बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पीएम
पद की दौड़ से हटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने पांच राज्यों में होने जा
रहे विधानसभा चुनावों के प्रबंधन की कमान नितिन गडकरी को सौंपने की
सिफारिश करके इसके साफ संकेत दिए हैं। माना जा रहा है कि आडवाणी ने ये दांव
संघ से रिश्ते सुधारने के लिए चला है जो गडकरी पर काफी भरोसा करता है।
पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए संघ की हरी झंडी जरूरी है।
दरअसल,
आडवाणी ने बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी को
पांच राज्यों के चुनाव प्रबंधन की कमान सौंपने की सिफारिश की है। नितिन
गडकरी संघ प्रमुख मोहन भागवत के बेहद करीबी माने जाते हैं। आडवाणी को लगता
है कि गडकरी का नाम आगे करने से संघ से उनकी दूरी कम होगी, जो उनकी
दावेदारी में अहम भूमिका निभा सकता है। इस तीर का एक निशाना नरेंद्र मोदी
पर भी है जो चुनावों में संभावित सफलता का अकेले श्रेय नहीं ले पाएंगे।
हालांकि शीर्ष पर चल रहे इस सत्ता संघर्ष पर कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं
है।
दरअसल बीजेपी का एक तबका नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव के प्रचार अभिय़ान की कमान देने की पैरवी कर रहा है। तर्क है कि इससे मोदी के करिश्मे को वोटों में तब्दील किया जा सकेगा और जेडीयू जैसा मोदी विरोधी सहयोगी भी आपत्ति नहीं जता पाएगा। लेकिन आडवाणी खेमे का मानना है कि लोकसभा के पहले पांच राज्यों के चुनाव अहम हैं। ये विधानसभा चुनाव ही लोकसभा की जमीन तैयार करेंगे। ऐसे में इस खेमे ने मोदी की मुश्किल बढ़ाते हुए गडकरी का नाम आगे किया है। अगर गडकरी को विधानसभा चुनाव की कमान मिली तो वे लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की कमान के भी दावेदार होंगे।
बुधवार
को सुषमा स्वराज ने साफ कहा था कि पीएम पद के लिए अभी किसी नेता की
दावेदारी खारिज नहीं हुई है। इस बयान ने साफ कर दिया कि बुजुर्ग नेता
लालकृष्ण आडवाणी पीएम पद की रेस में हैं और गुरुवार को वो जानकारी
सार्वजनिक हुई जिससे पता चलता है कि आडवाणी अपनी उम्मीदवारी को लेकर गंभीर
प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल बीजेपी का एक तबका नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव के प्रचार अभिय़ान की कमान देने की पैरवी कर रहा है। तर्क है कि इससे मोदी के करिश्मे को वोटों में तब्दील किया जा सकेगा और जेडीयू जैसा मोदी विरोधी सहयोगी भी आपत्ति नहीं जता पाएगा। लेकिन आडवाणी खेमे का मानना है कि लोकसभा के पहले पांच राज्यों के चुनाव अहम हैं। ये विधानसभा चुनाव ही लोकसभा की जमीन तैयार करेंगे। ऐसे में इस खेमे ने मोदी की मुश्किल बढ़ाते हुए गडकरी का नाम आगे किया है। अगर गडकरी को विधानसभा चुनाव की कमान मिली तो वे लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की कमान के भी दावेदार होंगे।
गडकरी
भी प्रचार समिति या चुनाव प्रबंधन समिति का चेयरमैन बनने के इच्छुक हैं,
लेकिन वह मोदी बनाम आडवाणी के झगड़े में नहीं पड़ना चाहते। वह यह भी नहीं
चाहते कि उन्हें आडवाणी के उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए। वैसे 8 और 9 जून
को गोवा में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ही इन
मुद्दों पर आखिरी फैसला हो सकेगा।
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