Friday, June 21, 2013

शर्म.शर्म.शर्म...तबाही में फंसी औरतों से छेड़खानी

इस खबर को पढ़कर आप इंसानियत पर शर्मशार हो जाएंगे। उत्तराखंड में आई हिमायली सुनामी ने सैकड़ों की जिदंगी छीन ली है। हजारों लोग फंसे हुए है। लेकिन बदमाशों की करतूत देखिए की केदारनाथ और उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में फंसी महिला श्रद्धालुओं के साथ बदतमीजी कर रहे है। संकट में फंसे श्रद्धालुओं पर नेपाली बदमाशों ने हमला कर दिया। ये शरारती लोग ना केवल लोगों का सामान और उनके पैसे लूट रहे है ब्लकि वो महिलाओं की आबरू पर भी हमला कर रहे है। संकट में फंसी महिलाओं के साथ से लोग छेड़खानी करते है, बदतमीजी करते है और उनके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे है। पड़ोसी देश से आए बदमाश महिलाओं के साथ दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर रहे है। बदमाशों से घिरे इन लोगों तक अब तक की सहायता नहीं पहुंच पाई है। सेना के जवान बचाव कार्य में लगे है लेकिन राहत कार्य बहुत धीमा है। केदारनाथ और आसपास के पहाड़ी और जंगली इलाकों में नेपाल से आए बदमाश हथियारों के साथ इनपर हमला कर रहे है। इनका सामान लूट रहे है और महिलाओं के साथ बदसलूकी कर रहे है। रास्तें और पहाड़ों में फंसे लोग राहत और बचाव कार्य से खुश नहीं है। उन्हें ना तो खाने का सामान मुहैया करा जा रहा है और ना ही उन्हें दवाईयां मिल रही है। राहत का काम इतना धीरे चल रहा है कि कई लोग अब भूख-प्यास से मरने लगे है।

केदारनाथ में ऐसी मची तबाही कि दहल जाए दिल फोटो

केदारनाथ धाम में तबाही के बाद की तस्वीरें यहां के हालात को बखूबी बयान कर रही हैं। पूरा मंदिर पहाड़ से आए सैलाब में तबाह हो चुका है। मंदिर की सीढ़ियां, चबूतरा, रेलिंग सबका नामोनिशान मिट गया है। सिर्फ मंदिर की मुख्य इमारत बची है। आसपास के मकान और दुकानें भी तिनकों की तरह उड़ चुके हैं। मंदिर के आसपास लाशें बिखरी हुई हैं। हर तरफ बड़े बड़े पत्थर नजर आ रहे हैं जो सैलाब के साथ बहकर आए थे।
जब IBN-7 संवाददाता केदारनाथ धाम मंदिर पहुंचे तो वहां का मंजर देख सन्न रह गए। चप्पे-चप्पे पर कुदरत के कहर के निशान बिखरे पड़े हैं। हिंदू आस्था के प्रतीक केदारनाथ मंदिर में कुदरत ने जो महाविनाश मचाया है। ये तस्वीरें उसका जीता-जागता सबूत हैं। मंदिर के चबूतरे पर चढ़ते ही आपके होश उड़ जाएंगे। चबूतरे पर हर तरफ बिखरी हैं श्रद्धालुओं की लाश। कुछ तस्वीरें ऐसी भी हैं जिन्हें हम आपको नहीं दिखा सकते हैं।
केदारनाथ में ऐसी मची तबाही कि दहल जाए दिल <a href='http://khabar.ibnlive.in.com/photogallery/4952/'><font color=red>फोटो</font></a>
केदारनाथ मंदिर के चबूतरे पर जांव गंवा चुके ये वो लोग हैं जिन्होंने कुदरत के कहर से बचने के लिए महादेव की ओट ली थी। जब बारिश का पानी बाढ़ की शक्ल में नीचे आया तो आसपास मौजूद लोगों ने ये सोचकर मंदिर में शरण ली थी कि मंदिर ऊंचाई पर है और पानी यहां तक नहीं पहुंच पाएगा। लेकिन होनी तो कुछ और ही तय कर चुकी थी। पहाड़ से उतरे सैलाब ने देखते ही देखते विकराल रूप धर लिया। पानी के साथ मिट्टी का रेला और बड़े-बड़े पत्थर नीचे आने लगे। हर तरफ ऊंचे पहाड़ और बीच में बसा केदारनाथ मंदिर और मंदिर में फंसे सैकड़ों श्रद्धालु। देखते ही देखते आसपास का इलाका मिट्टी और पत्थरों से पट गया।
अब बारी थी महादेव के मंदिर की। कुदरत ने न इंसान को बख्शा और न ही भगवान को। बाढ़ का पानी मंदिर में घुस गया। जो जहां था, वो वहीं फंसकर रह गया। कुछ खुशनसीब थे जो जान बचाकर पहाड़ियों की ओर निकल गए। जो नहीं जा पाए उनकी इसी मंदिर और आसपास के इलाके में जलसमाधि बन गई। मंदिर के चबूतरे पर पड़ी श्रद्धालुओं की लाशें इसकी गवाह हैं।
आशंका जताई जा रही है कि बड़ी तादाद में लोग मिट्टी के मलबे में दबे हो सकते हैं। साथ ही मंदिर के आसपास बने मकानों और दुकानों में भी लाशें हो सकती हैं। प्रशासन का दावा है कि केदारनाथ मंदिर के आसपास फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। यानी अब यहां सिर्फ बर्बादी के ये निशान और चंद अभागे लोगों की लाशें ही बची हैं।
बारिश और बाढ़ में ये पूरा इलाका बर्बाद हो चुका है। मंदिर का वो चबूतरा जहां श्रद्धालु लाइन लगाते थे और मंदिर की परिक्रमा करते थे, उस चबूतरे का नामोनिशान मिट चुका है। अलबत्ता महादेव का सेवक नंदी जरूर अपनी जगह पर मौजूद है। चबूतरे के चारों तरफ लगी लोहे और कंक्रीट की रेलिंग भी नजर नहीं आ रही है। जमीन से 10 फीट ऊंचे चबूतरे तक पहुंचाने वाली इन सीढ़ियों का अस्तित्व भी मिट गया है।
केदारनाथ धाम में तबाही का ऐसा तांडव मचा है कि मंदिर के आसपास बने दर्जनों मकान और दुकानों को नामोनिशान तक नहीं दिखता। पानी के रेले में दुकान और मकान कहां बह गए कोई नहीं जानता। मंदिर के आसपास जो इमारतें थी आज वो खंडहर बन चुकी हैं। ज्यादातर इमारतें बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी हैं। और जो बची हैं उनमें भी पहले मंजिल के ऊपर तक मिट्टी का मलबा और छोटे-बड़े पत्थर भरे पड़े हैं।
यहां पत्थर जमे हैं जो बाढ़ के पानी के साथ पहाड़ों से नीचे आए हैं। जरा सोचिए जब ये पत्थर धड़धड़ाती रफ्तार से नीचे आए होंगे तो क्या हुआ होगा। इन पत्थरों के सामने आनी वाली हर चीज मिट्टी में मिल गई होगी। चाहे वो इंसान हो या इमारतें।

चश्मदीदों की जुबानी, रोंगटे खड़े करने वाली कहानी

केदारनाथ धाम के दर्शन करने गए कई श्रद्धालुओं के लिए ये दौरा भयानक सपने में तब्दील हो गया। पवित्र मंदिर के दर्शन करने गए श्रद्धालुओं ने वो मंजर देखा जिसकी उन्हें सपने में भी उम्मीद नहीं थी। कई लोगों ने अपनी आंखों के सामने अपनों को खो दिया तो कई किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहे।
पढ़ें: चश्मदीदों की जुबानी, रोंगटे खड़े करने वाली कहानी
मानों आसमान फट गया
केदारनाथ के दर्शन के लिए गए नागपुर के संजय देशपांडे के लिए भी यह यात्रा एक भयानक सपने जैसी रही। संजय देशपांडे पिछले 23 सालों से केदारनाथ टूर आयोजित करते हैं। इस साल 67 लोगों को लेकर वह केदारनाथ गए थे। लेकिन बादल फटने से जो हालात बने वह किसी बुरे सपने से कम नहीं। देशपांडे बताते हैं कि वैसे तो इस इलाके में भूस्खलन आम बात है। लेकिन अबकी बार लगातार बारिश ने जो कहर ढाया है उसे देखते हुए संजय के रौंगटे खडे हो जाते हैं।
प्रकृति का जो रौद्र रूप उन्होंने देखा है, उसे वो ताउम्र नहीं भुला सकते। कईयों को पानी में बहते उन्होंने देखा है। संजय देशपांडे और उनके साथी चार दिन वहां अटके रहे। कल शाम वह नागपुर में अपने घर पहुंचे।
संजय देशपांडे कहते हैं कि मेरे 23 साल के करियर में यह सबसे भयानक यात्रा रही। लैन्डस्लाइड होना आम बात है, लेकिन इस बार जो हुआ काफी भयानक था, मानो आसमान फट गया है। लोग वहीं फंसे हुए हैं। हमने जो देखा वह काफी भयानक था। कई लोग हमारे सामने ही बह गए। चारों तरफ मलबा ही मलबा था। बाढ़ मे फंसे लोगों का सरकार जो आकड़ा बता रही है, उससे कहीं ज्यादा आकड़ा है। ऐसी जगह पर लोग फंसे हैं, जहां मदद मिलना मुश्किल हो गया है।
किसी तरह बची जान
रमेश चंद्र की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। रमेश का कहना है कि यमुनोत्री , गंगोत्री होते हुए हम केदारनाथ जा रहे थे। केदारनाथ जाते हुए रास्ते में बहुत तेज बारिश हो गई और रास्ता जाम हो गया। पुलिस ने हमें आगे जाने से रोक दिया। पीछे भी नहीं जा सकते थे। सुबह देखा कि आगे और पीछे कोई रास्ता नहीं बचा है, हम किसी तरह से जान बचा कर वहां से निकले। हम कुल 26 लोग थे।
भूख के मारे बच्चे हो रहे बेहोश
फरीदाबाद के सेक्टर 7 में रहने वाले पुष्पक गुप्ता अपनी पत्नी और दो छोटी बच्चियों के साथ और सेक्टर 9 में रहने वाले रवि पाटनकर अपनी मां, पत्नी, दो बेटी और एक बेटे के साथ केदारनाथ की यात्रा के लिए गए थे। परिजनों के मुताबिक 14 जून को जब यह लोग गौरी कुंड पहुचे तो पर्किंग में खड़ी इनकी फॉर्च्यूनर कार पत्थर गिरने से डेमेज हो गई। इसके बाद इन्होंने ठहरने के लिए गौरी कुंड में ही एक लॉज की शरण ली।
लेकिन वहां घोषणा की गई कि इस क्षेत्र को तुरंत खाली कर दें। इसके बाद ये लोग गौरीकुंड पुलिस चौकी के पास बने एक सरकारी स्कूल में पहुंच गए और पिछले 6 दिनों से वही रुके हुए हैं। पुष्पक के भाई पंकज के मुताबिक उनके पास सिर्फ नमकीन के 2 पैकेट थे जिस पर उन्होंने 4 दिन काटे। उनका कहना है कि वहां हालत बेहद बुरे हैं, भूख के मारे बच्चे बेहोश हो रहे हैं। खाने और पीने के लिए कुछ नहीं है, प्रशासन की अभी तक कोई मदद वहां नहीं पहुंची है।
ऐसा भयानक मंजर कभी नहीं भूल पाएंगे
उतराखंड त्रासदी में फंसे यात्री बीकानेर पहुंचे हैं इनमें से चार अभी भी लापता हैं। केदारनाथ से सकुशल बीकानेर पहुंचे तो इन्हें देख परिजनों ने राहत की सांस ली। वहीं इन यात्रियों के साथ गए एक ही परिवार के चार लोग लापता हैं, जिनका इंतज़ार परिवार के लोग कर रहे हैं।
केदारनाथ गए यात्रियों की बस जब बीकानेर पहुंची तो अपनों को सकुशल देख परिवार वालो की आंखें भर आईं, गले मिलकर हालचाल पूछा और वहां के हालात के बारे में जाना। इस भयानक हादसे को देख यात्री काफी घबराए हुए थे। उन्होंने बताया कि वहां हालात काफी खराब हैं अभी भी काफी यात्री फंसे हुए हैं। ऐसा भयानक मंजर वो कभी नहीं भूल पाएंगे। इनका कहना है कि मिलिट्री के लोग हैं, पर प्रशाशन की ओर से कोई बंदोबस्त नहीं है। हमारे साथी भी लापता है पर प्रशाशन की ओर से कोई मदद नहीं मिली।
बीकानेर आए ये लोग खुश थे पर उन्हें इस बात का भी गम था कि उनके चार यात्री बिछड़ गए हैं। उनसे 15 तारीख बाद कोई संपर्क नहीं हो पाया। हाथ में तस्वीर लिए ये परिजन नाम आंखों से अपनों का इंतज़ार कर रहे हैं।
परिजनों का कहना है कि द्वारिका दास पुरोहित और सुषमा हर साल वो अपनी बस लेकर केदारनाथ जाते थे। पर इस साल किसी ने ये नहीं सोचा था कि ऐसी त्रासदी होगी। उनके भाई ने बताया कि जब दो यात्री गीता देवी और बाबूलाल पीछे फंस गए तो वो उन्हें वापस लेने लौटे। मेरे भाई देहरादून गए हैं उनकी तलाश में।
अब दुआओं का सहारा
ठाणे में रहनेवाले मिश्रा परिवार के चार सदस्य केदारनाथ मे अटके हैं। वशिष्ट और कलावती मिश्रा अपने दो रिश्तेदारों के साथ केदारनाथ गए थे। लेकिन केदारनाथ पहुंचने के बाद उनका कोई संपर्क नही हुआ है। यहां ठाणे में उनका पूरा परिवार चिंतित है। टीवी पर आ रही हादसे की भयानक तस्वीरें देखकर मिश्रा परिवार के लोग काफी चिंतित हैं। अपने माता-पिता से संपर्क करने का हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
वापस लौटने का यकीन नहीं हो रहा
गाजियाबाद से दर्शन करने गए एक परिवार के नौ लोग केदारनाथ गए थे और अब वापिस गाजियाबाद आ गए हैं। लेकिन दहशत अब तक इनके दिलोंदिमाग से नहीं निकली है। तबाही के बाद की तस्वीरें भी इस परिवार ने ली है। वहीं गाजियाबाद के दो परिवार के सात लोग अभी भी वहीं फंसे हुए हैं। परिवार वाले उनको लेकर बेहद चिंता में हैं।
मनोज आपने परिवार के नौ लोगो के साथ केदारनाथ दर्शन के लिए गए थे। मंदिर वापस लौटते समय ये लोग गोविंदधाम में फंस गए। इनका कहना है कि हमने मौत को अपनी आंखों से देखा। तेज बारिश हो रही थी और पहाड़ गिर रहे थे। दो दिनों तक डर का ये आलम था कि न तो कुछ खाया गया न पीया गया। बच्चे बेहद डरे हुए हैं। हमें तो घर पहुंचने का भी विश्वास नहीं था।

