तेजाब की जलन से पिछले एक महीने में हर रोज
जलती प्रीति घरवालों से बस एक ही सवाल करती थी। आखिर किसने मेरा ये हाल
किया, मेरा क्या कसूर था। बार-बार वो ये पूछती थी कि क्या पकड़ा गया मेरा
मुजरिम। लेकिन पकड़ा जाना तो दूर, आज तक केस की जांच कर रही जीआरपी को उसके
मुजरिम की हवा तक नहीं लगी है। वहीं घरवाले प्रीति के इलाज में हुई
लापरवाही पर भी अब सवाल खड़े कर रहे हैं।
मुंबई
के बांद्रा टर्मिनस पर 2 मई को एसिड अटैक का शिकार हुई प्रीति राठी एक
महीने तक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ने के बाद आखिरकार हजारों सवालों के
साथ इस दुनिया से चली गई। 2 मई को गरीब रथ ट्रेन से मुंबई आई प्रीति पर
स्टेशन पर उतरते ही एक अनजान शख्स ने तेजाब फेंक दिया था। इसके बाद पहले
उसे भायखला के मसीना अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके बाद 18 मई को
बॉम्बे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया था।
आरोप
है कि शुरू में प्रीति के इलाज में की गई लापरवाही उसके लिए जानलेवा साबित
हुई। उसके पूरे शरीर में इंफेक्शन हो गया। उसके फेफड़ों ने काम करना बंद
कर दिया। फिर एक-एक करके दूसरे अंगों ने। शनिवार सुबह से ही प्रीति का ब्लड
प्रेशर काफी ज्यादा कम हो गया था।. उसकी हृदय गति बनाए रखने के लिए उसे
इलेक्ट्रिक शॉक भी दिए गए, लेकिन सारी कोशिशों के बावजूद आखिरकार शनिवार
दोपहर प्रीति ने दम तोड़ दिया। प्रीति 12 दिनों तक बॉम्बे हॉस्पिटल में
एडमिट रही, लेकिन इस बीच उसका एक भी ऑपरेशन नहीं किया गया। अब डॉक्टर सफाई
दे रहे हैं कि उसका शरीर बेहद कमजोर था जिस वजह से सर्जरी नहीं की गई।
इस
केस में बांद्रा जीआरपी पर परिवार वाले आरोप लगा रहे हैं कि उसने जांच ठीक
से नहीं की। केस में पुलिस 9 मई को संदेह के आधार पर दो लड़कों को
गिरफ्तार कर मुंबई लाई थी। लेकिन घरवालों ने उसे गलत बताते हुए जीआरपी की
कहानी को न सिर्फ झुठलाया बल्कि पुलिस जांच पर नाराजगी जताई। इसके बाद
प्रीति के पिता अमर सिंह राठी ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री
को खत लिखकर केस की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी।
प्रीति
के परिवार की नाराजगी के बाद केस जीआरपी की क्राइम ब्रांच को सौंपा गया।
लेकिन अब भी इस केस में कोई खास लीड नहीं मिल सकी है। लिहाजा परिवार वालों
को सीबीआई जांच की मांग करनी पड़ी। अब जबकि राज्य सरकार सीबीआई की जांच की
मांग मान गई है,परिवार को आस जगी है कि प्रीति को इंसाफ मिल सकेगा।
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