शामिल है। गांधी के अंतिम दिनों के बारे में जानकारी
का स्रोत दक्षिण अफ्रीका में उनके सहयोगी रहे हेरमन कैल्लेनबैच के साथ उनके
पत्राचार हैं। यह भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में निजी कागजातों का
अद्यतन संयोजन है। पत्राचार 13 समूहों में वर्गीकृत हैं जिससे गांधीजी के
कैल्लेनबैच परिवार-भाई सिमोन और भतीजी हाना लैजर के साथ गांधी के रिश्तों
की जानकारी मिलती है।
पत्रों
में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाली प्रमुख भारतीय
हस्तियों जैसे गोपाल कृष्ण गोखले, फीरोजशाह मेहता, सी.एफ. एंड्रयू, महादेव
देसाई, प्यारेलाल, सुशीला बेन, मीराबेन, मणिलाल गांधी और गांधी के अन्य कई
सहयोगियों के पत्र शामिल हैं। संग्रह में 287 छाया चित्र और स्मरणीय
वस्तुएं-यरवदा चक्र, सूरज का झंडा और खादी के वस्त्र शामिल हैं जो यह साबित
करने के लिए पर्याप्त है कि कैल्लेनबैच परिवार के रोजमर्रा के जीवन पर
महात्मा गांधी का कितना प्रभाव था। इसके अलावा संग्रह में 'यंग इंडिया' और
'हरिजन' की मूल प्रतियां भी हैं।