सरकार ने बरती सुस्ती, रेलवे ने भी दिखाई बेरुखी

उत्तराखंड में हुई तबाही के बाद इलाके में फंसे लोगों में प्रशासन और सरकार के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा है। लोगों का कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से राहत और मदद मिलने में काफी देरी हो रही है। इसी बात को लेकर जोशीमठ में राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी।
प्रशासन पर बेरुखी का आरोप
दर्द: सरकार ने बरती सुस्ती, रेलवे ने भी दिखाई बेरुखी
उत्तराखंड में फंसे लोगों को निकाल कर हेलीकॉप्टर के जरिए देहरादून लाया जा रहा है। पहाड़ों पर मची तबाही के छठे दिन जान बचाकर देहरादून पहुंचे लोगों का कहना है कि उन्हें प्रशासन से मदद मिलने में बहुत देर हो गई। बचाए गए लोग सुरक्षित लौटकर सांस में सांस लेते दिखे। कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं की गई। बचाए गए लोगों में छोटे छोटे बच्चे भी शामिल है।
परिजनों ने किया हंगामा
उत्तराखंड में लापता लोगों के रिश्तेदार आज प्रशासन के रवैये से बेहद नाराज नजर आए। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में लापता लोगों के रिश्तेदारों ने आज जमकर हंगामा किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। रिश्तेदारों का आरोप है कि पुलिस वाले और प्रशासन उनकी मदद नहीं कर रहे हैं। लोगों ने प्रशासन पर नाराजगी जाहिर करते हुए सड़क जाम भी कर दिया। लोग अपने परिजनों की तस्वीरों के साथ देहरादून में भटकते दिख रहे हैं
रेलवे की बेदिली
केदारनाथ में मची तबाही के बाद सरकार और प्रशासन भले ही पीड़ितों को हर तरह की मदद देने का दावा कर रहा हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पहाड़ों पर बरपे कुदरत के कहर में अपना सब कुछ गंवा बैठे जो लोग अपने शहर जाने के लिए हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं, उन्हें रेलवे के कर्मचारी बिना टिकट यात्रा करने से मना कर रहे हैं। पीड़ितों का आरोप है कि स्टेशन पर रेलवे कर्मचारी उनके साथ मुल्जिमों जैसा व्यवहार कर रहे हैं।
50 हजार लोग फंसे-शिंदे
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि आपदा प्रबंधन में हो रही दिक्कतें को देखते हुए पूर्व गृह सचिव वी के दुग्गल को नोडल अधिकारी बनाया गया है। आपका बता दें कि गृह मंत्री शिंदे कल उत्तराखंड का दौरा भी करेंगे। बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड के कई इलाकों में अभी भी लगभग 50 हजार लोग फंसे हुए हैं। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने यह जानकारी दी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ बैठक के बाद शिंदे ने कहा कि 34 हजार से अधिक लोगों को निकाल लिया गया है मगर तकरीबन 49 हजार से 50 हजार लोग अभी भी वहां फंसे हुए हैं।

अपनों के इंतजार में लोग, अबतक नहीं मिली कोई खबर

उत्तराखंड से गम और खुशी दोनों खबरों की लगातार दस्तक आ रही है। जबलपुर से 70 परिवार चार धाम की यात्रा के लिए निकला था, उनमें से कुछ ही लोग वापस आए हैं। लेकिन ज्यादातर की सांसे हल्क में अटकी हुई हैं। वहीं हैदराबाद से गए 22 लोगों में से 12 अब भी लापता हैं। उनमें से एक परिवार खुशकिस्मत नहीं था, उस परिवार के लिए उत्तराखंड से बुरी खबर आई।
अपनों के इंतजार में लोग, अबतक नहीं मिली कोई खबर
जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है, दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही है उम्मीद बरकरार है अपनों की बस एक आवाज के लिए तरस रहे हैं ये लोग। कहीं से सलामती की कोई एक खबर आ जाए, 24 घंटे इनकी आंखें टीवी पर टकटकी लगाए रहती हैं। हाथों की उंगलियां रिमोट पर लगातार रहती हैं एक चैनल से दूसरे चैनल इस उम्मीद में कि किसी चैनल पर कहीं कोई अपना दिख जाए। जबलपुर की सविता देवी की चार बहनें अपने परिवर के साथ चारों धाम की यात्रा पर गईं हैं। आखिरी बार जब वो गंगोत्री में थीं तब बात हुई थी, तब से उनका कोई अता-पता नहीं है। अब सिर्फ ईश्वर पर ही भरोसा है।
जबलपुर से करीब 70 परिवार चार धाम की यात्रा पर गया था। अब तक करीब 30 परिवार ही वापस लौटा है। लेकिन बाकियों को अभी भी अपनों का इंताजर है। यहीं के रहने वाले गणेश जाट का पूरा परिवार उत्तराखंड की यात्रा पर गया था। अब तक नहीं लौटा। उत्तराखंड की त्रासदी ने धर्म की सीमाओं को भी तोड़ दिया है, लोगों की सलामती के लिए जबलपुर में एक तरफ रामायण का पाठ हो रहा है तो दूसरी तरफ मस्जिदों में नमाज हो रही है।
सब मिलकर दुआ कर रहे हैं कि जो लोग फंसे हुए हैं वो सकुशल अपने घर लौट आएं। मध्यप्रदेश के सहस्त्र धारा में बचाए गए लोगों को लाया जा रहा है। यहां पर उन लोगों के परिजन जुट रहे हैं जिनका पता नहीं चल पा रहा है। हाथो में तस्वीरें लेकर वो अपनों की तलाश कर रहे हैं।

उत्तराखंड में 48 घंटे में बचानी है 50 हजार जिंदगियां !

उत्तराखंड में कुदरत के कहर आए एक हफ्ता बीत चुका है। लेकिन अब तक राहत और बचाव का काम अधूरा है। अब भी हजारों लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि अब तक 500 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 40 शव हरिद्वार में गंगा नदी में बहते मिले हैं। सरकार का कहना है कि अब तक सेना और प्रशासन ने 50 हजार लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है, जबकि अभी 50 हजार लोगों के जगह-जगह फंसे होंने की आशंका जताई जा रही है।
उत्तराखंड में 48 घंटे में बचानी है 50 हजार जिंदगियां !
इस बीच एक अहम खबर ये है कि मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे में उत्तराखंड में भारी बारिश की चेतावनी दी है। यानी सेना और प्रशासन के पास लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए महज 48 घंटे हैं। ऐसे में बचाव का काम युद्ध स्तर पर करना होगा, क्योंकि अगर बारिश आ गई तो फिर बचाव कार्य ठप हो जाएगा। क्योंकि खराब मौसम में हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाएंगे।
उत्तराखंड सरकार का कहना है कि केदारनाथ में फंसे सभी लोगों को निकाल लिया गया है। और अब उनकी प्राथमिकता बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसी जगहों पर फंसे लोगों को निकालने की है सरकार का कहना है कि अगर मौसम ने साथ दिया तो सबको बाहर निकाल लिया जाएगा।

Wednesday, June 19, 2013

कांग्रेस-निर्दलीयों के सपोर्ट से नीतीश ने जीता विश्वास मत

बीजेपी से गठबंधन तोड़ देने के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। नीतीश को बहुमत साबित करने के लिए 122 वोटों की दरकार थी लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट के समर्थन से उन्हें सदन में 126 वोट मिले। बीजेपी ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर पहले ही नीतीश के लिए मैदान खुला छोड़ दिया था। आरजेडी (22) ने नीतीश के विश्वास प्रस्ताव के विरोध में वोट किया। विरोध में कुल 24 वोट पड़े।
विश्वास प्रस्ताव पर शुरू हुई चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर इस विश्वास प्रस्ताव के क्या मायने हैं। उन्होंने तो सरकार से विश्वासमत हासिल करने की मांग ही नहीं की है।
कांग्रेस-निर्दलीयों के सपोर्ट से नीतीश ने जीता विश्वास मत
उन्होंने मुख्यमंत्री पर जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल सत्ता के कारण मूल विचारों से जेडीयू भटक गई है। इस कारण जुगाड़ तकनीक में माहिर लोग तो वोट का जुगाड़ कर ही लेंगे। ऐसे में मतदान का क्या मतलब है। असल मतदान तो जनता की अदालत में होगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी विधायक इस मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। इसके साथ ही बीजेपी विधायक सदन से वॉक आउट कर गए। विधानसभा में बीजेपी के 91 विधायक हैं।
उधर, कांग्रेस विधायकों ने जेडीयू के पक्ष में वोटिंग की। इसके अलावा 4 निर्दलीय विधायक भी नीतीश को समर्थन दे रहे हैं। यानि विश्वासमत के लिए नीतीश की राह बेहद आसान हो गई। विश्वासमत पेश करते हुए नीतीश ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।
नीतीश ने कहा कि अब बिहार में सेकुलर सरकार चल रही है। साथ ही नीतीश ने कांग्रेस को भी समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। नीतीश ने कहा कि बीजेपी ने 2010 के चुनाव में मोदी को प्रचार के लिए नहीं बुलाया। अगर बुलाया होता तो हमें कभी जीत नहीं मिलती।

जोशीमठ से निकले भज्जी, वायुसेना का किया 'शुक्रिया'

जोशीमठ में लगातार हो रही बारिश के कारण फंसे भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह को भारतीय वायुसेना के जवानों ने सुरक्षित निकाल लिया है। सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद राहत महसूस कर रहे ऑफ स्पिनर हरभजन ने अपने टि्वटर पेज पर वायुसेना के जवानों का शुक्रिया अदा किया।
हरभजन तीर्थयात्रा पर थे और हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे दर्शन के लिए जा रहे थे। लेकिन खराब मौसम और भारी बारिश के कारण वह सैकड़ों अन्य तीर्थ-यात्रियों के साथ रास्ते में फंस गए थे। हरभजन पिछले चार दिनों से जोशीमठ में आईटीबीपी शिविर में शरण लिए हुए थे। वह कल भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के अधिकारियों के साथ सेना के बैरेक पहुंचे थे। उन्होंने वहां मौजूद तीर्थ-यात्रियों का हौसला बढ़ाया।
जोशीमठ से निकले भज्जी, वायुसेना का किया 'शुक्रिया'

1 जुलाई से लागू होगा कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स: सूत्र

गुरुवार को कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) लागू करने का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। सीएनबीसी आवाज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक 23 एग्रो कमोडिटीज पर सीटीटी नहीं लगेगा। लेकिन एग्रो कमोडिटी की प्रोसेसिंग से बनाए गए कमोडिटी की ट्रेडिंग पर सीटीटी लगेगा। सरकार 1 जुलाई से सीटीटी को लागू कर सकती है।
सूत्रों का कहना है कि गेहूं, सोयाबीन, मक्का, बादाम, जौ, इलाइची, चना, धनिया, कपास, ग्वार सीड समेत 23 आइटम सीटीटी के दायरे से बाहर होंगे। लेकिन 23 आइटम के अलावा बाकी आइटम पर सीटीटी लगेगा। माना जा रहा है कि सोया ऑयल, ग्वार गम जैसे एग्रो प्रोसेस्ड कमोडिटी पर सीटीटी लग सकता है।
सूत्रों के मुताबिक नई कमोडिटी की फ्यूचर ट्रेडिंग शुरू होने पर आयकर विभाग सीटीटी लगेगा या नहीं, ये तय करेगा। कारोबारी की कीमत का 0.01 फीसदी सीटीटी लगेगा। हालांकि स्पॉट एक्सचेंज को सीटीटी के दायरे से बाहर रखा गया है। हर महीने की 7 तारीख तक पिछले महीने वसूला गया सीटीटी सरकार के पास जमा करना होगा।
एनसीडीईएक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर समीर शाह का मानना है कि सीटीटी से जुड़े जो भी नियम हैं उनमें बार-बार बदलाव नहीं होने चाहिए। छोटी अवधि में कमोडिटी के वॉल्यूम पर सीटीटी का असर जरूर दिखेगा। लेकिन सीटीटी पर नोटिफिकेशन आने के बाद और सफाई जरूर मिलेगी।
हिंदू बिजनेस लाइन के कमोडिटी एडिटर जी चंद्रशेखर के मुताबिक सरकार का ये फैसला बिल्कुल ठीक है। ज्यादा से ज्यादा कमोडिटीज पर सीटीटी लगाने से सट्टेबाजी रुकेगी। साथ ही सरकार को सीटीटी से करीब 1,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। लेकिन ट्रेड स्विफ्ट ब्रोकिंग के संदीप जैन का मानना है कि सीटीटी लगने से कमोडिटी के कारोबार में बहुत बुरा असर पड़ेगा और वॉल्यूम गिरेंगे।

इराक: गोलीबारी और विस्फोट में 4 मरे, 21 घायल

इराक में बुधवार को गोलीबारी और विस्फोट की अलग-अलग घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई और 21 घायल हो गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक स्थानीय पुलिस सूत्रों ने बताया कि मकदादिया शहर के नजदीक स्थित एक गांव में फुटबाल के एक चर्चित मैदान में हुए विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हो गए।
एक अन्य घटना किर्कुक शहर में हुई जहां सेना के एक कर्नल को उनकी कार में गोली मार दी गई। आंतरिक मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि इस दिन बगदाद के शुला जिले में हुए एक विस्फोट में छह लोग घायल हो गए।

रुद्रप्रयाग में अलकनंदा के बीच फंस गया पुजारी

उत्तराखंड में कुदरत ने ऐसा तांडव मचाया है कि वहां की पूरी तस्वीर ही बदल चुकी है। रुद्र प्रयाग में हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। पानी के बीच मंदिर दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि मंदिर टापू बन चुका है। इस मंदिर में मंदिर के पुजारी फंसे नजर आ रहे हैं। पुजारी को पानी से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। शायद मदद के इंतजार में पुजारी मंदिर के ऊपरी हिस्से में अकेले नजर आ रहे हैं। (वीडियो देखें)
देखें: रुद्रप्रयाग में अलकनंदा के बीच फंस गया पुजारी

देशभर में सब्जी महंगी, दोगुने हुए सब्जी के दाम

मॉनसून के आने से गर्मी से तो राहत मिल गई लेकिन महंगाई और बढ़ गई है। हफ्ते भर के अंदर देशभर में सब्जियों का भाव आसमान पर पहुंच गया है। जोरदार बारिश की वजह से सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ है और नतीजा ये कि दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। 1 हफ्ते के अंदर आलू करीब 33 फीसदी महंगा हो गया है।
लुधियाना में आलू की कीमत 15 रुपये से बढ़कर 20 रुपये किलो हो गई है, तो दिल्ली में ये 24 रुपये से बढ़कर 28 रुपये हो गया है। टमाटर तो आम आदमी के किचन से लगभग गायब ही हो गया है। लुधियाना में टमाटर 20 रुपये से बढ़कर सीधे 40 रुपये किलो हो गया है। और मुंबई के लोगों को तो 1 किलो टमाटर के लिए कम से कम 60 रुपये देने पड़ रहे हैं।
देशभर में सब्जी महंगी, दोगुने हुए सब्जी के दाम
भारी बारिश की वजह से टमाटर की काफी फसल खराब हुई है और ये जल्दी खराब होने वाली सब्जी भी है इसलिए दाम भी तेजी से बढ़े हैं। जोरदार बारिश की वजह से सब्जियों की फसल तो खराब हुई ही है साथ ही मंडी में सब्जियों की सप्लाई भी घट गई है। और नतीजा ये हुआ कि रिटेल में दाम आसमान पर पहुंच गए हैं।
1 हफ्ते के अंदर प्याज करीब 33 फीसदी महंगा हो गया है। लुधियाना में प्याज का भाव 15 रुपये से बढ़कर 20 रुपये किलो हो गया है। दिल्ली वालों को 1 किलो प्याज के लिए कम से कम 27 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। मुंबई और अहमदाबाद में प्याज 20 रुपये किलो मिल रहा है।
लेकिन बारिश में चाय का स्वाद बढ़ाने वाली अदरक का हाल तो और बुरा है क्योंकि ऊंचे भाव की वजह से ये आम आदमी की चाय की प्याली से गायब होती जा रही है। मुंबई में अदरक का औसत रिटेल भाव 220 रुपये हो गया है। दिल्ली, अहमदाबाद और लुधियाना में भी अदरक करीब 150 रुपये किलो मिल रही है।
बारिश की वजह से सब्जियों के दाम में लगी आग किचन का बजट बुरी तरह बिगाड़ रही है। देशभर में हो रही भारी बारिश की वजह से मंडियों में सब्जियों की सप्लाई 70 फीसदी घट गई है। जिसके चलते सब्जियों के दाम दोगुने हो गए हैं। मुंबई में भिंडी 80 रुपये किलो मिल रही है तो लुधियाना में 1 हफ्ते के अंदर इसका भाव दोगुना हो गया है।
अहमदाबाद में भिंडी 42 रुपये से बढ़कर 62 रुपये किलो हो गई है। बैंगन का भाव भी देशभर में 40-60 रुपये किलो के बीच पहुंच गया है। मुंबई में बैंगन हफ्ते भर के अंदर 50 फीसदी महंगा हो गया है। तो लुधियाना में बैंगन की कीमत में 60 फीसदी का उछाल आया है।

अब 3 दिन में मिलेगा आपके पीएफ का पैसा

ईपीएफ का पैसा निकालना या ट्रांसफर करना अब काफी आसान हो जाएगा। ईपीएफओ कोशिश कर रहा है ट्रांसफर या पैसा निकालने में सिर्फ 3 दिन का वक्त लगे।
फिलहाल इसमें कम से कम 90 दिनों का समय लगता है। ऐसा हुआ तो करीब 1 करोड़ लोगों को फायदा होगा।

अब 2-3 साल बाद ही मुमकिन हो पाएगी केदारनाथ यात्रा!

