सुप्रीम कोर्ट ने आरुषि-हेमराज हत्याकंड में
आरुषि के माता-पिता को जोरदार झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति
की अर्जी पर सुनवाई करते हुए साफ और सख्त लहजे में कहा है कि तलवार दंपति
राहत के लिए हाईकोर्ट जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग निचली अदालत से
सीधा सुप्रीम कोर्ट चले आते हैं। ये न्यायिक प्रक्रिया के लिए ठीक नहीं है।
तलवार दंपति को निर्देश दिए कि हाईकोर्ट को बाइपास नहीं किया जा सकता है।
तलवार दंपति हाईकोर्ट में जाएं। साथ ही हिदायत देते हुए कहा कि आगे भी इसी
तरह का रवैया जारी रहा तो ठीक नहीं है।
तलवार
दंपति ने अर्जी देकर कहा था क मर्डर केस में पहले उन 14 लोगों के बयान
दर्ज किए जाएं जो पहली बार तफ्तीश करने वाली टीम में शामिल थे। तलवार दंपति
चाहता है कि उन 14 लोगों की गवाही के बाद ही उनकी गवाही होनी चाहिए। तलवार
दंपति के वकील ने ये याचिका पहले गाजियाबाद कोर्ट में दाखिल की थी, लेकिन
वहां से उनकी याचिका खारिज हो गई।
निचली
अदालत ने 6 मई को इनकी याचिका खारिज कर दी थी और राजेश एवं नूपुर के बयान
दर्ज कराने का आदेश दिया था, जो इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। सीबीआई के
जांच अधिकारी एजीएल कौल अभियोजन के अंतिम गवाह थे और उनका बयान दर्ज हो
चुका है। सीबीआई ने अदालत में आरोप लगाया कि पांच वर्ष पहले हुई आरुषि की
हत्या में उसके माता पिता का हाथ है और घर में कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद
नहीं था। विशेष अदालत में अपनी गवाही में सीबीआई जांच का नेतृत्व कर रहे
कौल ने बताया कि एजेंसी की जांच से तलवार के आवास में किसी तीसरे व्यक्ति
के प्रवेश का कोई सुबूत नहीं मिला।
आरुषि
16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार स्थित अपने घर के बाथरूम में मृत पाई
गई थी। शुरूआती जांच में हत्या का संदेह घर के नौकर हेमराज पर गया, लेकिन
बाद हेमराज का शव भी उसी मकान की छत पर पड़ा मिला।
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