घरेलू और मल्टीनेशनल फार्मा कंपनियों के
बीच फिर से विवाद खड़ा होता दिख रहा है। ग्लोबल ड्रग कंपनी फाइजर और भारत
में जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनियों की लॉबी इंडियन फार्मास्यूटिकल्स
एसोसिएशन (आईपीए) के बीच बहस शुरू हो गई है। फाइजर ने अमेरिकी हाउस कमिटी
को बताया था कि भारत में पेटेंट को लेकर माहौल खराब हो रहा है। फाइजर ने 13
मार्च को अमेरिकी हाउस कमिटी के सामने ये बयान दिया था।
अमेरिका
और भारत व्यापार संबंधों पर सुनवाई के दौरान फाइजर ने फाइजर ने कहा था है
कि भारत में इनोवेटिव दवाओं के लिए बिजनेस माहौल बिगड़ा है। भारत में
अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन हो रहा है। घरेलू कंपनियों के
फायदे के लिए एमएनसी के साथ भेदभाव होता है। अनिवार्य लाइसेंस के
प्रावधानों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। जेनरिक कंपनियां अनिवार्य
लाइसेंस के जरिए फायदा उठाती हैं।
फाइजर
ने अमेरिकी सरकार को ये चिंताएं भारत के सामने रखने को कहा है। फाइजर के
इस बयान पर आईपीए ने आपत्ति जताई है। 13 मई को जवाब देते हुए आईपीए ने कहा
है कि फाइजर के बयान में सही तथ्य नहीं हैं। फाइजर ने अमेरिकी हाउस कमिटी
में हुई सुनवाई को गुमराह किया है। भारतीय पेटेंट कानून टीआरआईपीएस करार के
मुताबिक हैं।
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