केदारनाथ यात्रा फिर से शुरू करने से दो से तीन साल का वक्त लग सकता है। उत्तराखंड सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक केदारनाथ में इतनी भीषण तबाही हुई है कि फिर से यात्रा शुरू करने के लिए 2 से 3 साल तक लगातार काम करना होगा।
आईबीएन7 से खास बातचीत में सरकारी सूत्रों ने बताया कि केदारनाथ में पूरा इलाका तबाह हो गया है। वहां केवल मंदिर की चाहरदीवारी बची है। न धर्मशालाएं हैं, न दफ्तर हैं, न दुकान और न बाजार। रास्ते को भी बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है। ऐसे में दोबारा यात्रा शुरू करने में दो से तीन साल का वक्त लग सकता है।
अब 2-3 साल बाद ही मुमकिन हो पाएगी केदारनाथ यात्रा!
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश के कई गांव तो ऐसे हैं जहां राहत और बचाव टीम को पहुंचने में ही दो-तीन हफ्ते लग जाएंगे। कई गांव पूरी तरह बाढ़ में बह गए हैं और वहां सिर्फ मलबा बचा है। इस तबाही में कितने लोगों की जान गई है ये तब तक नहीं बताया जा सकता जब तक राहत और बचाव कार्य पूरा नहीं हो जाता।

सस्ती होगी एयरटेल, आइडिया की 2जी सर्विसः सूत्र

2जी डेटा चार्जेस की दरें कम करने की जंग तेज हो गई है। सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक वोडाफोन की तरह भारती एयरटेल और आइडिया सेल्यूलर भी 2जी डेटा के टैरिफ में कटौती कर सकते हैं। भारती एयरटेल और आइडिया सेल्यूलर 2जी डेटा के टैरिफ 60-80 फीसदी तक घटा सकते हैं।
दरअसल मंगलवार को ही वोडाफोन ने 2जी प्री-पेड और पोस्ट-पेड ग्राहकों के लिए डेटा चार्जेस की दरें 80 फीसदी तक घटा दी हैं। वोडाफोन ने डेटा चार्जेस की दरें 10 पैसे प्रति 10 केबी से घटाकर 2 पैसे प्रति 10 केबी कर दी हैं। वोडाफोन ने कर्नाटक, उत्तर प्रदेश (पश्चिम), मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2जी डेटा सर्विस की नई दरें लागू की हैं।
सस्ती होगी एयरटेल, आइडिया की 2जी सर्विसः सूत्र
सूत्रों का कहना है कि भारती एयरटेल और आइडिया सेल्यूलर की तरफ से भी नॉन-मेट्रो सर्किलों में 2जी डेटा के टैरिफ में कटौती की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो भारती एयरटेल 2जी डेटा सर्विस का टैरिफ 10 पैसे प्रति केबी से घटाकर 2-4 पैसे प्रति केबी कर सकती है। भारती एयरटेल पोस्ट-पेड और प्री-पेड दोनों ग्राहकों के टैरिफ में कटौती करेगी।
वहीं आइडिया सेल्यूलर पोस्ट-पेड ग्राहकों के लिए जीपीआरएस199 और जीपीआरएस299 जैसे प्लान में डेटा सर्विस का टैरिफ घटा सकती है। प्री-पेड ग्राहकों के लिए 148 रुपये और 73 रुपये के रिजार्च कूपन पर डेटा टैरिफ में कटौती संभव है।

रिकॉर्ड गिरावट पर खुला रुपया, 60 के करीब पहुंचा

आज रुपये में जोरदार गिरावट देखने को मिली है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पूरे 1 रुपये की गिरावट के साथ 59.70 पर खुला है। लेकिन शुरुआती कारोबार में ही डॉलर के मुकाबले रुपया 59.91 के स्तर पर आ गया है, जो रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 58.70 के स्तर पर बंद हुआ था।
करेंसी एक्सपर्ट अनीस शेख का कहना है कि रुपये में आज रिकॉर्ड गिरावट पहले से अनुमानित थी। वहीं रुपये में अब और ज्यादा कमजोरी की उम्मीद नहीं लग रही है। ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए डॉलर में बिकवाली की रणनीति बनाना बेहतर रहेगा।
प्रामेरिका म्यूचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम के सीआईओ महेंद्र जाजू का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने क्यूई3 में कमी के संकेत दिए हैं। जिससे रुपये पर दबाव बढ़ता दिखाई दे रहा है। वहीं आज सेबी द्वारा की जानेवाली बॉन्ड की नीलामी का कुछ खास असर रुपये पर देखने को नहीं मिलेगा। ऐसे में मौजूदा हालातों को देखते हुए लगता है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी अगले कुछ समय तक जारी रहेगी।
इसके अलावा रुपये में मौजूदा स्तरों से और कमजोरी गहरा सकती है। मालूम हो कि सेबी आज 42,022 करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड की नीलामी करेगा। इस साल अब तक की यह सबसे बड़ी बॉन्ड नीलामी होगी। ये नीलामी बीएसई के इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर 3.30-5.30 बजे के दौरान होगी।

बदल गई उत्तराखंड की तस्वीर, जहां देखो तबाही ही तबाही

उत्तराखंड में कुदरत ने ऐसा तांडव मचाया है कि वहां की पूरी तस्वीर बदल चुकी है चाहे पौड़ी हो, रूद्रप्रयाग हो, या देव प्रयाग हर जगह बस और बस तबाही ही नजर आती है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में सशस्त्र सीमा बल अकादमी यानी SSB का ऑफिस पूरी तरह तबाह हो चुका है।
उत्तराखंड के पौड़ी जिले में मौजूद सशस्त्र सीमा बल की इस बिल्डिंग पर कुदरत ने अपना कहर बरपाया है। रविवार रात और सोमवार सुबह आई बाढ़ ने SSB अकादमी में भयंकर तबाही मचाई है। अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कुछ दिनों पहले यहां सशस्त्र सीमा बल के जवानों और अफसरों की ट्रेनिंग चल रही थी।
बदल गई उत्तराखंड की तस्वीर, जहां देखो तबाही ही तबाही
उफनती अलकनंदा ने 2 महीने पहले 4 करोड़ की लागत से बने अधिकारी प्रशासक केंद्र को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। अलकनंदा के रौद्र रूप ने SSB के बद्री स्टेडियम के साथ रिक्रूटों की बैरकों का नामोनिशान ही मिटा दिया है। पानी के तेज बहाव के आगे ऑफिसर्स आवास और डाइनिंग हॉल बर्बाद हो गया। अकादमी का नया प्रशिक्षण भवन और ट्रेनीज हॉस्टल टापू में तब्दील हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक SSB को करीब 100 करोड़ का नुक्सान हुआ है।



कुदरत तबाही का ऐसा चोला ओढ़कर आयी, जिधर नजर पड़ती है हाहाकार मचा हुआ है. यमुनोत्री में तबाही का मंजर दिल दहला देने वाला है। घर, पुल सब कुछ तहस नहस, जिधर नजर जाती है सैलाब ही सैलाब। ऐसा लग रहा है किे लहरों के सामने जो कुछ आया उसे लील लिया।
देवप्रयाग में भी कुछ ऐसा ही मंजर नजर आ रहा है। यहां दो चार दिन पहले यहां सड़कें थी और लोग इस रास्ते से आते जाते थे। जगह-जगह सड़कों की जगह गड्ढे और खाई नजर आ रहे हैं। सड़कों पर मलबा नजर आ रहा है। सड़कें इस तरह धंस गई हैं कि इनको बनाने में ही काफी समय लग जाए। जगह-जगह गाड़ियां पलटी नजर आ रही है, टैंकर पलटे नजर आ रहे हैं।
लोगों को बचाने का काम जारी है। गोंविदघाट में सड़क और पुल तबाह हो जाने से लोगों को एक-एककर जवानों की मदद से नीचे उतारा जा रहा है। सिर्फ जोशीमठ में इस वक्त 600 लोग आईटीबीपी के कैंप में शरण लिए हुए हैं। आईटीबीपी और सेना के जवान मिलकर अस्थायी पुल बना रहे हैं ताकि लोगों को सही-सलामत ऋषिकेश तक लाया जा सके। आटीबीपी के जवान लोगों की मदद में जुटे हुए हैं।
सरकारी आकड़ें के मुताबिक आईटीबी और एनडीआरएफ ने अब तक 4 हजार से ज्यादा लोगों को बचाया है। जबकि सेना ने मंगलवार तक पांच हजार लोगों को बचाया है। सरकार के मुताबिक अभी भी 60 से 70 हजार लोगों के फंसे होने की आशंका है। जो लोग अभी फंसे हैं उनको भोजन पानी और राहत सामग्री पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। सेना और दूसरी सुरक्षा बलों ने बचाव कार्य में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
लेकिन अभी भी कई इलाके हैं जहां पहुंच पाना नामुमकिन है। राज्य की 400 से ज्यादा सड़के बह चुकी हैं। कई इलाकों में संचार व्यवस्था भी पूरी तरह से ठप है। बचाव दलों को उम्मीद है। जल्द ही मौसम साफ होगा। बचाव कार्य में तेजी आएगी। लेकिन साफ मौसम कई और बुरी खबरें भी लाएगा उत्तराखंड से।

पीड़ितों के लिए फरिश्ते बनकर आए जवान

उत्तराखंड बारिश ने वो तबाही मचाई जिसके बारे में सोचा भी नहीं गया था। अब तक 100 से ज्यादा शव बरामद हो चुके हैं और करीब 1000 लोगों के लापता होने की खबर है। जगह-जगह करीब 70 हजार लोग फंसे हुए हैं। सेना के जवान राहत काम में लगे हैं और लोगों को कैंप पहुंचा रहे हैं।
<a href='http://khabar.ibnlive.in.com/photogallery//4943/'><font size=4><font color=red> देखें:पीड़ितों के लिए फरिश्ते बनकर आए जवान</font></font size></a>

डूबते जा रहे हैं दिल्ली के तटीय इलाके

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। 35 साल का रिकॉर्ड टूटने के करीब है और यमुना के आसपास रह रहे लोगों के लिए ये पानी आफत का सबब बन गया है। 
पानी-पानी दिल्ली

Tuesday, June 18, 2013

बचके! शादी से पहले सेक्स बना देगा मिस्टर एंड मिसेज

महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने की दिशा में मद्रास हाइकोर्ट के एक मील का पत्थर साबित होने वाला फैसला सुनाया है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर बिना शादी के दो बालिग लोगों में यौन संबंध बनते हैं तो इसे शादी मानी जाएगी और उन्हें पति पत्नी का दर्जा दिया जाएगा।
कोर्ट ने ये भी कहा कि मंगलसूत्र, शादी, माला, अंगूठी यह सब सिर्फ समाज को संतुष्ट करने के लिए बनाई गई है। किसी भी परिवार कोर्ट में पार्टी अगर डॉक्यूमेंट्री सबूत पेश करती है तो उसे शादीशुदा मान लिया जाएगा। ऐसा कोई भी सबूत पेश करने के बाद उन्हें पति पत्नी मान लिया जाएगा।
बचके! शादी से पहले सेक्स बना देगा मिस्टर एंड मिसेज
जस्टिस सी एस कर्णन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कुछ अपवादों को छोड़कर अगर लड़के-लड़की के बीच सेक्स संबंध बनते हैं तो इसे शादी ही माना जाएगा। कोर्ट के मुताबिक किसी भी पक्ष की ओर से सेक्स संबंध बनाने संबंधी कोई भी सबूत कोर्ट में पेश करने पर पति-पत्नी का दर्जा दिया जाएगा।
जस्टिस कर्णन ने कहा कि ऐसा होने पर दोनों में से कोई भी सरकारी रिकॉर्ड में खुद को विवाहित बता सकता है। जस्टिस कर्णन ने फैमिली कोर्ट के अप्रैल 2006 के एक फैसले में सुधार करते हुए ये फैसला सुनाया।

वोडाफोन ने दी राहत, डेटा चार्जेस की दरें 80% तक घटाई

वोडाफोन ने डेटा चार्जेस की दरें 80 फीसदी तक घटा दी हैं। वोडाफोन ने डेटा चार्जेस की दरें 10 पैसे प्रति केबी से घटाकर 2 पैसे प्रति 10 केबी कर दी हैं। नई दरें 2जी प्री-पेड और पोस्ट-पेड ग्राहकों के लिए लागू होगी।
वोडाफोन का कहना है कि नई दरें फिलहाल कर्नाटक, उत्तर प्रदेश (पश्चिम), मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लागू होगी। लेकिन नई दरें देशभर में लागू करने की योजना बनाई जाएगी।

रुपये के लगातार कमजोर पड़ने से टीवी, फ्रिज हो गए महंगे

अगर आप टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको जेब कुछ ज्यादा ढ़ीली करनी होगी। दिग्गज कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनी एलजी ने अपने प्रोडक्ट के दाम 5 फीसदी बढ़ा दिए हैं। रुपये की कमजोरी का हवाला देकर एलजी ने दाम बढ़ाए हैं। 17 जून से ये बढ़ोतरी लागू हो गई है।
एलजी के मुताबिक सभी प्रोडक्ट के दामों में 3-5 परसेंट की बढ़ोतरी की गई है। इससे पहले रविवार को एसी बनाने वाली कंपनी ब्लू स्टार ने अपने प्रोडक्ट के दाम 2.5-7.5 फीसदी बढ़ाए थे। दरअसल रुपये की कमजोरी ने कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के पसीने छुड़ा दिए हैं। हैवल्स और हायर भी जल्द अपने प्रोडक्ट के दाम 5 फीसदी बढ़ाने की तैयारी में हैं।

