कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार
को सूखे की मार से बेहाल हो रहे महाराष्ट्र की एक तहसील का दौरा किया।
लोगों की उम्मीद थी कि राहुल के दौरा उनकी समस्या को दूर करने में मदद
करेगा। कम से कम वे राहत इंतजाम के लिए मुख्यमंत्री को सख्त निर्देश देंगे।
लेकिन राहुल ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। किसानों के पास सवाल थे, लेकिन
राहुल के पास जवाब नहीं था। जाहिर है, लोग इस दौरे के बाद काफी नाउम्मीद
नजर आए।
40
सालों का रिकॉर्ड तोड़ रहे सूखे की मार से झुलस रहे महाराष्ट्र का हाल
जानने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार को औरंगाबाद की
फुलंब्री तहसील में थे। इस दौरान सुरक्षा का जबरदस्त इंतजाम था, लेकिन अपने
जाने-पहचाने अंदाज में राहुल बैरीकेडिंग लांघते हुए लोगों के बीच पहुंचे।
राहुल की इस तेजी का साथ देना मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के लिए काफी
मुश्किल हो रहा था। परेशानी उन्हें लोगों की तकलीफ से भरे उन बयानों से भी
थी, जो सीधे उनकी सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहे थे।
एक
किसान ने बताया कि फुलंब्री में पानी की समस्या है, ये समस्या मैंने राहुल
गांधी को बताई, इस तहसील को वाकूड तालाब से पानी मिलता है, जो सूखा पड़ा
है। इस तहसील को अब 56 टैंकर्स के जरीए पानी पहुंचाया जा रहा है।
राहुल
के पास लोगों की परेशानी का कोई जवाब नहीं था। महाराष्ट्र में कांग्रेस की
ही सरकार है, लिहाजा विपक्ष को भी नहीं कोसा जा सकता था। उन्होंने मजबूर
निगाहों से मुख्यमंत्री की ओर देखा। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के पास
जवाब के नाम पर 16 करोड़ रुपयों का एक आंकड़ा था जो उनके मुताबिक तहसील में
पानी की समस्या के लिए दे दिया गया है। जाहिर है, कांग्रेस की शक्ति नंबर
दो से मुलाकात लोगों को संतोष नहीं दे सकी।
किसानों
से राहुल को बताया कि सूखे में सबसे बड़ी समस्या बिजली की है। किसानों ने
बिजली का इस्तेमाल नहीं किया है। इसके बावजूद बिजली के बिल भेजे गए। साथ ही
साथ शिक्षा का स्तर और ऊंचा करने के लिए कोशिश की जानी चाहिए।
बहरहाल,
राहुल फुलंब्री तहसील के अलावा कहीं नहीं गए। वहां उन्होंने मनरेगा समेत
विकास के कुछ दूसरे कामों का जायजा लिया। लेकिन लोगों को समझ में नहीं आया
कि जब दहकते महाराष्ट्र में राहत की बारिश होनी चाहिए, तो सवालों के साथ
पहुंचे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का दौरा क्या हासिल कर पाएगा।
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