रूस: धमाके के बाद सुरक्षित बाहर निकाले गए 6 हजार लोग

रूस के दक्षिण पश्चिम समारा क्षेत्र में स्थित सैन्य प्रशिक्षण इलाके में मंगलवार को हुए विस्फोट के बाद करीब छह हजार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। आपातकालीन मंत्रालय के अधिकारी ब्लादिमिर स्तेपेनोव ने बताया कि सैन्य प्रशिक्षण इलाके में हुए पांच विस्फोटों के कारण आग लग गई।
वहां पर करीब एक करोड़ दस लाख हथियार और गोला बारूद रखे हुए थे। इसके आस पास के गावों से छह हजार लोगों को सुरक्षित हटा लिया गया है। तीस लोगों का प्राथमिक उपचार किया गया जबकि चार लोगों को अस्पातल में भर्ती किया गया है। हालांकि विस्फोट के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
रूस: धमाके के बाद सुरक्षित बाहर निकाले गए 6 हजार लोग

चित्रकूट और बांदा में सीएम अखिलेश आज बांटेंगे लैपटॉप

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी महात्वाकांक्षी लैपटॉप वितरण योजना के तहत बुधवार को बुंदेलखंड के चित्रकूट और बांदा में आयोजित अलग-अलग कार्यक्रमों में यहां के छात्र-छात्राओं को लैपटॉप बांटेंगे। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को हमीरपुर और महोबा के छात्र-छात्राओं को लैपटॉप का तोहफा दिया था, वहीं अब बुधवार को वह बांदा के राजकीय इंटर कॉलेज में सुबह 9.30 बजे एक कार्यक्रम में लैपटॉप वितरण करेंगे।
इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री चित्रकूट के लिए रवाना हो जाएंगे, जहां वह करीब 11.30 बजे चित्रकूट इंटर कॉलेज में छात्र-छात्राओं को लैपटॉप का तोहफा देंगे। गौरतलब है कि यूपी की समाजवादी पार्टी (एसपी) की सरकार आम चुनाव से पहले हर हाल में अपनी इस महात्वाकांक्षी योजना की पहुंच लोगों तक पहुंचाना चाहती है। चुनाव के दौरान लोगों से किए गए वादे को पूरा करने में जुटी सरकार आने वाले दिनों में कई अन्य जिलों में भी छात्रों को लैपटॉप का तोहफा देगी। इस बीच एसपी अपने वादे के मुताबिक 10वीं पास छात्रों को टैबलेट का तोहफा कब देगी इसका अभी कुछ पता नहीं है।
चित्रकूट और बांदा में सीएम अखिलेश आज बांटेंगे लैपटॉप

जानिए, क्या ईएमआई वाकई है आपके लिए फायदे का सौदा!

ईएमआई, इन 3 अक्षरों ने हमारी लाइफस्टाइल बदल दी है। शॉपिंग से लेकर सैर सपाटे से लेकर अपना घर-कार, सब कुछ ईएमआई में तब्दील हो जाता है। इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट (ईएमआई) यानि किस्तों में कर्ज की अदायगी।
ईएमआई पर घर तो लोग बरसों से लेते आए हैं, लेकिन आजकल लेटेस्ट फोन हो या फिर विदेशी सैर सब कुछ आसान किस्तों पर मिल जाता है। यहां तक की अब फ्लाइट के टिकट भी ईएमआई पर बेचने के प्लान हैं। ये फॉर्मूला जब एप्पल ने समझा तो उनकी भारत में बिक्री करीब 400 फीसदी बढ़ गई। लेकिन इस ईएमआई क्रेज का दूसरा पहलू भी है, जहां लोग ऐसी चीजें खरीदते है जिनकी उनको शायद जरूरत नहीं हो।
दरअसल आईफोन4, आईफोन 4एस, आईफोन 5 पर 12 और 6 महीने की ईएमआई उपलब्ध है। वहीं सैमसंग गैलेक्सी सीरीज पर 12 महीने की ईएमआई उपलब्ध है। इंडिगो और जेट एयरवेज के टिकट 3 और 6 महीने की ईएमआई पर उपलब्ध हो गए हैं। ब्लैकबेरी जेड10 और कर्व 9220 पर 12 महीने की ईएमआई मिल रही है। दरअसल ऑनलाइन शॉपिंग में ज्यादातर साइट्स पर ईएमआई का विकल्प मौजूद है।
आलम ये है कि ब्यूटी ट्रीटमेंट, हेयर ट्रांसप्लांट, जिम की मेंबरशिप और सैर सपाटा भी ईएमआई पर उपलब्ध हो गया है। ईएमआई के गणित को समझें तो ये सामने आता है कि 3 महीने की ईएमआई पर ज्यादातर ब्याज दर 3-3.5 फीसदी होती है। 6 महीने पर 5 फीसदी, 9 महीने पर 7 फीसदी और 12 महीने पर 10 फीसदी की ब्याज दर वसूली जाती है। हालांकि ईएमआई से खरीद पर प्रोसेसिंग फीस और सर्विस चार्ज का खर्च भी बढ़ जाता है। लेकिन कई ऑफर में कंपनियां भी खर्च उठाती हैं, तो कई ऑफर में बैंक भी खर्च उठाते हैं।
एलजी इंडिया के डायरेक्टर (होम अप्लायंसेज) वाई वी वर्मा का कहना है कि कंपनी के 15 फीसदी प्रोडक्ट ईएमआई पर बिकते हैं और इसमें 20-25 फीसदी की ग्रोथ हो रही है। ईएमआई के तहत सब कैटेगरी के प्रोडक्ट बिकते हैं और सर्विस क्लास की पहली पसंद ईएमआई है।

टला नहीं है बाढ़ का खतरा, यमुना का जलस्तर और बढ़ा

हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बुधवार को यमुना का जलस्तर एक मीटर और बढ़ गया है। मंगलवार को खतरे के निशान को पार करने के बाद दिल्ली के कई निचले इलाकों में यमुना का पानी भर गया। जैसे-जैसे पानी का स्तर बढ़ेगा, कई और इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ेगा। इसको देखते हुए कई इलाकों को खाली करा दिया गया है।
नाले की तरह बहने वाली यमुना के दिल्ली में अचानक बढ़ने से लोगों पर मुसीबत टूट पड़ी। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से करीब 8 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद हर घंटे यमुना का जलस्तर 6 से 8 सेंटीमीटर तक बढ़ रहा है। दिल्ली में यमुना नदी के खतरे का निशान है 204.83 मीटर। मंगलवार की सुबह यमुना 205.02 मीटर पर बह रही थी। बुधवार सुबह तक ये बढ़कर 206.22 मीटर पर पहुंच गई है। यमुना के लगातार बढ़ते जलस्तर की वजह से लोगों का तट के नजदीकी इलाकों को खाली करना जारी है। जगह-जगह पर राहत कैंप लगाए गए हैं।
टला नहीं है बाढ़ का खतरा, यमुना का जलस्तर और बढ़ा
ओखला, जामिया, आईएसबीटी, मॉनेस्ट्री, न्यू उस्मानपुर समेत करीब 50 इलाकों से लोगों को खाली कराया जा रहा है। जिस रफ्तार से यमुना में पानी बढ़ रहा है, उससे जल्द ही दिल्ली के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बनने का अंदेशा है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी माना कि हथिनीकुंड से बड़े पैमाने पर पानी छोड़े जाने से उनकी चिंता बढ़ गई है। शीला दीक्षित ने कहा है कि उन्होंने अधिकारियों को एहतियात के कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
दिल्ली के निचले इलाकों में पानी भर गया है और प्रशासन नाव पर घूम-घूम कर चेतावनी दे रहा है। नदी किनारे रह रहे लोग अपना घर-बार छोड़कर राहत कैंपों में पहुंच रहे हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए ओखला बैराज पर दो नावों को मंगाया गया है। लोगों का दावा है कि उन्होंने इस इलाके में इतना पानी कभी नहीं देखा।
यमुना नदी पर बने लोहे के पुल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक जरूरत पड़ने पर इस पुल से ट्रेनों की आवाजाही पर रोकी जा सकती है। कालिंदी कुंज में दिल्ली मेट्रो का काम रोक दिया गया है। हालात पर नजर रखने और अंदेशों का आकलन करने के लिए सेना भी मौके पर पहुंच गई है।
यमुना के आसपास के निचले इलाके में रहने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक इंतजाम किए गए हैं।
विस्थापितों के लिए टैंट लगाए गए हैं लेकिन बाढ़ पीड़ितों के खाने पीने के इंतजामों की कोशिश प्रशासन की तरफ से नहीं की गई है। ऐसे में टेंट में रहने वाले भूखे-प्यासे रहने को मजबूर हैं। बाढ़ पीड़ित सत्यनारायण के मुताबिक अभी तक कोई मदद नहीं आई। वहीं सिविल लाइन जॉन के एसडीएम श्यामचंद ने कहा कि टेंट लगवा दिए हैं, खाना भी जाएगा। दूसरी ओर मौसम विभाग की अगले 24 घंटे में तेज बारिश की होने की चेतावनी ने खतरे के अंदेशे को और बढ़ा दिया है।

कुदरत से हुए लगातार खिलवाड़ ने पहाड़ों पर बरपाया कहर

उत्तराखंड में भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आम हैं। जब-जब ऐसी आपदाएं आती हैं भारी तबाही होती है। इस बार भी मॉनसून की शुरुआती बारिश अपने साथ तबाही लेकर आई। सवाल ये है कि इस तरह की आपदाओं के लिए जिम्मेदार कौन है और क्या ऐसी आपदाएं रोकी जा सकती हैं?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी, केदारनाथ, गौरीकुंड, रामबाड़ा, रूद्रप्रयाग समेत ज्यादातर इलाकों ने मानो जल समाधि ले ली हो। अब तक जान-माल को हुए नुकसान का आकलन तक नहीं किया जा सका है और न ही हर जगह राहत और मदद ही पहुंचाई जा सकी है। लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग और सेना के जवान लगातार लगे हुए हैं।
कुदरत से हुए लगातार खिलवाड़ ने पहाड़ों पर बरपाया कहर
ऐसी तबाही की सबसे बड़ी वजह हम ही हैं। दरअसल विकास की अंधी दौड़ में हम सब इतने खो गए हैं कि हमने कुदरत के साथ खिलवाड़ शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के कई इलाकों में बिजली परियोजनाएं चल रही हैं। खनन का भी काम जोर-शोर से चल रहा है। खनन के लिए शांत पहाड़ों में लैंड माइंस से धमाके किए जाते हैं। इसका सीधा असर बारिश के दिनों में लैंड स्लाइड के रूप में देखने को मिलता है। जानकारों की मानें तो 2011-12 में उत्तरकाशी में आई आपदा की तीव्रता को बढ़ाने में कालिंदी गाड और असिगंगा पर बन रही जलविद्युत परियोजनाओं ने अहम भूमिका अदा की थी।
गौरतलब है कि असिगंगा में 9 मेगावाट की कालिंदीगाड परियोजना चल रही है। इसके लिए धमाके करना, नदी में मलबा डालना और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाना आम है। परियोजना चलाने वाली कंपनियां नदी में मलबा डालती हैं। इससे नदी का तल लगातार ऊंचा उठता जा रहा है। बारिश के दिनों में यही ऊंचा तल विनाशकारी हो जाता है।
इतना ही नहीं इन परियोजनाओं के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाते हैं। इसकी वजह से पहाड़ों पर मिट्टी की पकड़ लगातार कमजोर होती जा रही है। बारिश के दिनों में भूस्खलन की समस्याओं की सबसे बड़ी वजह यही है।
हर साल भूस्खलनों की वजह से भी जान माल का जबरदस्त नुकसान होता है। उत्तराखंड की 14 नदी घाटियों में 220 से ज्यादा छोटी-बड़ी परियोजनाएं चल रही हैं। इस वजह से नदियों को 10 से 15 किलोमीटर तक सुरंग में डाला जा रहा है। बांधों के कारण नदियों की स्वछंदता पर खतरा मंडरा रहा है। यही खतरा बढकर इंसानो को भी अपनी जद में ले लेता है।

बीजेपी से तलाक के बाद आज नीतीश कुमार का इम्तिहान

बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज विश्वास मत हासिल करेंगे। बहुमत साबित के लिए नीतीश को 4 विधायकों का समर्थन चाहिए। जेडीयू के पास कुल 118 विधायक हैं और बहुमत का आंकड़ा 122 है। इसी रविवार को जेडीयू ने बीजेपी से समर्थन वापसी का ऐलान किया था।
इसी के साथ बिहार में आज विश्वासमत नई राजनीतिक गोलबंदी का आगाज करेगा। सीपीआई जद(यू) का साथ देगी तो आरजेडी और भाजपा विरोध करेगी। कांग्रेस का फैसला क्या होगा, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। कांग्रेस जेडीयू के पक्ष में वोट करेगी या विश्वासमत के दौरान गैरहाजिर रहेगी ये अभी साफ नहीं है।
बीजेपी से तलाक के बाद आज नीतीश कुमार का इम्तिहान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को बेहद शांत नजर आए और सामान्य तरीके से कामकाज किया। 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटों का आंकड़ा चाहिए। अधिकारियों के मुताबिक विश्वासमत से एक दिन पहले नीतीश अपने ऑफिस में व्यस्त रहे और तनावरहित नजर आए।
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि विश्वासमत नीतीश को और मजबूती देगा। 6 में से 4 निर्दलीय विधायक हमारे समर्थन में वोट देने की बात कह चुके हैं। एलजेपी के एकमात्र विधायक जाकिर हुसैन ने भी हमें समर्थन देने की बात कही है। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश कुमार को समर्थन करने वाले विधायक हैं-पवन कुमार जायसवाल, सोमप्रकाश सिंह, विनय बिहार और दुलाल चंद्र गोस्वामी।

बारिश का तांडव:100 से ज्यादा की मौत, सैकड़ों लापता

वक्त से पहले आए मॉनसून ने पूरे उत्तर भारत में कहर बरपा कर रखा है। बारिश के तांडव के चलते 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 70 हजार से ज्यादा लोग अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं। बादल फटने के बाद नदी की तेज धार में इमारतें और घर ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो गए। लोग कुदरत के इस कहर के लिए पर्यावरण से हुए खिलवाड़ को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
आसमान से लगातार बारिश और गरजती गंगा मानो उत्तराखंड में सबकुछ बहा ले जाना चाहती हैं। जो भी सामने आया वो बचा नहीं। मकान, होटल, लॉज, जानवर, पेड़, मंदिर, आश्रम और यहां तक कि शिव की ये विशालकाय मजबूत प्रतिमा। गंगा के गुस्से की ये एक झलक है। ऋषिकेश में मौजूद ये शिव प्रतिमा सोमवार रात तक पूरी तरह डूब गई। मंगलवार सुबह तक जब गंगा का गुस्सा थोड़ा कम हुआ तो वो नीचें आई। लेकिन शिव की मूर्ति नहीं थी। मूर्ति को गंगा बहा ले गई थी। उत्तराखंड में लोग कांप गए। उन्हें याद आया कि प्रकृति से कैसे खिलवाड़ हुआ है।
बारिश का तांडव:100 से ज्यादा की मौत, सैकड़ों लापता



चमोली
मटमैली गंगा, मिट्टी से सराबोर, पहाड़ों से तेज गति से नीचे बह रही है। पहाड़ों में तेजी से कटान हो रहा है। पहाड़ों को काटकर बने सड़क मार्ग लगातार कटान के कारण पतले हो गए। अपनी जान बचाने के लिए लोगों ने अपनी गाड़ियां सड़क पर ही छोड़ दी, क्योंकि उन्हें अहसास हो गया था कि अब यहां क्या होने वाला है। कटान के कारण एक कार बहुत जल्द पानी में समा गई। तिनके के माफिक कार पानी में बह गई। इसी तरह कई गाड़ियां पानी के तेज बहाव में बह गईं। कुदरत के आगे इंसान कितना बेबस और कमजोर है। उत्तरकाशी में करीब 100 से ज्यादा मकान पानी में बह गए हैं।
ऋषिकेश
यहां मरीन ड्राइव के नाम से मशहूर घाट इस वक्त बह चुका है। गंगा उसे काट कर अपने साथ ले गई तकरीबन 450 सड़कें बारिश से धंसने या फिर भूस्खलन की वजह से बंद हो चुकी हैं। आईबीएन 7 की टीम ने टिहरी इलाके के एक पहाड़ी रास्ते का जायजा लिया। ये रास्ता केदारनाथ को जोड़ता है। लेकिन अब इसपर चलना संभव नहीं है।
सेना के करीब 5000 जवान राहत कामों में जुटे हुए हैं। 2000 श्रद्धालु गंगोत्री के इलाके में फंसे हैं। बद्रीनाथ के इलाके में करीब 10,000 लोग फंसे हैं। रुद्रप्रयाग में सेना के दो हेलीकॉप्टर भेजे गए हैं। 10 प्राइवेट हेलीकॉप्टर राहत कामों में जुटे हैं
रुद्रप्रयाग में एक सहायता केंद्र खोला गया है। लखनऊ में सेना का सेंट्रल कमांड हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
एनडीआरएफ की 12 टीमें उत्तराखंड में बचाव और राहत में जुटी हुई हैं। उनके साथ आईबीएन 7 की भी एक टीम चल रही है। ये तस्वीरें रुद्र प्रयाग से 15 किलोमीटर पहले टिपरी की हैं। उधर देश के दूसरे राज्य उत्तराखंड की सहायता के आगे आने लगे हैं। हरियाणा सरकार उत्तराखंड को 10 करोड़ रुपए देगी। मध्यप्रदेश सरकार ने 2 करोड़ रुपए की राहत राशि का ऐलान किया है। मौसम विभाग की मानें बुधवार को स्थिति में सुधार आ सकता है। शायद बारिश बंद हो और उत्तराखंड राहत की सांस ले पाए।

उत्तराखंड में कुदरत का कहर, केदारनाथ धाम हो गया तबाह

उत्तराखंड में कुदरत ने गजब का कहर ढाया है। मूसलाधार बारिश और फ्लैश फ्लड ने केदारनाथ धाम में भारी तबाही मचाई है। केदारनाथ धाम तबाह हो चुका है। केदारनाथ मंदिर को छोड़कर आसपास का इलाका बुरी तरह तबाह हो चुका है। केदारनाथ से नीचे रामबाड़ा बाजार और गौरीकुंड में भी भारी तबाही हुई है गढ़वाल के कमिश्नर के मुताबिक मरने वालों की संख्या 200 से ज्यादा हो सकती है। जबकि सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं। केदरानाथ में 50 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
मानसून की शुरुआती बारिश ने उत्तराखंड में जो तबाही मचाई उसे देखकर पूरी दुनिया कांप गई है। सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा है दुनिया भर में मशहूर केदारनाथ धाम को। आसपास का पूरा इलाका बहुत बड़े मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है। बड़े-बड़े पत्थरों से घिरा केदारनाथ मंदिर का शिखर और उस पर लगा कलश ही नजर आ रहा है। बाकी का पूरा मंदिर मलबे में समा चुका है। मंदिर की सीढ़ियां, ऊंची दीवारें कुछ नहीं दिख रहा।
उत्तराखंड में कुदरत का कहर, केदारनाथ धाम हो गया तबाह

नजदीक में बनी हुई सारी इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं। तबाही का अंदाजा केदारनाथ की पुरानी तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। तबाही से पहले कितना विशाल था केदारनाथ मंदिर। चारों तरफ बने मकान, लोगों के ठहरने के लिए बने गेस्टहाउस और होटल। कहते हैं चार धाम यात्रा के दिनों में एक वक्त में इस इलाके में कई हजार लोग मौजूद रहते हैं। तबाही की ये तस्वीर अंदाजा लगाने के लिए काफी है कि मलबे की चपेट में आने के बाद उनका क्या हुआ होगा। चश्मदीदों की मानें तो मंदिर के भीतर लाशें पड़ी हुई हैं।
एक चश्मदीद वीर बहादुर सिंह का कहना है कि मंदिर के भीतर लाशें पड़ी हुई हैं। चश्मदीदों का कहना है कि मंदिर के आसपास के इलाके में रविवार सुबह से ही घनघोर बारिश हो रही थी। लेकिन करीब 24 घंटे बाद यानि सोमवार सुबह अचानक जैसे आसमान टूट पड़ा। टनों पत्थर अचानक मंदिर और उसके आसपास गिरने लगे। चश्मदीदों के मुताबिक मंदिर के एक तरफ ग्लेशियर का हिस्सा टूटकर आया और दूसरी तरफ पानी का सैलाब। बड़ी-बड़ी चट्टानें इमारतों को रौंदती हुई बिखरती चली गईं। आप देख सकते हैं कि मंदिर के सामने भी कितनी बड़ी चट्टान गिरी हुई नजर आ रही है।
पुरानी मान्यता है कि भगवान शिव का ये मंदिर आदि शंकराचार्य ने बनवाया था। रुद्रप्रयाग जिले में मौजूद इस मंदिर में भगवान शंकर के दर्शन करने के लिए हर साल हजारों की तादाद में भक्त उमड़ते हैं। आपको बता दें कि चार धाम यात्रा पिछले महीने 13 अप्रैल को शुरू हुई थी। जून के आखिरी महीने में मॉनसून आने की उम्मीदों के चलते अब भी हजारों लोग केदारनाथ दर्शन के लिए रास्ते में थे। लेकिन मॉनसून पहले ही नहीं आया, अपने साथ तबाही भी लाया। चश्मदीदों का कहना है कि बारिश की चपेट में सबसे ज्यादा केदारनाथ मंदिर और आसपास का ही इलाका आया है।
केदारनाथ से नीचे की तरफ बढ़े पानी के सैलाब ने रास्ते में आने वाली हर चीज। हर घर, हर दुकान को खत्म कर दिया। चश्मदीदों के मुताबिक केदारनाथ के बाद सबसे ज्यादा तबाही मची रामबाड़ा नाम की जगह पर। केदारनाथ से रामबाड़ा करीब 7 किलोमीटर दूर है। चश्मदीदों का कहना है कि अब रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है। यानि दुकानें, इमारतें, घर सब कुछ खत्म हो चुके हैं। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी कि रामबाड़ा केदारनाथ जाते वक्त आखिरी और सबसे अहम पड़ाव था। यहां भी सैकड़ों की तादाद में लोग रुकते हैं। लेकिन अब कौन कहां है, किसी की खबर नहीं लग रही।
रामबाड़ा के करीब 7 किलोमीटर नीचे पड़ता है गौरीकुंड। गौरीकुंड केदारनाथ से 14 किलोमीटर दूर है। चार धाम यात्रा के दौरान यहां भी हजारों की तादाद में भक्त रुकते हैं। लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि जब चट्टानों से भरा हुआ पानी का सैलाब आया तो अपने साथ सब कुछ बहा ले गया। चंद खुशकिस्मत लोगों ने पास की पहाड़ियों पर चढ़कर अपनी जान बचाई। जिन भी लोगों ने दुकानों और इमारतों पर भरोसा किया वो सभी पानी में बह गए। बात खौफनाक लगे, लेकिन चश्मदीद यही कह रहे हैं।
केदारनाथ में भारी तबाही की आशंका ने सरकार को सकते में ला दिया है। सोमवार को एक भी हेलीकॉप्टर केदारनाथ तक नहीं जा पाया था। लेकिन मंगलवार को मौसम खुलने के बाद हेलीकॉप्टरों की मदद से कुछ लोगों को राहत कैंपों में लाने का काम शुरू किया गया। तबाही वाले इलाकों में हेलीकॉप्टरों के पहुचंने के बाद सरकार के सामने भी असली तस्वीर अब आई है। मंगलवार को सेना ने केदारनाथ से करीब 800 लोगों को निकाला। मंगलवार तक केदारनाथ के आसपास करीब 6000 श्रद्धालु फंसे हुए थे।

Monday, June 17, 2013

आपदा प्रबंधन की नाकाम तैयारियों की पोल खोली CAG ने

उत्तराखंड में तीन दिन की बारिश से मचे हाहाकार ने हमारे देश में आपदा प्रबंधन की तैयारियों की पोल खोल दी है। 40 हजार से ज्यादा लोग रास्ते में फंसे हैं लेकिन सरकार इन्हें निकालने में नाकाम साबित हुई है। ये हाल तब है जब पिछले साल भी उत्तराखंड में ऐसी ही बारिश हुई थी। लेकिन पुरानी घटनाओं से सबक लेना हमारे सिस्टम ने कभी सीखा ही नहीं।
आपदा प्रबंधन की नाकाम तैयारियों पर इसी साल अप्रैल में आई CAG की रिपोर्ट में भी निशान साधा गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि आपदाओं से निपटने की हमारी तैयारी बेहद खराब है। 2005 में बनाई गई नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी नाकाम रही है। 8 साल में भी NDMA कोई नेशनल प्लान तैयार नहीं कर पाई है। ये हाल तब रहा जब इसके चेयरमैन खुद पीएम होते हैं। CAG के मुताबिक 8 सालों में NDMA ने एक भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया है।
आपदा प्रबंधन की नाकाम तैयारियों की पोल खोली CAG ने
सीएजी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस अथॉरिटी में पारदर्शिता ना बरतने का भी आरोप लगाया गया था। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी संस्था का ये हाल है तब बाकी का क्या होगा। सीएजी की रिपोर्ट में इस बात का भी इशारा किया गया था कि देश के तमाम राज्यों में भी ऐसे हालात से निपटने के लिए पहले से तैयारी नहीं जाती। इसी का नतीजा है कि चाहे बारिश हो या फिर भूकंप, हादसों के बाद राहत कार्यों के लिए सरकार को जूझना पड़ता है।

रेल पर सवार हुए खड़गे, तो ऑस्कर ने संभाला हाईवे

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में आठ नए मंत्री शामिल किए और 2014 के आम चुनाव से पहले अंतिम फेरबदल के रूप में देखी जा रही इस कवायद के तहत रेल मंत्रालय कर्नाटक के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय कांग्रेस के संगठकों में से एक ऑस्कर फर्नांडीज को सौंप दिया।
आम चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भी प्रधानमंत्री की नजर रही और इन राज्यों के प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया। राजस्थान की गिरिजा व्यास को आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय का जिम्मा दिया गया और इसी राज्य के जाट नेता शीश राम ओला को श्रम एवं रोजगार मंत्री बनाया गया। आंध्र प्रदेश के डॉ के एस राव को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाते हुए उन्हें कपड़ा मंत्रालय दिया गया है।
रेल पर सवार हुए खड़गे, तो ऑस्कर ने संभाला हाईवे
राज्य मंत्रियों में महाराष्ट्र के माणिक राव एच गावित, पंजाब की संतोष चौधरी, तमिलनाडु के ईएमएस नचियप्पन और आंध्र प्रदेश के जेसुदास सीलम को शपथ दिलाई गई। गावित को सामाजिक न्याय और आधिकारिता, संतोष चौधरी को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, नचियप्पन को वाणिज्य और उद्योग और सीलम को वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है।
खड़गे को रेल मंत्रालय दिए जाने की तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं। जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया था। खड़गे उस समय मुख्यमंत्री पद की होड़ में थे और समझा जाता है कि उन्हें रेल मंत्रालय दिए जाने की बात उसी समय तय हो गई थी।
कैबिनेट मंत्री
1. शीशराम ओला- श्रम और रोजगार मंत्री
2. ऑस्कर फर्नांडिस- सड़क और हाइवे मंत्री
3. गिरिजा व्यास- शहरी विकास, गरीबी उन्मूलन
4. के एस राव- कपड़ा मंत्री
राज्यमंत्री
1. माणिक राव गावित- सामजिक न्याय, अधिकारिया राज्यमंत्री
2. संतोष चौधरी- स्वास्थ्य, परिवार कल्याण राजमंत्री
3. ईएमएस नचियप्पन- वाणिज्य और उद्योग मंत्री
4. जेडी सीलम- वित्त राज्यमंत्री

राहुल की रणनीति...बोले तो सियासत की बाजीगरी!

मनमोहन कैबिनेट में विस्तार और कांग्रेस पार्टी के संगठन में फेरबदल के साथ कुछ सवाल भी खड़े हुए हैं। सवाल ये है कि बुजुर्ग नेता शीशराम ओला को कैबिनेट मंत्री क्यों बनाया गया। क्या उन्हें इसलिए जगह दी गई ताकि राजस्थान चुनाव में जाट वोट में असंतोष न फैले। क्या ये पार्टी में किसी भी संभावित कलह को रोकने की कोशिश है। क्या इसी नजरिए से सीपी जोशी को राजस्थान से दूर भेज दिया गया। सच जो भी हो लेकिन जहां संगठन में युवा चेहरों पर तरजीह नजर आती है, वहीं कैबिनेट विस्तार के बारे में यही बात नहीं कही जा सकती। सवाल है कांग्रेस की इस रणनीति के पीछे क्या है?
रविवार को संगठन में फेरबदल और सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ। ये कांग्रेस की 2014 की रणनीति का इशारा है। वो रणनीति जिस पर राहुल गांधी की छाप बताई जा रही है। जयपुर चिंतन शिविर में पार्टी उपाध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने का बीड़ा उठाया था। इसी का नतीजा है कि एक तरफ जहां संगठन में फेरबदल किया गया। दूसरी तरफ मनमोहन कैबिनेट का विस्तार किया गया है।
राहुल की रणनीति...बोले तो सियासत की बाजीगरी!
कैबिनेट विस्तार में आठ चेहरों ने मंत्री पद की शपथ ली है। मनमोहन मंत्रिमंडल के नए चेहरे में ऑस्कर फर्नांडीस, गिरजा व्यास, डॉक्टर के एस रॉव और शीशराम ओला को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। जे डी सीलम, मानिक राव गावित, ईएनएस नचियप्पन और संतोष चौधरी को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है। कैबिनेट विस्तार के पीछे इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति की छाप है।
राहुल गांधी ऐसे बाजीगर हैं, जो 2004 में सियासत के आने के कांग्रेस के संगठन में सधे अंदाज में अपनी रणनीति का जादू बिखेर रहे हैं। उन्हें पीएम बनाने की बार-बार मांग उठी है लेकिन राहुल गांधी अब तक इस जिम्मेदारी से इनकार करते आए हैं। कैबिनेट विस्तार के बाद प्रधानमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी उनकी जिम्मेदारी संभालने के काबिल हैं। सवाल ये है कि क्या 2014 के चुनाव से पहले इसे राहुल गांधी को बड़ी भूमिका देने की शुरुआत माना जाए?
2014 की जंग के मद्देनजर एक तरफ नरेंद्र मोदी हैं जिन्हें बीजेपी का अघोषित पीएम उम्मीदवार माना जाता है, दूसरी तरफ राहुल गांधी कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं। सवाल ये है कि क्या कांग्रेस मोदी बनाम राहुल जंग की तैयार कर रही है। क्या कैबिनेट विस्तार के पीछे भी यही रणनीति काम कर रही है। माना जा रहा है कि जाट समुदाय से आने वाले शीश राम ओला को राजस्थान के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कैबिनेट में जगह मिली है। गिरजा व्यास के आने के बाद सरकार में महिला कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 3 हो गई है।
कैबिनेट विस्तार में आंध्र प्रदेश को 1 कैबिनेट मंत्री और 1 राज्य मंत्री मिला है, जिसे राज्य में पार्टी की स्थिति बदलने की कोशिश माना जा रहा है। जाहिर है कैबिनेट विस्तार में राहुल गांधी के मिशन 2014 का पूरा ख्याल रखा गया है। रविवार को संगठन में हुए फेरबदल में भी इस रणनीति का खास ख्याल रखा गया है।
अजय माकन मनमोहन मंत्रिमंडल से बाहर हो गए हैं। उन्हें संगठन में जगह मिली है। वो पार्टी का युवा चेहरा हैं और पार्टी के मीडिया सेल की अगुवाई करेंगे। दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव के नजरिए से भी उन्हें अहम जिम्मेदारी मिली है। राहुल गांधी की मिशन 2014 की बाजी में युवाओं की खास जगह है, तो पुराने दिग्गजों के तजुर्बे को भी नजरअंदाज नहीं किया गया है। कैबिनेट से संगठन में आने वाला एक और चेहरा सीपी जोशी भी हैं। सीपी जोशी को बिहार का प्रभार दिया गया है, जहां जेडीयू ने बीजेपी से 17 साल पुराना नाता तोड़ा है। कयास हैं कि 2014 में राहुल गांधी जो बाजी खेलना चाहते हैं, उसमें जेडीयू पर डोरे डाले जा सकते हैं। खुद राहुल गांधी जेडीयू की प्रशंसा कर चुके हैं।
जेडीयू मोदी के विरोध का नारा बुलंद कर बीजेपी से अलग हुई है। अगर जेडीयू के साथ कांग्रेस का किसी भी तरह का तालमेल होता है, या कोई समझदारी बनती है, तो इसे राहुल गांधी की बाजीगरी का बड़ा कमाल माना जाएगा। मिशन 2014 के मद्देनजर कांग्रेस संगठन में फेरबदल पर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की छाप दिखती है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राहुल की नई टीम का जो खाका खींचा है, उसकी नई कार्यकारिणी में 21 सदस्य हैं। इसमें नतीजे देने वाले पुराने दिग्गज हैं तो नई हैसियत बनाने वाले नौजवान चेहरे भी हैं।
दिलचस्प है कि ये बदलाव रविवार को हुआ जब बीजेपी जेडीयू के अलग हो जाने से जूझ रही थी। बड़े बदलाव को धीरे से करने का ये राहुल का खास अंदाज है। नरेंद्र मोदी से बिल्कुल जुदा अंदाज जिनका हर कदम मीडिया में बड़ी खबर बनता है। जाहिर है 2014 का मुकाबला दोनों के जुदा अंदाज का इम्तेहान भी साबित होगा।
2014 का चुनाव देश को नई दिशा दे सकता है। कई सर्वे मानते हैं कि साफ बहुमत न होने की स्थिति में किसी तीसरे गठबंधन की तस्वीर उभर सकती है। हालांकि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी का चुनाव प्रचार कांग्रेस के तख्तापलट का खाका खींच रहा है। दूसरी तरफ राहुल गांधी ने यूपीए सरकार की कामयाबियों और कांग्रेस के एजेंडे को आगे करने पर बाजी लगाई है। माना जा रहा है इसी मकसद के लिए सरकार और संगठन को नए सिरे से संवारा गया है। किसी बाजीगर की तरह राहुल गांधी कांग्रेस की नई रणनीति रच रहे हैं, लिहाजा उनकी टीम के पैगाम पर देश की निगाह है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सबसे बड़ा बदलाव राहुल के करीबी माने जाने वाले मधुसूदन मिस्त्री हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश प्रभारी और केंद्रीय चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। राहुल की नई टीम में उनके विश्वस्त कहे जाने वाले मोहन प्रकाश को मध्यप्रदेश की कमान मिली है, जहां इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव हैं। कांग्रेस में अंबिका सोनी को महसचिव बनाया गया है जो कांग्रेस अध्यक्ष के दफ्तर की प्रभारी होंगी। युवा चेहरे अजय माकन कांग्रेस के मीडिया प्रभारी होंगे। 2012 में यूपी में खराब प्रदर्शन के बाद दिग्विजय सिंह को यूपी से हटाकर आंध्रप्रदेश और कर्नाटक की जिम्मेदारी दी गई है।
कांग्रेस की नई कार्यकारिणी में अलग-अलग इलाकों के प्रतिनिधित्व का ख्याल रखा गया है तो जातीय समीकरण को बरकरार रखते हुए उसे धार देने की कोशिश की गई है। दूसरी तरफ मार्च में राजनाथ सिंह ने बीजेपी की नई टीम का ऐलान किया था, जिसमें मोदी की पसंद के कई चेहरे थे। मसलन, बीजेपी में यूपी का प्रभार मोदी के करीबी अमित शाह को मिला है। कांग्रेस के महिला चेहरों को जवाब देने के लिए बीजेपी में इस बार मोदी की करीबी स्मृति ईरानी भी हैं, वो उपाध्यक्ष बनाई गई हैं। वरुण गांधी भी अब महासचिव हैं जो कांग्रेस के गढ़ सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली में परेशानी खड़ी कर सकते हैं। गोवा में मोदी को बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान मिलने के बाद कांग्रेस चाहे या न चाहे लेकिन 2014 की जंग राहुल बनाम मोदी में बदलती जा रही है।
शख्सियत की जंग में मोदी छा जाने का हुनर जानते हैं, लिहाजा कांग्रेस मोदी बनाम राहुल की जंग सिरे से खारिज कर देती है। खुद राहुल गांधी भी मोदी पर बयान देने से बचते हैं। ये उनकी बाजीगरी का खास पहलू है। माना जा रहा है कुशल चुनाव प्रबंधन और प्रशासनिक काबलियत वाले मोदी को कांग्रेस बारीक स्तर पर तैयार रणनीति से पछाड़ना चाहती है। राहुल इसके लिए देश भर में दौरे कर रहे हैं। संगठन में ऐसे चेहरों को पहचानने की कोशिश में हैं, जिन पर जीत की बाजी लगाई जा सके। इस मकसद में मोदी की वजह से होने वाला संभावित जातीय ध्रुवीकरण भी कांग्रेस का मददगार बनेगा।
उत्तरप्रदेश में 2012 का विधानसभा चुनाव याद करें। याद करें राहुल गांधी का धुंआधार चुनाव प्रचार। याद करें कि 2012 की जंग कैसे माया बनाम राहुल की जंग में बदल गई। और अंत में याद करें नतीजे। कांग्रेस को 403 सीटों में से महज 28 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने बयान दिया कि यूपी जीतना उसका मकसद ही नहीं था। जबरदस्त प्रचार से सूबे में कांग्रेस का माहौल बना। लगभग खात्मे के करीब पहुंचे संगठन को राहुल खड़ा करने में कामयाब रहे।
राहुल की बाजीगरी बकमाल है। सामने कुछ दिखता है। परदे के पीछे से कोई और रणनीति सामने आती है। बीजेपी में जहां नरेंद्र मोदी 2014 के लिए प्रधानमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार हैं, वहीं कांग्रेस में राहुल पूरे माहौल के बावजूद पीएम पद का प्रत्याशी बनने को तैयार नहीं। उनका लक्ष्य देश में कांग्रेस के छिन्न-भिन्न पड़ चुके आधार को दोबारा खड़ा करना है।
इस स्क्रिप्ट में यूपी सबसे बड़ा किरदार है, जहां 80 लोकसभा सीटें हैं। यही वजह है कि फेरबदल की बाजी से राहुल ने छुपा हुआ पत्ता बाहर निकाला है। मधुसूदन मिस्त्री को उत्तर प्रदेश और केंद्रीय चुनाव समिति का प्रभारी बनाया गया है। हाल ही में कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत से मधुसूदन मिस्त्री को नई पहचान मिली है। उनसे यूपी में भी कमाल दोहराने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि यूपी में न कांग्रेस की चुनौती आसान है, न मधुसूदन मिस्त्री की। बीजेपी की तरफ से यूपी में नरेंद्र मोदी के खास सिपहसलार अमित शाह सामने हैं। दिलचस्प है कि उनके मुकाबले के लिए उतरे मधुसूदन मिस्त्री भी गुजरात के साबरकांठा से लोकसभा सदस्य रहे हैं।
2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी की जीत के बावजूद मिस्त्री की अगुवाई में साबरकांठा में कांग्रेस को शानदार जीत मिली। उन्हें मोदी के सिपहसलार अमित शाह की जोड़ का चुनावी रणनीतिकार माना जाता है। खास बात ये है कि अगर मोदी संघ से हैं तो राहुल का दांव बन चुके मिस्त्री के भी संघ से रिश्ते रहे हैं। वो संघ के स्वयंसेवक रहे गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला के साथ बीजेपी से अलग हुए थे। यानी बीजेपी और संघ की रणनीति को करीब से जानने वाले मिस्त्री, मोदी-अमित शाह के दांवपेंच समझ कर उसकी काट तैयार कर सकते हैं।
पिछड़े वर्ग से आने वाले मधुसूदन मिस्त्री की पृष्ठभूमि एनजीओ की भी रही है, जो आम आदमी के कांग्रेस के नारे के करीब है। यूपी की इस जंग का सच ये भी है कि बीजेपी और कांग्रेस यूपी में तीसरे और चौथे नंबर की पार्टियां हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि राहुल की बाजी अमित शाह की रणनीति की काट से ज्यादा कांग्रेस को चुनावी सफलता दिलाने पर टिकी है।
2012 के विधानसभा चुनाव में गांधी परिवार के गढ़ अमेठी और रायबरेली में भी उसे हार मिली। रायबरेली की पांच सीटों में उसे एक भी सीट नहीं मिली। अमेठी की पांच सीटों में उसे 2 सीट मिलीं जबकि 2007 के विधानसभा चुनाव में दोनों जगह से वो 7 विधानसभा सीट जीतने में कामयाब हुई थी। अमेठी लोकसभा क्षेत्र सुल्तानपुर जिले में आता है, जहां बीजेपी के वरुण गांधी हाल ही में रैलियां कर अपने इरादे दिखा चुके हैं। वहीं अमित शाह को यकीन है कि बीजेपी का भविष्य यूपी ही बनाएगा।
अमित शाह जोश में हैं लेकिन सच ये भी है कि यूपी को वो राहुल से बेहतर नहीं जानते। 2004 से सियासत में उतरने के बाद इस बाजीगर ने यूपी का चप्पा-चप्पा छाना है। यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई जैसे संगठन के जरिए वो जमीनी स्तर पर कांग्रेस को खड़ा कर रहे हैं, जिसके नतीजे 2014 में दिख सकते हैं।

सोशल साइट्स पर निकल रही है मोबाइल ग्राहकों की भड़ास

सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर मोबाइल ग्राहकों की काफी तादाद में शिकायतें आ रही हैं। टेलीकॉम ग्राहक खराब नेटवर्क, 3जी कनेक्टिविटी और स्पीड को लेकर ट्विटर जैसी माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर खूब शिकायत कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कस्टमर रिस्पॉन्स पर रिसर्च करने वाली फर्म सिमप्लीफाई 360 की एक रिपोर्ट में ये सामने आया है।
ग्राहक ट्विटर पर खराब नेटवर्क, 3जी कनेक्टिविटी, स्पीड की शिकायत लिख रहे हैं। सिमप्लीफाई 360 की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें भारती एयरटेल की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं। भारती एयरटेल के ग्राहक कमजोर हेल्पलाइन सर्विस, धीमी इंटरनेट स्पीड से परेशान हैं। वहीं आइडिया सेल्युलर ग्राहकों को 3जी नेटवर्क, ऊंचे टैरिफ, शिकायत दर्ज करने में देरी को लेकर दिक्कत सामने आ रही हैं।
रिलायंस कम्यूनिकेशन के ग्राहक खराब नेटवर्क, ब्रॉडबैंड, 3जी की स्पीड और पैसे कटने से परेशान हैं। वहीं वोडाफोन ग्राहकों को इंटरनेट स्पीड, नो नेटवर्क की दिक्कत आ रही है। इसके अलावा टाटा डोकोमो के ग्राहक खराब नेटवर्क और ब्रॉडबैंड के गलत टैरिफ काटने से परेशान हैं और इस सब की शिकायतें सोशल नेटवर्किंग साइटों पर खूब देखने को मिल रही हैं।

सोना के आयात की कोशिशें नाकाम, आयात 109 फीसदी बढ़ा

सोने की मांग कम करने की सरकार और आरबीआई की कोशिशें असफल होती नजर आ रही हैं। अप्रैल-मई में सोने और चांदी का आयात 109 फीसदी बढ़कर 1588 करोड़ डॉलर रहा। वहीं कच्चे तेल का आयात 3.5 फीसदी बढ़कर 2910 करोड़ डॉलर का रहा। मई में कच्चे तेल के आयात में 3 फीसदी का उछाल आया और 1500 करोड़ डॉलर का कुल आयात हुआ। मई में सोने और चांदी का आयात 89 फीसदी बढ़कर 839 करोड़ डॉलर का रहा। कच्चे तेल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट के बाद सोने का ही सबसे ज्यादा आयात होता है।
व्यापार घाटे के मोर्चे पर भी अच्छी खबर नहीं है। पिछले साल के मुकाबले मई में व्यापार घाटा 1890 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2014 करोड़ डॉलर रहा। कमजोर रुपये के बावजूद मई में निर्यात 1.1 फीसदी घटकर 2451 करोड़ डॉलर के रहे। जबकि आयात 7 फीसदी बढ़कर 4465 करोड़ डॉलर का रहा। हालांकि अप्रैल-मई में निर्यात में हल्की बढ़त नजर आई। अप्रैल-मई में निर्यात 0.21 फीसदी बढ़कर 4867 करोड़ डॉलर के रहे। वहीं आयात 8.8 फीसदी बढ़कर 8660 करोड़ डॉलर के रहे।
सोना के आयात की कोशिशें नाकाम, आयात 109 फीसदी बढ़ा
वाणिज्य सचिव एस आर राव का कहना है कि सोने और चांदी के बढ़ते आयात की वजह व्यापार घाटा बढ़ा है। एसईजेड में सोने की ट्रेडिंग पर रोक लगाई गई है। वैल्यू एडिशन के जरिए सोने के निर्यात को बढ़ावा देने का इरादा है। एस आर राव के मुताबिक टेक्सटाइल निर्यात का अच्छा प्रदर्शन है। इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में भी बढ़त दिख रही है। उम्मीद है कि जून में निर्यात में बढ़ोतरी नजर आएगी।

अगर और पानी छोड़ा गया तो दिल्ली में आ जाएगी बाढ़

दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इस वक्त दिल्ली में यमुना ने खतरे के निशान को पार कर लिया है। दिल्ली में यमुना नदी के खतरे का निशान है 204.83 मीटर। इस वक्त यमुना खतरे के निशान से ऊपर 204.84 मीटर पर बह रही है।
दिल्ली मे 52 साल बाद वक्त से पहले मानसून आया है जो आफत का सबब बन गया है। राजधानी में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। हथिनीकुंड बैराज से निकला 8 लाख 60 हजार क्यूसेक पानी तेजी से दिल्ली की ओर बढ़ रहा है। यमुना खतरे के निशान के पार पहुंच चुकी है। दोपहर बाद लोहे का पुल बंद कर दिया जाएगा। नदी किनारे बसे लोगों को निकालने के काम शुरू हो चुका है।
अगर और पानी छोड़ा गया तो दिल्ली में आ जाएगी बाढ़
दिल्ली बाढ़ की जद में है। वैसे तो हर साल ही दिल्ली पर बाढ़ का खतरा होता है लेकिन इस बार मामला गंभीर है। दरअसल हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से आठ लाख साठ हजार क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया है। कुछ ही घंटों की बात है। देश की राजधानी पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगेगा। आकड़ों की मानें तो हथिनी कुंड से अब तक का सबसे ज्यादा पानी छोड़ गया है। लिहाजा घबराई दिल्ली में चेतावनी जारी कर दी गई है। तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यमुना के जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोग यमुना से सटे इलाकों को खाली करने लगे हैं। लोग अपना सामान समेटकर सुरक्षित इलाकों की ओर बढ़ गए हैं।

हथिनीकुंड बैराज में इतनी बड़ी तादात में पानी छोड़े जाने के बाद यमुना खतरे के निशान को जल्द ही पार करेगी।
बुधवार रात 1 बजे यमुना का जलस्तर था 204.38
भोर में 4 बजे जलस्तर था 204.72
जबकि खतरे का स्तर है 204.83
इस बात की भी पूरी संभावना है कि यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से कहीं और ऊपर जाएगा।
जानकारों की मानें तो इससे पहले 2010 में हरियाणा के हथिनी कुंड से 7 लाख 44 हजार क्यूसेक पानी छोड़ गया था। जिसकी वजह से दिल्ली के कई इलाकों में पानी भर गया था और यमुना के किनारे के कई इलाके डूब गए थे। इस बार पानी में डूबने का खतरा दिल्ली के कई इलाकों समेत नोएडा के कुछ इलाकों पर भी मंडरा रहा है। यमुना का जलस्तर बढ़ने के साथ ही जो इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं वो हैं-
आईएसबीटी बस अड्डा
गीता कॉलोनी
मयूर विहार
सोनिया विहार
न्यू उस्मानपुर
ओखला
जामिया नगर
कालिन्दी कुंज
खादर
सरिता विहार
बाढ़ विभाग के सूत्रों की माने तो मंगलवार से पानी बढ़ना शुरु हो जाएगा। बुधवार तक स्थिति गंभीर हो जाएगी। आशंका है कि यमुना का जलस्तर 208 मीटर तक पहुंच सकता है। ये खतरे के निशान से तकरीबन चार मीटर से उपर होगा।
जानकारों के मुताबिक आज तक राजधानी में यमुना का स्तर इतना उपर कभी नहीं गया है। मौसम विभाग के भविष्यवाणी के मुताबिक उत्तर भारत में अगले 24 घंटों में बारिश होगी। यानि स्थिति और बिगड़ सकती है।
असल में लगातार बारिश से हरियाणा में भी स्थिति गंभीर हो चुकी है। यमुनानगर में भारी बारिश की वजह दो दर्जन से ज्यादा गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। मजबूरन प्रशासन ने हथिनीकुंड बैराज से आठ लाख लाख साठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा। इस पानी ने करनाल में काफी तबाही मचाई है। यमुना के किनारे के कई गांव डूब गए। उनका संपर्क बाकी इलाकों से टूट गया है।
अब यही पानी दिल्ली की तरफ आ रहा है। 100 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि हथिनी कुंड से इतना ज्यादा पानी छोड़ा गया है। हथिनी कुंड में 80 हजार क्यूसेक से ज्यादा पानी नहीं रखा जा सकता है। जाहिर है लगातार बारिश बार बार पानी छोड़े जाने का खतरा बढ़ा रही है। अगर यही हालत रही तो दिल्ली में स्थिति गंभीर होती नजर आ रही है। दिल्ली में 1978 में यमुना 207.29 के स्तर पर पहुंची थी। ये खतरे के निशान से तीन मीटर उपर था। लेकिन इस बार खतरा और बड़ा है।

बाढ़ में कैसे ताश के पत्तों की तरह ढह रहे मकान

देवभूमि उत्तराखंड में तबाही मची हुई है। राज्य में चारों तरफ बर्बादी का नजारा है। उत्तकाशी के जोशीयाड़ा इलाके में बारिश में मकान ताश के पत्तों की तरह ढह रहे हैं। वीडियो देखें
वीडियो: बाढ़ में कैसे ताश के पत्तों की तरह ढह रहे मकान

गजब का सस्ता स्मार्टफोन ‘लावा इरिस504q’

महंगे स्मार्टफोन को टक्कर देने आ गया है सस्ता स्मार्टफोन ‘लावा इरिस 504क्यू’। इस फोन की खासियत इसका गेस्चर मोशन फीचर है जिससे आप अपना दूर से हाथ हिलाए इसे कंट्रोल कर पाएंगे। 5 इंच डिसप्ले स्क्रीन वाले इस फोन की कीमत 13,499 रुपये है।
गजब का सस्ता स्मार्टफोन ‘लावा इरिस504q’

ट्राई ने दिया तोहफा, देशभर में रोमिंग दरों में की कटौती

ट्राई ने देशभर में रोमिंग दरों पर कटौती की है। ट्राई ने कॉल दरों के साथ एसएमएस की दरों में भी कमी की है। ट्राई ने देशभर में आउटगोइंग कॉल पर रोमिंग दरें 1 रुपये प्रति मिनट कर दी है। वहीं देशभर में इनकमिंग कॉल पर रोमिंग दरें घटाकर 75 पैसे प्रति मिनट कर दी है। ट्राई ने देशभर में रोमिंग सर्विस के लिए स्पेशल टैरिफ वाउचर्स को मंजूरी दी है। इसके अलावा इंटर-सिटी आउटगोइंग कॉल पर रोमिंग दरें घटाकर 1.5 रुपये प्रति मिनट कर दी है।
ट्राई ने देशभर में आउटगोइंग रोमिंग पर एसएमएस की दरें 1.5 रुपये प्रति एसएमएस कर दी है। वहीं देशभर में इनकमिंग रोमिंग पर एसएमएस की दरें 1 रुपये प्रति एसएमएस कर दी है। नई दरें 1 जुलाई से लागू होंगी। ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर का कहना है कि देशभर में फिलहाल रोमिंग दरें पूरी तरह मुफ्त नहीं कर सकते हैं। वहीं 1 साल में नेशनल रोमिंग टैरिफ की समीक्षा की जाएगी।
ट्राई ने दिया तोहफा, देशभर में रोमिंग दरों में की कटौती

अयोध्या से शुरू होगा मोदी का मिशन, जाएंगे राम मंदिर!

बीजेपी चुनाव प्रचार समिति की कमान संभालने के साथ ही गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी अपने अभियान में लग गए हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर जा चुकी बीजेपी में जान फूंकने के लिए मोदी अब राम मंदिर का सहारा लेने जा रहे हैं। इसी अभियान के तहत मोदी जल्द अयोध्या में विवादित राम मंदिर स्थल का दौरा कर प्रार्थना कर सकते हैं।
विश्व हिंदू परिषद के यूपी के प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि मोदी का स्वागत करने के लिए अशोक सिंघल, प्रवीण तोगड़िया, गोरखपुर के एमपी योगी आदित्यनाथ मोदी का स्वागत करने अयोध्या पहुंचेंगे। शर्मा के मुताबिक मोदी बुधवार या शुक्रवार को अयोध्या दौरे पर आएंगे और इस दौरान राम मंदिर का भी दौरा करेंगे।
वीएचपी ने हिंदू संतों की बैठक भी बुलाई है जिन्होंने 1990 में राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। शर्मा का कहना है कि मोदी का अयोध्या दौरा आने वाले चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं को अहम संदेश देगा। मोदी अयोध्या में वीएचपी संतों से भी मुलाकात करेंगे। इमें राम जन्म भूमि न्यास ट्रस्ट के महंत नृत्य गोपालदास भी शामिल हैं।
अयोध्या से शुरू होगा मोदी का मिशन, जाएंगे राम मंदिर!

उत्तराखंड ने 88 सालों में नहीं देखी ऐसी तबाही, 37 की मौत

उत्तराखंड में बारिश से मची तबाही का दौर जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक बारिश ने यहां 88 सालों का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया है। अब तक 37 लोग मारे जा चुके हैं। उत्तराखंड सरकार के मुताबिक चार धाम की यात्रा पर निकले 40 हजार से ज्यादा यात्री अलग अलग जगहों पर फंसे हुए हैं। एनडीआरएफ की 12 टीमें राज्य में पहुंच चुकी हैं। राज्य सरकार ने सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस की भी मदद मांगी है।
जून में ही बारिश ने उत्तराखंड में तबाही मचा दी है। नदियों में पानी का बहाव इतना तेज है कि आसपास बनी इमारतें ताश के पत्तों की तरह बिखर रही हैं, नदी में गिर रही हैं। उत्तरकाशी के जोशीयाड़ा में तीन दिन की लगातार बारिश के बाद नदी के किनारे सुबह से ही कटने लगे थे। मिट्टी बहती गई और शाम होते-होते बड़े से मकान ने जलसमाधि ले ली। नदी के निकाने ही बना एक और मकान नदी में गिरते हुए तस्वीरों में कैद हुआ है। पानी की एक तेज लहर आई और मकान को भरभरा कर नदी में गिरने में चंद सेकेंड भी नहीं लगे।
उत्तराखंड ने 88 सालों में नहीं देखी ऐसी तबाही, 37 की मौत
ऋृषिकेश में गंगा के किनारे भगवान शिव की विशालकाय मूर्ति दिन में गले तक पानी में डूबी थी। लेकिन शाम होते-होते ये मूर्ति पूरी तरह पानी में समा गई। स्थानीय लोगों की माने तो पिछले साल सितंबर में ऐसा हुआ था। लेकिन इस बार तो जून के महीने में ही गंगा महादेव की मूर्ति को पार कर गई। पानी का लेवल और बहाव इतना तेज है कि शिव की ये प्रतिमा गंगा के तेज बहाव में बह गयी या फिर डूब गई अभी तक पता नहीं चल सका है। इसका पता तब चलेगा जब गंगा का पानी कुछ कम होगा।



लोग ऊपरवाले से प्रार्थना कर रहे हैं। लगातार बारिश के बाद बाढ़ का पानी किसी को बख्श नहीं रहा है। उत्तरकाशी में मौजूद एक मंदिर भी भगीरथी नदी के तेज बहाव के आगे ये ज्यादा देर तक नहीं टिक नहीं पाया। कटे पेड़ की तरह ये भी एक झटके में पानी में बह गया। उत्तरकाशी में ही भारत घाट और केदारघाट पूरी तरह से डूब चुका है। जबकि उजेली में मौजूद कैलाश आश्रम का एक बड़ा हिस्सा पानी में बह चुका है।
इंसान, मशीन या जानवर सभी पर कुदरत का कहर टूट रहा है। आशियाने पानी में बह गए हैं। आसरे की तलाश में इंसान और जानवर दोनों सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे हैं। बाढ़ में फंसे लोगों के हालात जानने के लिए आईबीएन7 राहत कर्मियों के साथ बोट में उनके पास गया। चारों तरफ पानी ही पानी और बीच में एक झोपड़ी। अचानक पानी बढ़ने से ये लोग फंस गए और खुद को बचाने के लिए झोपड़ी के ऊपर बन मचान में दुबक गए। कई घंटों के बाद इन्हें यहां से निकाला गया।
उधर चमोली में लक्ष्मण नदी का जलस्तर बढ़ जाने की वजह से हेमकुंड जाने वाला पुल टूट चुका है। ग्लेशियर टूटने की वजह से स्थिति और गंभीर हो गई। यहां करीब 4000 हजार श्रद्धालुओं को हेमकुंड से निकाला गया। पानी में डूबी ये कार बता रही है कि शहर की सड़क भी नदी में तब्दील हो चुकी है। गढ़वाल के श्रीनगर में बद्रीनाथ जाने वाले हाईवे का हिस्सा डूबा हुआ है। फिलहाल यहां यात्रियों को एक दूसरे रास्ते से भेजा जा रहा है।
उत्तराखंड पर भारी मुसीबत टूटी है। पूरा राज्य अस्त व्यस्त हो चुका है। सैकड़ों गांव बाकी इलाकों से कट गए हैं। अलकनंदा नदी पर बना पुल भी बह गया है। प्रशासन भी खुद को बेबस महसूस कर रहा है। राज्य सरकार अभी तक ये बता पाने में असमर्थ है कि राज्य में कहां और कितने लोग फंसे या मारे गए हैं।
हालात गंभीर है। इतने गंभीर की जोशीमठ में पानी अपने साथ 10 होटल बहा ले गया। कई गाड़ियां बह गई और 10 यात्री लापता हैं। पूरे उत्तराखंड में 100 से ज्यादा लोग लापता हैं। जबकि मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य के पूरे 13 जिले बारिश का कहर झेल रहे हैं। पूरे राज्य में 40 हजार से भी ज्यादा टूरिस्ट जगह-जगह फंसे हुए हैं।
वहीं हरिद्वार में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। पानी के तेज बहाव की वजह से ऋषिकेश के ऐतिहासिक राम झूले के एक रस्सा टूट गया। पुल को बंद कर दिया गया है। ये पुल सालों से ऋषिकेश के दोनों छोरों को जोड़ने का काम तो कर ही रहा था।
तीन दिन से लगातार होने वाली बारिश ने सरकार के आपदा प्रबंधन की पोल खोल दी है। राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग नकारा साबित हो रहा है। भारी बारिश और सड़कें टूट जाने की वजह से संचार व्यवस्था भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। खुद राज्य सरकार मान रही है कि इस आफत का सही सही आकलन वो नहीं लगा पाई है। लेकिन ये पहली बार नहीं हुआ है जब ये देवभूमि इतनी बड़ी मुसीबत में फंसी है। पिछले साल भी बारिश ने यहां भारी तबाही मचाई थी। लेकिन शायद राज्य सरकार नींद से जागने के लिए तैयार नहीं है।

Sunday, June 16, 2013

सियासत के सबसे बड़े शिकारी बनकर उभरे मोदी!

गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 2014 में बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान नरेंद्र मोदी के हाथ आ गई है। इसके साथ ही बीजेपी में लालकृष्ण आडवाणी के पीएम पद के उम्मीदवार बनने की सारी संभावना खत्म हो गई है। माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी ने ही वो पृष्ठभूमि तैयार की जिसने आडवाणी को बीजेपी के अतीत पुरुषों की जमात में खड़ा कर दिया।
कभी बीजेपी के लौह पुरुष कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से कभी अनुपस्थित नहीं रहे लेकिन जून के पहले हफ्ते में हुई गोवा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान उनका पेट खराब हो गया। सियासी जानकारों का मानना था कि पेट खराब होने से कहीं बड़ी वजह गोवा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नरेंद्र मोदी का छा जाना था। लालकृष्ण आडवाणी कई बार इशारा कर चुके थे कि उन्हें शिष्य से प्रतिद्वंद्वी बन चुके नरेंद्र मोदी की बड़ी हैसियत स्वीकार नहीं। वहीं गोवा में पार्टी के हर कोने से नरेंद्र मोदी को 2014 के चुनाव के लिए पीएम पद का प्रत्याशी बनाने की मांग उठ रही थी। ऐसी मांग गोवा से दूर दिल्ली में आडवाणी के घर के बाहर भी सुनाई दे रही थी।
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'नरेंद्र मोदी आर्मी' नाम के गुमनाम संगठन के झंडे तले मोदी-समर्थक होने का दावा कर रहे प्रदर्शनकारी मोदी के लिए आडवाणी से रास्ता खाली करने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शन पर सियासी गलियारों में आलोचना शुरू हुई तो बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने साफ करने में देर नहीं लगाई कि प्रदर्शनकारियों का बीजेपी या मोदी से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन नरेंद्र मोदी की वजह से बीजेपी के खिलाफ खड़े हो चुके कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला ऐसा नहीं मानते।
एक बयान में वाघेला ने 1996 की घटना की याद दिलाई। वाघेला ने केशूभाई सरकार में मोदी के सुपर सीएम की तरह के बर्ताव से नाखुश होकर बगावत कर दी थी। गांधी नगर पहुंचे अटल बिहारी वाजपेयी ने समझौता फार्मूले के तहत सुरेश मेहता को सीएम बनवा दिया। वाघेला कहते हैं-'उस वक्त मोदी समर्थकों ने अटल जी की कार को रास्ते में रोक लिया था। वो नारेबाजी कर रहे थे। प्रदर्शन की वजह से वाजपेयी की फ्लाइट छूट गई। इसीलिए हाल ही में आडवाणी के घर हुई नारेबाजी से मैं हैरान नहीं हुआ। यहां तक कि आडवाणी को भी कोई शक नहीं होगा कि नारेबाजी के पीछे कौन है।'
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी ये स्वीकार कर चुके हैं कि नरेंद्र मोदी पार्टी सबसे लोकप्रिय नेता हैं। उन्हें ये मुकाम चमत्कार से नहीं मिला है। संघ के फुलटाइम प्रचारक से सीएम तक के 40 साल लंबे सफर में मोदी ने अपना सियासी करिअर नफासत से तराशा। समर्थक और विरोधी दोनों कहते हैं कि मोदी जज्बाती नहीं हैं। वो इस्पाती इरादे वाले सख्त प्रशासक और राजनेता हैं जो जानता है कि वो क्या चाहता है, और उसे कैसे हासिल करना है।
समाजशास्त्री और स्तंभकार विद्युत जोशी कहते हैं कि वो हर एक को कुचल कर आगे चले जाते हैं तो आपको समझना होगा कि मोदी की राजकरण की शैली क्या है। मोदी की राजकरण की स्टाइल को समझना है तो आपको इंदिरा गांधी को समझना होगा। इंदिरा ने भी सब पुराने लोगों को निकाल दिया, मोदी ने भी निकाल दिया। कहा जाता है कि इंदिरा आलोचना बर्दाश्त नहीं करती थीं, विरोधियों के लिए खड़ा होने की जगह नहीं छोड़ती थीं। मोदी में सियासी शिकारी के ये गुण कूट-कूट कर भरे हुए नजर आते हैं। कहते हैं उनके सियासी शिकारों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। ताजा शिकार नीतीश कुमार हैं। लाल कृष्ण आडवाणी को बीजेपी के इतिहास में जगह मिल चुकी है। संजय जोशी पार्टी के हाशिए पर चले गए हैं। बीजेपी से अलग होकर गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाने वाले केशुभाई पटेल अप्रासंगिक हो चुके हैं।
गोवा कार्यकारिणी में बीजेपी ने 2014 की कमान नरेंद्र मोदी को सौंप दी। पीएम पद का दोबारा प्रत्याशी बनने की आडवाणी की ख्वाहिश का दम निकल गया। शिकारी का ये खेल दिलचस्प है। दिलचस्प ये भी है कि 11 साल पहले यही गोवा था, यही आडवाणी थे, जिन्होंने मोदी को बीजेपी से निष्कासित होने से बचाया था। गुजरात दंगों की वजह से 2002 में गोवा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अटल बिहारी वाजपेयी मोदी को निष्कासित करने की तैयारी कर चुके थे लेकिन आडवाणी बीच में आ गए। वाजपेयी को झुकना पड़ा।
आज नरेंद्र मोदी-आडवाणी के प्रतिद्वंद्वी हैं, कभी वो आडवाणी के शिष्य कहे जाते थे। दरअसल, 1984 में दो सीट मिलने के बाद आडवाणी ने पार्टी की राज्य इकाइयों में संगठन सचिव के पद को फिर मजबूत किया। गुजरात में मोदी संगठन सचिव बने। उन्होंने 1987 में आडवाणी की न्याय यात्रा, 1989 में लोकशक्ति यात्रा, 1990 में अयोध्या रथ यात्रा को सफल बनाने में जी-तोड़ मेहनत की।
नरेंद्र मोदी को इनाम के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर पहली बड़ी जिम्मेदारी मिली। मुरली मनोहर जोशी ने बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर कन्याकुमारी से श्रीनगर तक तिरंगा फहराने के लिए अखिल भारतीय एकता यात्रा की। इसका प्रबंधन मोदी को मिला, जो जबरदस्त प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन कर बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति पर छा गए। बीजेपी में मोदी का उदय हो चुका था। आडवाणी उनके साथ थे।
वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला कहते हैं कि संजय जोशी का मामला हो, सुरेश मेहता का मामला हो, कांशी राम राणा का मामला हो या केशुभाई पटेल का मामला, हर जगह आडवाणी जी और अटल जी मोदी के साथ खड़े रहे, उन्होंने कहा कि ये हमारा भविष्य है।
इसके बाद सियासत में 10 साल सीनियर गुजरात बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला से मोदी का टकराव शुरू हो गया। जूनियर होने के बावजूद मोदी ने एक तुरुप चाल चल कर पार्टी में उनका कद कम कर दिया। कहते हैं कि 1991 में आडवाणी को गांधी नगर से चुनाव लड़ने की सलाह मोदी ने ही दी थी। इस सीट से शंकर सिंह वाघेला लड़ते थे लेकिन नई दिल्ली सीट से राजेश खन्ना के कांग्रेस प्रत्याशी बनने के बाद आडवाणी सेफ सीट तलाश रहे थे। मोदी की ये तुरुप चाल थी क्योंकि तब बेहद लोकप्रिय आडवाणी के गुजरात में आने से कार्यकर्ता उत्साह में भर गए। शंकर सिंह वाघेला पिछड़ते गए।
शंकर सिंह वाघेला मोदी के पहले सियासी शिकार बने जब 1996 में उन्हें पार्टी से जाना पड़ा। 2001 में गुजरात भूकंप के आधे-अधूरे राहत कार्य और दो उप चुनाव में हार की वजह से केशुभाई की गुजरात के सीएम के तौर पर विदाई हो गई। कहते हैं अक्टूबर 2001 में आडवाणी की वजह से ही मोदी चुनाव लड़े बिना ही सीएम बन गए। एक के बाद एक चुनावी सफलता से उनकी सियासी महत्वाकांक्षा बढ़ती गई। तभी पाकिस्तान यात्रा के दौरान आडवाणी ने जिन्ना को सेकुलर करार दिया। यहीं से रिश्ते में दरार पड़ने लगी।
2005 में जिन्ना पर दिए आडवाणी के बयान की आरएसएस-बीजेपी में जबरदस्त आलोचना हुई। आडवाणी के समर्थन में मोदी नहीं आए, करीब तीन महीने बाद आडवाणी को अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। 2011 में आडवाणी भ्रष्टाचार के खिलाफ पोरबंदर से यात्रा निकालना चाहते थे लेकिन मोदी ने सद्भावना यात्रा शुरू कर दी। आडवाणी ने अपनी यात्रा मोदी के धुर विरोधी नीतीश कुमार के प्रदेश बिहार से की।
गोवा कार्यकारिणी से पहले बीजेपी में मोदी को पीएम बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। आडवाणी ने मोदी की दावेदारी को कमजोर करने की आखिरी कोशिशें कीं। ग्वालियर में कहा कि जैसे अटल बिहारी वाजपेयी विकास की कई योजनाओं को लागू करने के बाद भी नम्र बने रहे और घमंड से दूर रहे, उसी तरह शिवराज सिंह चौहान ने भी मध्यप्रदेश जैसे "बीमारू" राज्य की तस्वीर बदल दी। 2009 के लोकसभा चुनाव में आडवाणी के नेतृत्व में मिली हार के बाद संघ भी मानने लगा था कि पार्टी को नए चेहरे की जरूरत है। इस सोच ने मोदी को मजबूत कर दिया। आखिरकार गोवा में आडवाणी उनके ताजा सियासी शिकार बन गए।
नरेंद्र मोदी को बीजेपी की कमान मिली तो जेडीयू ने सेकुलरवाद का झंडा बुलंद कर बीजेपी से नाता तोड़ लिया। नीतीश कुमार बिहार में अकेले रह गए हैं। उन्हें बीजेपी के अगड़े वोटों का फायदा नहीं मिल पाएगा। साथ ही एनडीए से नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की हैसियत रखने वाला नेता भी बाहर हो गया है यानी पीएम प्रत्याशी के सवाल पर अब न तो बीजेपी में नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाला कोई बचा, न एनडीए में। वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत कहते हैं कि बिहार की राजनीति के जो ताजा हालात हैं, ऐसा होना ही था, क्योंकि नीतीश कुमार समाजवादी छवि के माने जाते हैं और नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगभग डेढ़ साल से बोल रहे थे। उनकी पार्टी नहीं चाहती थी कि वो किसी ऐसे फ्रंट के संयोजक बने, जिसके नेता मोदी हों।
जानकारों का मानना है कि नरेंद्र मोदी अच्छी तरह समझते थे कि नीतीश सेकुलर वोट खोने का खतरा नहीं उठा सकते। मई 2009 में लुधियाना में एनडीए की रैली में मोदी और नीतीश मंच पर साथ-साथ दिखे, तो ये तस्वीर बिहार में बार-बार दिखने लगी थी। नीतीश को ये नागवार गुजरा। ये तस्वीर जितनी दिखती, उनके सेकुलर वोट में उतनी ही सेंध लगती। यही वजह है कि 2009 के आम चुनाव में नीतीश ने बिहार में मोदी को प्रचार के लिए बिहार आने से मना कर दिया।
12 जून 2010 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले अखबारों में लुधियाना रैली की नीतीश-मोदी की तस्वीर छपी। इससे नीतीश कुमार इतने नाराज हुए कि गठबंधन तोड़ने की बात तक सोचने लगे। इसी के बाद 2010 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश ने मोदी के प्रचार के लिए मना कर दिया। जून 2012 में नीतीश ने ये बयान भी दिया कि बीजेपी को सेकुलर छविवाले नेता को ही पीएम पद का प्रत्याशी चुनना चाहिए।
बीजेपी में सेकुलर छवि वाले नेता को पीएम प्रत्याशी बनाने की बात कर नीतीश ने मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। साथ ही उन्होंने पीएम पद के प्रत्याशी के मुद्दे पर आडवाणी के लिए जमीन तैयार करना भी शुरू कर दिया था। एनडीए में आडवाणी को आगे बढ़ाने की नीतीश की मंशा ही नहीं बल्कि उनकी छवि भी मोदी के लिए चुनौती बन रही थी। अगर नरेंद्र मोदी बीजेपी के विकास पुरुष बन रहे थे तो बिहार की कायापलट करने की वजह से नीतीश कुमार भी एनडीए के सुशासन पुरुष बन चुके थे।
गुजरात में मोदी चुनावी सफलता की कहानी लिख रहे थे तो बिहार में नीतीश कुमार की चुनावी सफलता भी काबिल-ए-तारीफ थी। इसमें शक नहीं है कि एनडीए में नीतीश कुमार को मोदी के खिलाफ खड़ा करने की कोशिशें शुरू हो चुकी थीं। 3 सितंबर 2012 को आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा-मुझे लगता है कि भारत का अगला प्रधानमंत्री गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी राजनेता होगा।
दूसरी तरफ लोकप्रियता की लहर पर सवार मोदी भी बिहार बीजेपी में समर्थकों का आधार बना रहे थे।। 2012 में बिहार बीजेपी ने मोदी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया। नवंबर 2012 में मोदी बीजेपी नेता कैलाशपति मिश्रा को श्रद्धांजलि देने पटना गए तो पीएम-पीएम की गूंज सुनाई दी। बिहार बीजेपी में मोदी का बढ़ता असर नीतीश को रास नहीं आ रहा था। उनका ये दर्द गठबंधन टूटने से पहले सामने आ गया। कहा-दुआ देते हैं जीने की, दवा करते हैं मरने की। समस्या की दरअसल जड़ यही है।
नीतीश कुमार के अलग होने के बाद अब बीजेपी की तरह एनडीए को भी नरेंद्र मोदी का सहारा है। उनकी छवि के सहारे ही एनडीए को 2014 में बड़े कमाल की उम्मीद है। ऐसे में नीतीश का जाना बीजेपी के लिए नुकसानदेह जरूर हो सकता है, लेकिन हर किसी पर ये बात सही नहीं साबित होती।

जेडीयू के ‘विश्वासघात’ के खिलाफ 18 को बिहार बंद: बीजेपी

बिहार में 17 वर्ष पुरानी दोस्ती टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए 18 जून को बिहार बंद की घोषणा की है।
भाजपा से संबंध तोड़ने और राज्य मंत्रिमंडल से भाजपा मंत्रियों को बर्खास्त करने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के तुरंत बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार से नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की।
उन्होंने कहा कि जेडीयू ने न सिर्फ भाजपा को बल्कि राज्य की जनता के साथ भी विश्वासघात किया है। इसके विरोध में पार्टी 18 जून को विश्वासघात दिवस के रूप मे मनाएगी और इस दिन बिहार बंद का आयोजन किया गया है।
जेडीयू के ‘विश्वासघात’ के खिलाफ 18 को बिहार बंद: बीजेपी
वहीं पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी की प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने के फैसले से पीछे नहीं हटेगी। भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने यहां कहा कि भाजपा अपने आंतरिक निर्णय स्वयं लेती है। जहां तक एनडीए से जुड़े मुद्दों की बात है तो हम इस पर एनडीए के साथ चर्चा करते हैं।
नकवी ने कहा कि मोदी के बारे में जो भी निर्णय लिया गया है, हम उससे किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे, चाहे एनडीए एक बार टूटे या 10 बार। इस बीच, भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा कि एनडीए का टूटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।

पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की हालत में लगातार सुधार

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की हालत में लगातार सुधार हो रहा है। वह पिछले एक हफ्ते से प्रिटोरिया के एक अस्पताल में भर्ती हैं। बीबीसी के मुताबिक राष्ट्रपति जैकब जुमा ने रविवार को बताया कि उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी लेकिन फेंफड़े के संक्रमण के इलाज के बाद उनमें सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि उनकी हालत भले ही गंभीर रही है, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि पिछले दो दिनों से उनमें लगातार सुधार हो रहा है। जुमा के मुताबिक 94 साल के मंडेला अपने परिवार के संपर्क में बने हुए हैं। जुमा ने यह जानकारी रंगभेद के खिलाफ 1976 में सोविटो में शुरू हुए विद्रोह की याद में क्वाजुलु-नटल प्रांत में यूथ डे के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए दी।
पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की हालत में लगातार सुधार
राष्ट्रपति ने लोगों से अनुरोध किया कि वे उनके साथ मंडेला को 'फादर्स डे' की शुभकामनाएं दें। गत दिसंबर से मंडेला कई बार अस्पताल के चक्कर लगा चुके हैं।